पिछले अंक में हमने वर्ष 1967 के विधानसभा चुनाव के बारे में जाना कि मथुरा जनपद की छह विधानसभा सीटों […]
विधानसभा चुनाव 1967 और मथुरा जिला
पिछले अंक में हमने जाना कि मथुरा में सोशलिस्ट पार्टी ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। मांट सीट पर राधेश्याम […]
विधानसभा चुनाव 1962 और मथुरा जिला
पिछले दो अंकों में हमने मथुरा जिले की विधानसभाओं में लोगों का रुझान कांग्रेस की तरफ देखा। पर यह स्थिति […]
विधानसभा चुनाव 1957 और मथुरा जिला
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के इतिहास में मथुरा जिले की राजनीतिक गतिविधियों पर चर्चा के क्रम में पिछले अंक […]
पहला विधानसभा चुनाव और मथुरा जनपद
देश और राज्य की बात और चुनावों का केंद्रीय व प्रांतीय स्तर का इतिहास तो हर किसी को पता होता […]
पाबू प्रकाश के काव्य का मूल्यांकन
पाबू प्रकाश एक प्रबन्ध काव्य है जिसमें समसामयिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों के साथ पाबू का सम्पूर्ण चरित्र वर्णित है। […]
बनी ठनी प्रेमकथा से चित्रकला तक
भारतीय चित्रकला की लघु चित्र शैली के जानकारों में ऐसा कौन होगा जो ‘बनी-ठनी’ को न जानता हो! पर वह […]
श्रीकृष्ण के कर्मयोग की प्रेम प्रेरणा हैं श्रीराधा
फोटो साभार इन्टरनेट
राधाष्टमी पर बरसाना आने से पहले जान लें यह जरूरी बातें
बरसाना का प्रसिद्ध राधा रानी मंदिर
हिन्दू प्रतिमाएं और मथुरा कला का विकास
मथुरा कला के अंतर्गत उस दौर के कारीगरों ने हिन्दू, जैन और बौद्ध तीनों ही धर्मों से सम्बंधित देव-प्रतिमाओं […]
मथुरा के सांसद चकलेश्वर सिंह
चकलेश्वर सिंह मथुरा लोकसभा क्षेत्र से 1971 में सांसद रहे थे। उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लेते हुए देश की आजादी के आंदोलन में भी सहभागिता की थी।
हुमायूंनामा और गुलबदन बेगम
गुलबदन बेगम द्वारा लिखित हुमायूंनामा मुगलों के इतिहास के अध्ययन का एक प्रमुख स्रोत है। यह पुस्तक गुलबदन बेगम ने लिखी थी। गुलबदन बेगम हुमांयू की छोटी बहन थी। यह पुस्तक लंबे समय तक अज्ञात रही और बाद में प्रकाशित हुई।
भरतपुर राज्य के दरबारी कवि (भाग दो)
पिछले भाग में हमने भरतपुर राज्य के मुख्य दरबारी कवियों में से महाकवि सूदन, आचार्य सोमनाथ, कलानिधि भट्ट, शिवराम, कृष्ण […]
वैर की कहानी : भाग दो
वैर की कहानी के पिछले भाग में हमने वैर की अवस्थिति, नामकरण, जाट शासन के दौरान प्रशासनिक प्रबन्ध, दुर्ग निर्माण, […]
भरतपुर राज्य के दरबारी कवि (भाग एक)
भरतपुर दरबार ने बड़ी संख्या में कवियों और साहित्यकारों को आश्रय दिया। यहां के अधिकांश शासक साहित्यानुरागी थे। राज्य के […]