पिछले अंक में हमने जाना कि 1969 में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना दमदार प्रदर्शन किया और जनपद की छह में से पांच सीटों पर कब्जा कर लिया। वहीं गोकुल की सीट भारतीय क्रांतिदल के खाते में गई। उस चुनाव में बीकेडी ने भी अच्छा वोट शेयर प्राप्त किया। छह में से जो पांच सीटें कांग्रेस ने जीतीं थीं उनमें सभी पर मुख्य मुकाबले में भारतीय क्रांतिदल के ही प्रत्याशी रहे थे। 1974 कि चुनाव में बीकेडी ने अपने प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार किया और चुनाव परिणाम की तस्वीर 1969 के चुनाव के ठीक उलट हो गई। जी हां, इस बार जिले की पांच सीटें बीकेडी ने जीत लीं और मात्र एक मथुरा की सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी को विजय मिल पाई।
वर्ष 1974 में हुआ था यह चुनाव
सीटों के नाम और उनके क्रम की बात करें तो इस बार कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। आरक्षण की स्थिति भी पूर्ववत गोवर्धन विधानसभा की सीट पर ही थी। सीटों के नाम और उनके क्रम निम्नवत रहे।
- गोवर्धन (362) [सुरक्षित]
- मथुरा (363)
- छाता (364)
- मांट (365)
- गोकुल (366)
- सादाबाद (367)
इस बार मतदान की तिथि थी 24 फरवरी 1974।
कुछ इस तरह रहा चुनाव परिणाम
गोवर्धन विधानसभा क्षेत्र
इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 121822 थी, जिनमें से 64.61% यानी 78714 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 1429 मत निरस्त पाए गए और 77285 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की भारतीय क्रांतिदल के प्रत्याशी ज्ञानेंद्र स्वरूप ने, जिन्हें 39021 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस के प्रत्याशी और पिछले बार के विधायक कन्हैयालाल से, जिन्हें 27921 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे जनसंघ के प्रत्याशी गिरवर, जिन्हें 5076 वोट मिले।
मथुरा विधानसभा क्षेत्र
इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 110164 थी, जिनमें से 61.93% यानी 68230 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 1157 मत निरस्त पाए गए और 67073 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत मिली कांग्रेस के प्रत्याशी रामबाबू को, जिन्हें 22826 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी बांके बिहारी माहेश्वरी से, जिन्हें 16399 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे बीकेडी के प्रत्याशी और पूर्व विधायक देवी चरण अग्निहोत्री, जिन्हें 12524 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे निर्दलीय रमेश चंद्र शर्मा, जिन्हें 10776 वोट मिले।
छाता विधानसभा क्षेत्र
इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 119660 थी, जिनमें से 65.43% यानी 78290 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 1482 मत निरस्त पाए गए और 76808 मत वैध पाए गए। इस सीट पर विजय मिली भारतीय क्रांतिदल के प्रत्याशी राधा चरण सिंह को, जिन्हें 27422 वोट मिले। इनके मुख्य मुकाबले में रहे कांग्रेस के प्रत्याशी और पिछले बार के विधायक बाबू तेजपाल सिंह, जिन्हें 22009 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी किशोरी श्याम, जिन्हें 15887 वोट मिले।
मांट विधानसभा क्षेत्र
इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 121992 थी, जिनमें से 63.83% यानी 77862 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 1623 मत निरस्त पाए गए और 76239 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत मिली भारतीय क्रांतिदल के प्रत्याशी चंदन सिंह को, जिन्हें 33565 वोट मिले। इनके मुख्य मुकाबले में रहे कांग्रेस के प्रत्याशी और इसी सीट से चार बार विधायक रहे वरिष्ठ नेता लक्ष्मीरमन आचार्य, जिन्हें 20731 वोट मिले। लक्ष्मीरमन आचार्य का इस सीट पर यह छठवां और अंतिम चुनाव था। तीसरे स्थान पर रहे सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी और पूर्व विधायक राधेश्याम शर्मा, जिन्हें 15933 वोट मिले।
गोकुल विधानसभा क्षेत्र
इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 118020 थी, जिनमें से 64.66% यानी 76312 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 1387 मत निरस्त पाए गए और 74925 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत मिली भारतीय क्रांतिदल की प्रत्याशी गायत्री देवी को, जिन्हें 38724 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व में विधायक रहे गंगा प्रसाद से, जिन्हें 24320 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे एनसीओ के प्रत्याशी सरफराजुल हसन, जिन्हें 5503 वोट मिले। पांचवें स्थान पर रहे जनसंघ के प्रत्याशी राजन लाल जिन्हें 2290 वोट मिले।
सादाबाद विधानसभा क्षेत्र
इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 119408 थी, जिनमें से 64.32% यानी 76802 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 1305 मत निरस्त पाए गए और 75497 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की भारतीय क्रांतिदल के प्रत्याशी राम प्रकाश ने, जिन्हें 45477 वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के प्रत्याशी और चार बार के विधायक रहे अशरफ अली खान, जिन्हें 25625 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय राम दास को 2092 वोट मिले।
एक नजर चुनाव परिणाम पर
इस चुनाव में भारतीय क्रांतिदल की जबरदस्त लहर मथुरा जनपद में देखने को मिली। बीकेडी के नेता चौधरी चरण सिंह ने स्वयं अपनी पत्नी गायत्री देवी को जिले की गोकुल सीट से मैदान में उतारा। जिसका असर जिले की सारी सीटों पर दिखा और बीकेडी को छह में से पांच स्थानों पर सफलता मिल गई। यह चुनाव कांग्रेस के लिए सर्वाधिक बुरा अनुभव देने वाला रहा। जिले में कांग्रेस महज एक सीट पर सिमट कर रह गई। कांग्रेस के दिग्गज नेता और चार बार के विधायक लक्ष्मीरमन आचार्य और अशरफ़ अली खान जैसे नेताओं को पराजय का मुंह देखना पड़ा। लक्ष्मीरमन आचार्य और अशरफ अली खान के राजनीतिक सफर की समाप्ति भी इसी चुनाव से तय हुई। गोकुल सीट पर जीत दर्ज करके गायत्री देवी जिले से चुनी गई पहली महिला विधायक बनीं। उनके बाद से अब तक कोई भी महिला जिले की किसी भी सीट से विधायक नहीं चुनी गई है।
विधायकों का परिचय
विधायक ज्ञानेंद्र स्वरूप (गोवर्धन)
विधायक ज्ञानेंद्र स्वरूप का जन्म 11 दिसम्बर 1932 को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री डालचंद्र था। इनकी शिक्षा मथुरा में हुई थी। जून 1951 में इनका विवाह श्रीमती प्रेमवती के साथ हुआ था। इनका व्यवसाय कृषि था। ये वर्ष 1974 में गोवर्धन (सुरक्षित) सीट से भारतीय क्रांतिदल के टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा में पहुंचे थे। इनकी कृषि और खेलों में विशेष रुचि थी। इनका मुख्यावास ग्राम अडींग, जिला मथुरा में था।
विधायक राम बाबू (मथुरा)
विधायक रामबाबू मिश्रा दो अगस्त 1934 को मथुरा में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री कन्हैयालाल चतुर्वेदी था। इन्होंने बीकॉम एलटी तक शिक्षा प्राप्त की थी। इनका विवाह 1972 में श्रीमती करुणा मिश्र के साथ हुआ था। ये पेशे से पत्रकार थे। 1974 के विधानसभा चुनाव में ये मथुरा सीट से विधायक बने। पत्रकार और छात्र नेता के रूप में इन्होंने अमेरिका, कनाडा, वर्मा, चाइना, हांगकांग और सिंगापुर आदि देशों का भ्रमण किया था। खेलकूद में इनकी विशेष रुचि थी। गृह, सूचना, शिक्षा आदि विषयों से भी इन्हें विशेष प्रेम था। इनका मुख्यावास चूना कंकड़, मथुरा में था।
विधायक राधा चरण सिंह (छाता)
विधायक राधा चरण सिंह का जन्म दो जनवरी 1914 को छाता में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अजय चन्द्र था। इन्होंने छाता और मथुरा में हाई स्कूल तक शिक्षा पाई। जून 1926 में इनका विवाह श्रीमती हरदेवी के साथ हुआ था। इनका व्यवसाय कृषि था। 1974 के विधानसभा चुनाव में ये छाता सीट से पहली बार विधायक बने। शिक्षा सम्बन्धी कार्यों में इनकी विशेष रुचि थी। इनका मुख्यावास पिलुआ सादिकपुर, जिला मथुरा में था।
विधायक चंदन सिंह (मांट)
विधायक चंदन सिंह का जन्म 10 जून 1944 को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री जग्गू सिंह था। इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से बीए एलएलबी तक शिक्षा प्राप्त की। 1965 में इनका विवाह श्रीमती ओमश्री के साथ हुआ। 1974 के विधानसभा चुनाव ये मांट सीट से पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए। बाद में आपातकाल के दौरान इन्हें गिरफ्तार किया गया। आगे 1980 के चुनाव में ये छाता विधानसभा क्षेत्र से भी विधायक चुने गए। आप वर्तमान में राजनीति और समाजसेवा में संलग्न हैं।
विधायक गायत्री देवी (गोकुल)
विधायक गायत्री देवी का जन्म गढ़ी कुंडल, जिला रोहतक, हरियाणा में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री गंगा राम था। इनकी शिक्षा कन्या महाविद्यालय जालंधर में सम्पन्न हुई थी। इनका विवाह 1925 में चौधरी चरण सिंह के साथ हुआ था। चौधरी चरण सिंह आगे चलकर भारत के प्रधानमंत्री बने थे। गायत्री देवी गाजियाबाद स्त्री समाज की सेक्रेटरी रहीं और सत्याग्रह में भाग लिया था। 1946 में लखनऊ में समाज सेवा कार्यों में, विशेषकर महिला उत्थान कार्यों में तत्पर रहीं। 1969 के मध्यावधि चुनाव में अलीगढ़ जिले की इगलास सीट से चुनाव जीतकर ये पहली बार विधानसभा पहुंचीं थीं। 1974 के विधानसभा चुनाव में गायत्री देवी मथुरा की गोकुल सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचीं। कृषि और गृह कार्यों में इनकी विशेष रुचि थी। इनका मुख्यावास माल एवेन्यू रोड, लखनऊ में था।
विधायक राम प्रकाश यादव (सादाबाद)
विधायक रामप्रकाश यादव का जन्म 22 फरवरी 1942 को मथुरा जिले के गांव बुढाइच में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री गेंदन सिंह यादव था। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से एमएससी एलएलबी (गोल्ड मेडलिस्ट) तक शिक्षा प्राप्त की। 1966 में इनका विवाह श्रीमती शशि यादव के साथ हुआ। ये जनता इंटर कालेज सहपऊ के प्रबंधक, सहकारी संघ सहपऊ के अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश राज सहकारी बैंक सहपऊ के अध्यक्ष रहे। 1974 के विधानसभा चुनाव में ये सादाबाद सीट से जीतकर पहली बार विधायक बने। अध्यापन और खेलकूद में इनकी विशेष रुचि रही। इनका मुख्यावास गांव बुढाइच, जलेसर रोड, मथुरा में था।
(आंकड़े निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से लिये गए हैं।)
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