विधानसभा चुनाव 1977 और मथुरा जिला

पिछले अंक में हमने जाना कि 1769 तक मथुरा की राजनीति पर अपना दबदबा कायम रखने वाली कांग्रेस 1974 में बीकेडी के बढ़ते वर्चस्व के सामने महज एक सीट पर सिमट कर रह गई थी। 1977 का विधानसभा चुनाव जिले में कांग्रेस के लिए और भी बुरा साबित हुआ क्योंकि आजादी के बाद यह पहला अवसर था जबकि कांग्रेस जिले की छहों सीटें जनता पार्टी के सामने हार गई। इसकी वजह 1975 में लगाया गया राष्ट्रव्यापी आपात काल था। इस लेखमाला में जनपद स्तर की राजनीतिक चर्चा तक ही सीमित रहना है इसलिए राष्ट्रीय राजनीति पर बात करने से विषयांतर हो सकता है।

वर्ष 1977 में हुआ था यह चुनाव

सीटों के नाम और उनके क्रम की बात करें तो इस बार कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। आरक्षण की स्थिति भी पूर्ववत गोवर्धन विधानसभा की सीट पर ही थी। सीटों के नाम और उनके क्रम निम्नवत रहे।

  1. गोवर्धन (362) [सुरक्षित]
  2. मथुरा (363)
  3. छाता (364)
  4. मांट (365)
  5. गोकुल (366)
  6. सादाबाद (367)

इस बार मतदान की तिथि थी 06-10-1977।

कुछ तरह रहा चुनाव परिणाम

गोवर्धन विधानसभा क्षेत्र 

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 126851 थी, जिनमें से 36.31% यानी 46060 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 448 मत निरस्त पाए गए और 45612 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत मिली जनता पार्टी के प्रत्याशी और पिछले बार के विधायक ज्ञानेंद्र स्वरूप को, जिन्हें 27702 वोट मिले। इनके मुख्य मुकाबले में रहे कांग्रेस के पूरन सिंह, जिन्हें 9267 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक कन्हैयालाल जिन्हें 7219 वोट मिले।

मथुरा विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 122322 थी, जिनमें से 51.11% यानी 62523 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 794 मत निरस्त पाए गए और 61729 मत वैध पाए गए। इस चुनाव में जीत मिली जनता पार्टी के प्रत्याशी कन्हैयालाल गुप्त को, जिन्हें 37813 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस के प्रत्याशी और वरिष्ठ नेता लक्ष्मीरमन आचार्य से, जिन्हें 21354 वोट मिले।

छाता विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 124946 थी, जिनमें से 43.75% यानी 54662 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 769 मत निरस्त पाए गए और 53893 मत वैध पाए गए। इस चुनाव में जीत मिली जनता पार्टी के प्रत्याशी और इस सीट पर पूर्व में विधायक रहे लक्खी सिंह को, जिन्हें 29557 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व में इसी सीट से विधायक रहे बाबू तेजपाल सिंह से, जिन्हें 20437 वोट मिले। निर्दलीय चौधरी समुंदर सिंह को 3415 वोट मिले।

मांट विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 129036 थी, जिनमें से 45.57% यानी 58796 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 586 मत निरस्त पाए गए और 58210 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हुई जनता पार्टी के प्रत्याशी और पूर्व में इसी सीट पर विधायक रहे राधेश्याम शर्मा की, जिन्हें 22337 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस के प्रत्याशी लोकमणि शर्मा से, जिन्हें 15527 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय प्रत्याशी चौधरी चतुर सिंह, जिन्हें 14832 वोट मिले। निर्दलीय तुलाराम को 3696 वोट मिले।

गोकुल विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 123941 थी, जिनमें से 40.17% यानी 49788 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 378 मत निरस्त पाए गए और 49410 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की जनता पार्टी के प्रत्याशी ओंकार सिंह ने, जिन्हें 35620 वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के प्रत्याशी रमेश चंद जिन्हें 11945 वोट मिले।

सादाबाद विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 123079 थी, जिनमें से 46.66% यानी 57434 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 511 मत निरस्त पाए गए और 56923 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल हुई जनता पार्टी के प्रत्याशी हुकुम चंद्र तिवारी को, जिन्हें 36094 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस के प्रत्याशी ओंकार सिंह के साथ, जिन्हें 17008 वोट मिले।

एक नजर चुनाव परिणामों पर

जैसा कि यह सर्वविदित है कि आपातकाल के तुरंत बाद सम्पन्न हुए इस चुनाव में कांग्रेस के प्रति सारे देश में विरोध का माहौल था, मथुरा में भी यही देखने को मिला। जनता पार्टी के अंदर अधिकांश दल मिलकर चुनाव लड़ रहे थे। इस संयुक्त ताकत के सामने जिले में कांग्रेस का कोई नेता नहीं ठहर सका। कई बार के विधायक लक्ष्मीरमन आचार्य मथुरा सीट पर कन्हैया लाल गुप्त के सामने हार गए। कांग्रेस हर सीट पर दूसरे स्थान पर नजर आई। ज्यादातर विजेता प्रत्याशियों को आधे से अधिक वोट मिले। गोवर्धन से ज्ञानेन्द्र स्वरूप को 60.73%, मथुरा से कन्हैयालाल गुप्त को 61.26%, गोकुल से ओंकार सिंह को 72.09%, सादाबाद से हुकुम चन्द्र तिवारी को 63.41% वोट मिले व छाता से लक्खी सिंह को 54.84% वोट मिले। सिर्फ मांट सीट पर चुनाव त्रिकोणीय हुआ।

विधायकों का परिचय

विधायक ज्ञानेंद्र स्वरूप (गोवर्धन)

ज्ञानेंद्र स्वरूप

विधायक ज्ञानेंद्र स्वरूप का जन्म 11 दिसम्बर 1932 को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री डालचंद्र था। इनकी शिक्षा मथुरा में हुई थी। जून 1951 में इनका विवाह श्रीमती प्रेमवती के साथ हुआ था। इनका व्यवसाय कृषि था। ये भारतीय हायर सेकंडरी स्कूल अडींग के प्रबंधक रहे थे। ये वर्ष 1974 में गोवर्धन (सुरक्षित) सीट से भारतीय क्रांतिदल के टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा में पहुंचे थे। 1977 के चुनाव में ये जनता पार्टी के टिकट पर गोवर्धन की सीट से जीतकर एक बार फिर विधानसभा पहुंचे थे। इनकी कृषि और खेलों में विशेष रुचि थी। इनका मुख्यावास ग्राम अडींग, जिला मथुरा में था।

विधायक कन्हैयालाल गुप्त 

कन्हैयालाल गुप्त

विधायक कन्हैयालाल गुप्त का जन्म 7 मार्च 1917 को हुआ था। ये मूल रूप से मांट गांव के रहने वाले थे। इन्होंने अपने जीवन की शुरुआत शिक्षक के तौर पर की और क्लेंसी इंटर कालेज मथुरा, हजारीमल सोमानी नगर पालिका इंटर कालेज वृंदावन में शिक्षक के रूप में सेवा की। बाद में इन्होंने चंपा अग्रवाल इंटर कालेज मथुरा के प्रधानाचार्य के रूप में कार्य किया। इन्होंने शिक्षकों की दशा सुधारने के लिए महत्त्वपूर्ण प्रयास किये जिसके चलते ये दो बार शिक्षक विधायक (विधान परिषद सदस्य) बनाये गए। आपातकाल में जब शिक्षकों ने जबरन नसबंदी अभियान का विरोध शुरू किया तब इन्होंने शिक्षकों के पक्ष में आंदोलन किया। जिसके कारण सरकार इनसे चिढ़ गई और मथुरा के तत्कालीन डीएम के आदेश पर इन्हें  कॉलेज के प्रधानाचार्य कक्ष से ही गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इन पर डीआईआर मीसा के तहत कार्रवाई की गई। जेल से बाहर आने पर इन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और जनता पार्टी के टिकट पर 1977 का विधानसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में जीत कर वह विधानसभा पहुंचे। क्षेत्र में तमाम उल्लेखनीय कार्य उन्होंने कराए। इनकी सिद्धान्तप्रियता के कारण आज भी लोग इनका स्मरण करते हैं। इनका मुख्यावास बाग बुंदेला, वृंदावन में था।

विधायक लक्खी सिंह (छाता)

लक्खी सिंह

विधायक लक्खी सिंह का जन्म गांव ऐच जिला मथुरा में सन 1916 ईसवी में हुआ था। इनके पिता का नाम माधो सिंह था। इनका विवाह सरस्वती देवी के साथ हुआ था। इन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सहभागिता की थी। व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने के कारण सन 1941 में एक वर्ष कैद और 50 रुपये जुर्माने की सजा मिली। 25 मार्च 1942 को फिरोजपुर में गिरफ्तार हुए और नौ मास जेल में रहे। पुनः गिरफ्तार हुए और तीन मास की कैद हुई। ये ग्राम प्रधान, अदालती पंच और जिला बोर्ड के सदस्य रहे थे। ये पहली बार 1962 में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर छाता से विधायक चुने गए। इनकी लिखने-पढ़ने और राजनीतिक कार्यों में विशेष रुचि थी।  इनका व्यवसाय कृषि था। ये विधानसभा की आश्वासन और प्राक्कलन समिति के सदस्य भी रहे थे। वर्ष 1977 में ये जनता पार्टी की टिकट पर एक बार फिर इसी सीट पर विधायक चुने गए।

विधायक राधेश्याम शर्मा (मांट)

राधेश्याम शर्मा

विधायक राधेश्याम शर्मा का जन्म एक जनवरी 1933 को अलीगढ़ जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम तारा चंद शर्मा था। इनका विवाह 1952 में सत्यवती देवी से हुआ था। इनकी कला, विज्ञान और लोकगीतों में विशेष रुचि थी। ये कई सामाजिक और शैक्षिक संस्थाओं से सम्बद्ध रहे थे। ये सोशलिस्ट पार्टी से पहली बार विधान सभा के लिए 1962 में चुने गए। 1977 के विधानसभा चुनाव में ये जनता पार्टी के टिकट पर एक मांट सीट से फिर विधायक बने। ये विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के सदस्य रहे थे। सप्तम विधानसभा में इन्हें प्राक्कलन समिति का सभापति मनोनीत किया गया था। इनका मुख्यावास डेम्पियर नगर मथुरा में था।

विधायक ओंकार सिंह (गोकुल)

ओंकार सिंह

विधायक ओंकार सिंह का जन्म 17 जुलाई 1931 को गांव बिचपुरी, पोस्ट कुम्हा जिला मथुरा में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री राम सिंह था। इन्होंने बीए तक शिक्षा प्राप्त की थी। फरवरी 1947 में इनका विवाह श्रीमती रनवीरी देवी के साथ हुआ था। इनका व्यवसाय कृषि था। वर्ष 1977 के विधानसभा चुनाव में ये गोकुल सीट से जनता पार्टी के टिकट पर जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। इनकी देशाटन और अध्ययन में विशेष रुचि थी और सामाजिक कार्यों में संलग्न रहते थे। इनका मुख्यावास गांव बिचपुरी, पोस्ट कुम्हा, जिला मथुरा में था।

विधायक हुकुम चन्द्र तिवारी (सादाबाद)

हुकुम चंद्र तिवारी

विधायक हुकुम चंद्र तिवारी का जन्म 4 जुलाई 1936 को हुआ। इनके पिता का नाम श्री प्यारेलाल तिवारी था। इन्होंने मथुरा से एमए एलएलबी तक शिक्षा प्राप्त की। मई 1959 को इनका विवाह श्रीमती कमलेश के साथ हुआ। 1954 से आपने विभिन्न प्रकार की सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आंदोलन किये जैसे के दहेज विरोधी आंदोलन, मृत्यु भोज विरोधी आंदोलन, बाल विवाह के विरुद्ध प्रचार, छुआछूत के विरोध में आंदोलन। हरिजन बस्तियों में आपने पाठशालाओं का संचालन आरम्भ किया। 1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर आप पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए। रचनात्मक कार्यों के द्वारा आप जनजागरण करने का प्रयास करते रहते हैं। समाचार पत्रों के माध्यम से आप लेख समीक्षा करते हैं। अध्ययन और भृमण में आपकी विशेष रुचि है। इनका मुख्यावास दलपत खिड़की मथुरा में है।

(आंकड़े निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से लिये गए हैं।)

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