विधानसभा चुनाव 1962 और मथुरा जिला

पिछले दो अंकों में हमने मथुरा जिले की विधानसभाओं में लोगों का रुझान कांग्रेस की तरफ देखा। पर यह स्थिति जल्द ही बदलने लगी। पहले चुनाव में छह की छह सीटें जितने वाली कांग्रेस के हाथ से दूसरे चुनाव में सादाबाद की एक सीट सोशलिस्ट पार्टी ने जीत ली। तीसरे चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी ने कांग्रेस को और अधिक नुकसान पहुंचाया। इस बार सीटों के नाम और क्रम में फिर से परिवर्तन देखने को मिला।

तीसरा विधानसभा चुनाव हुआ वर्ष 1962 में

सीटों का नए सिरे से परिसीमन इस चुनाव में भी देखने को मिला। मुख्य परिवर्तन यह था कि दो विधायकों को चुन कर भेजने वाले मांट क्षेत्र को दो भागों में बांट दिया गया। मांट क्षेत्र के आधे भाग को अलग करके गोकुल के नाम से एक नया विधानसभा क्षेत्र  बना दिया गया। यह गोकुल क्षेत्र दलितों के लिए आरक्षित कर दिया गया। इस प्रकार मथुरा जिले में सीटों की संख्या तो छह ही रही पर विधानसभा क्षेत्रों की संख्या भी बढ़कर छह ही हो गई। 

नयी सीटों के नाम और क्रम इस प्रकार रखे गए।

  1. मथुरा (370)
  2. गोवर्धन (371)
  3. छाता (372)
  4. मांट (373)
  5. गोकुल (374) [आरक्षित]
  6. सादाबाद (375)

इस बार मतदान की तारीख थी 19 फरवरी 1962।

एक नजर चुनाव परिणामों पर

मथुरा विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाता थे 89315 जिनमें से 61.74% यानी 55139 ने मतदान किया। डाले गए वोटों में से 5.37% यानी 2963 वोट निरस्त हो गए। इस प्रकार कुल 52139 वोट वैध पाए गए।

यह सीट पिछली दो बार की तरह फिर से कांग्रेस के खाते में ही गई। मुख्य मुकाबले में पिछली बार की तरह ही जनसंघ का प्रत्याशी रहा। चुनाव जीता कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे केदारनाथ भार्गव ने जिन्हें 21700 वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे जनसंघ के देवी चरन को 18746 वोट मिले। सीपीआई के दामोदर को 7070, रिपब्लिकन पार्टी के किशन लाल को 2754, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के नृत्येन्द्र बिहारी को 472, निर्दलीय इंदर सेन को 458, निर्दलीय कृष्ण दास को 393, निर्दलीय ध्रुवजी को 389 तथा सोशलिस्ट पार्टी के लक्ष्मण प्रसाद को 194 वोट मिले।

गोवर्धन विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाता थे 102815 जिनमें से 51.21% यानी कुल 52647 लोगों ने मतदान किया। इसमें से 5.87% यानी 3088 वोट निरस्त पाए गए। इस प्रकार कुल वैध मतों की संख्या थी 49559।

इस सीट पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री आचार्य जुगल किशोर ने अपना कब्जा बरकरार रखा। उनका मुख्य मुकाबला रहा जनसंघ के प्रत्याशी से। विजेता कांग्रेस के आचार्य जुगल किशोर ने 17621 वोट प्राप्त किये। दूसरे स्थान पर रहे जनसंघ के वजीर चंद ने 11973 वोट हासिल किए। निर्दलीय जगन को 7188, रिपब्लिकन पार्टी के खजानजी को 6510, सोशलिस्ट उदयवीर सिंह को 3175, स्वतंत्र पार्टी के जंगीराम को 1898 तथा निर्दलीय करन सिंह को 1264 वोट मिले।

छाता विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या थी 95836, जिनमें से 61.21% यानी 58663 लोगों ने वोट डाले। डाले गए वोटों में से 4.98% यानी कुल 2920 वोट निरस्त पाए गए। इस प्रकार इस सीट पर वैध मतों की कुल संख्या 55743 रही।

इस सीट का परिणाम परिवर्तन प्रस्तुत करने वाला रहा। यहां दो बार से लगातार विधायक रहे कांग्रेस के रामहेत सिंह को हार का सामना करना पड़ा। विजय मिली सोशलिस्ट पार्टी के लक्खी सिंह को तथा उनके मुख्य मुकाबले में रहे जनसंघ के टीकम सिंह। विजेता लक्खी सिंह को 18343 वोट मिले जबकि जनसंघ के टीकम सिंह को 10828 वोट मिले। कांग्रेस के पूर्व विधायक रामहेत सिंह को 9657, स्वतंत्र पार्टी के लेखराज सिंह को 8805, रिपब्लिकन पार्टी के कारे सिंह को 5196 तथा निर्दलीय तेजी को 2914 वोट मिले।

मांट विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या थी 87089 जिनमें से 55.47% यानी 48308 ने मतदान किया। इनमें से 5.87% यानी 2834 वोट निरस्त व 4 वोट गायब पाए गए। इस प्रकार इस सीट पर कुल वैध मतों की संख्या 45470 रही।

इस सीट पर परिवर्तन देखने को मिला। यहां विजय हाथ लगी सोशलिस्ट पार्टी के राधेश्याम के वहीं इस क्षेत्र से लगातार दो बार से जीत रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लक्ष्मी रमण आचार्य को हार का मुंह देखना पड़ा। विजेता राधेश्याम को 16669 वोट मिले जबकि मुख्य मुकाबले में रहे लक्ष्मी रमण आचार्य को 15079 वोट मिले। जनसंघ के रविन्द्र पाल सिंह को 5530, रिपब्लिकन पार्टी के राम लाल को 4545, निर्दलीय हरपाल सिंह को 2909 तथा स्वतंत्र पार्टी के सुरेंद्र सिंह को 738 वोट मिले।

गोकुल विधानसभा क्षेत्र

इन्हीं चुनावों में नई अस्तित्व में आई यह सीट दलितों के लिए आरक्षित थी। इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या थी 83932, जिनमें से 40.90% यानी कुल 34338 लोगों ने वोट डाले। इनमें से 6.88% यानी 2361 वोट निरस्त पाए गए। इस प्रकार इस सीट पर कुल वैध मतों की संख्या 31977 थी।

इस सीट पर विजय हासिल की कांग्रेस के कन्हैया लाल ने, जिनके मुख्य मुकाबले में रहे जनसंघ के राजा राम। विजेता कन्हैया लाल को कुल 13392 वोट मिले। जबकि जनसंघ के राजा राम को 5963 वोट मिले। स्वतंत्र पार्टी के बाबू को 3720, निर्दलीय मान सिंह को 2306, सोशलिस्ट पार्टी के बृज लाल को 1947, रिपब्लिकन पार्टी के बेनी राम को 1878, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के गंगा राम को 1041, निर्दलीय निहाल सिंह को 1031 तथा निर्दलीय शिव प्रसाद को 699 वोट मिले।

सादाबाद विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 84814 थी जिनमें से 54.02% यानी कुल 45820 लोगों ने वोट डाले। डाले गए वोटों में से 5.22% यानी 2393 वोट निरस्त पाए गए। इस सीट पर कुल 43427 वोट वैध पाए गए।

इस सीट पर एक बार फिर परिवर्तन देखने को मिला। पिछला चुनाव गवां चुके कांग्रेस के अशरफ अली खान कुंवर एक बार फिर भारी पड़े। उनके मुख्य मुकाबले में रहे निर्दलीय चंद्र पाल। विजेता अशरफ अली खान ने 17934 वोट हासिल किए वहीं दूसरे स्थान पर रहे निर्दलीय चंद्र पाल को 9015 वोट मिले। रिपब्लिकन पार्टी के छिद्दा को 5486, निर्दलीय बेद प्रकाश को 4138, स्वतंत्र पार्टी के राम सरन को 2829, सोशलिस्ट पार्टी के शौकत अली को 2096, निर्दलीय रोशन अली को 833, राम राज्य परिषद के सोहन लाल को 475, निर्दलीय छेदा लाल को 416 तथा निर्दलीय बासुदेव को 205 वोट मिले।

कांग्रेस ने गवां दी दो सीटें

पहले विधानसभा चुनाव में मथुरा जिले की सभी छह सीटों पर जीतने वाली कांग्रेस दूसरे विधानसभा चुनाव में सादाबाद की सीट को सोशलिस्ट पार्टी के हाथ गवां चुकी थी। इस बार कांग्रेस ने दो सीटें गवां दी थीं। सादाबाद की सीट तो अशरफ अली खान फिर से कांग्रेस के पाले में ले आने में सफल रहे थे। पर छाता और मांट के दिग्गज रामहेत सिंह एवं लक्ष्मी रमण आचार्य अपनी सीटें इस बार नहीं बचा पाए। दोनों को ही सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवारों के आगे हार का मुंह देखना पड़ा।

विधायकों का परिचय

विधायक केदार नाथ भार्गव (मथुरा)

ये मथुरा सीट से 1962 में पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए। ये कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे। इनका मुख्यावास मंडी रामदास मथुरा में था। इनका चित्र उपलब्ध नहीं है।

विधायक आचार्य जुगल किशोर (गोवर्धन)

विधायक आचार्य जुगल किशोर

इनका जन्म वर्ष 1894 सहारनपुर जिले के पतेहर में हुआ था। इनके पिता का नाम प्रभु दयाल था। ये उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए वर्ष 1913 से 1920 तक इंग्लैंड में रहे। इन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री प्राप्त की। 1930 में नमक सत्याग्रह आंदोलन के दौरान ये एक जत्था लेकर आगरा गए जिसके कारण उन्हें कैद हुई। वर्ष 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने के कारण एक वर्ष का कारावास और 100 रुपये जुर्माना की सजा हुई। व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने के कारण 1940 में उन्हें एक वर्ष का कारावास मिला। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण ये नजरबंद किये गए। ये वर्ष 1937 में पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए। वर्ष 1946 में ये विधान निर्मात्री परिषद के सदस्य भी चुने गए थे। आजादी के बाद ये मथुरा दक्षिण सीट से विधायक बने और राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल हुए। इनकी पत्नी शांति देवी आचार्या भी स्वतंत्रता आंदोलन में बराबर सक्रिय रहीं। श्रीमती शांति देवी ने 1933 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में सहभागिता की और छह मास का कारावास दण्ड मिला। व्यक्तिगत सत्याग्रह में सहभागिता करने के कारण श्रीमती शांति देवी को 1940 में तीन मास के कारावास का दंड मिला। भारत छोड़ो आंदोलन में 1942 में उन्हें नजरबंद किया गया। श्रीमती शांति देवी आजादी के बाद उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य चुनी गईं।

विधायक लक्खी सिंह (छाता)

विधायक लक्खी सिंह

इनका जन्म गांव ऐच जिला मथुरा में सन 1916 ईसवी में हुआ था। इनके पिता का नाम माधो सिंह था। इनका विवाह सरस्वती देवी के साथ हुआ था। इन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सहभागिता की थी। व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने के कारण सन 1941 में एक वर्ष कैद और 50 रुपये जुर्माने की सजा मिली। 25 मार्च 1942 को फिरोजपुर में गिरफ्तार हुए और नौ मास जेल में रहे। पुनः गिरफ्तार हुए और तीन मास की कैद हुई।

ये ग्राम प्रधान, अदालती पंच और जिला बोर्ड के सदस्य रहे थे। ये पहली बार 1962 में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर छाता से विधायक चुने गए। इनकी लिखने-पढ़ने और राजनीतिक कार्यों में विशेष रुचि थी।  इनका व्यवसाय कृषि था। ये विधानसभा की आश्वासन और प्राक्कलन समिति के सदस्य भी रहे थे। वर्ष 1977 में ये जनता पार्टी की टिकट पर एक बार फिर इसी सीट पर विधायक चुने गए।

विधायक राधेश्याम शर्मा (मांट)

विधायक राधेश्याम शर्मा

इनका जन्म अलीगढ़ जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम तारा चंद शर्मा था। इनका विवाह 1952 में सत्यवती देवी से हुआ था। इनकी कला, विज्ञान और लोकगीतों में विशेष रुचि थी। ये कई सामाजिक और शैक्षिक संस्थाओं से सम्बद्ध रहे थे। ये सोशलिस्ट पार्टी से पहली बार विधान सभा के लिए 1962 में चुने गए।

विधायक कन्हैया लाल (गोकुल)

कन्हैया लाल

विधायक कन्हैयालाल का जन्म 1918 ईसवी में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री प्यारे लाल जाटव था। इन्होंने किशोरी रमन इंटर कॉलेज मथुरा और गवर्नमेंट ट्रेनिंग कॉलेज आगरा से शिक्षा प्राप्त की थी। 1940 में इनका विवाह श्रीमती भगवान देवी के साथ हुआ था। ये पूर्व में अध्यापक रहे थे बाद में इन्होंने प्रिंटिंग प्रेस का कारोबार किया। ये नगर पालिका मथुरा के सदस्य, शिक्षा समिति नगर पालिका के अध्यक्ष, सहकारी बैंक मथुरा के संचालक, आगरा यूनिवर्सिटी सीनेट के सदस्य, जिला हरिजन सेवक संघ के मंत्री तथा जिला दलित वर्ग संघ के अध्यक्ष भी रहे थे। देशाटन और विज्ञान में इनकी विशेष रुचि थी। कन्हैयालाल पहली बार वर्ष 1962 में गोकुल सीट से विधानसभा के सदस्य चुने गए थे। उस समय गोकुल सीट दलित वर्ग के लिये आरक्षित थी। अगले चुनाव के दौरान वर्ष 1967 में जब आरक्षण चक्र बदला और गोकुल के स्थान पर गोवर्धन सीट आरक्षित हुई तो इन्होंने अपना चुनावी क्षेत्र बदला और गोवर्धन से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा पर निर्दलीय खेमचंद्र के सामने ये चुनाव हार गए और दूसरे स्थान पर रहे। वर्ष 1969 के चुनाव में इन्हें गोवर्धन सीट पर जीत हासिल हुई। इनका मुख्यावास मनोहरपुरा, मथुरा में था।

विधायक अशरफ अली खान (सादाबाद)

विधायक अशरफ अली खान

ये कुंवर अशरफ अली खान के नाम से जाने जाते थे। इनका सम्बन्ध सादाबाद के नवाब परिवार से था। ये इस क्षेत्र से वर्ष 1952, 1962, 1967 व 1969 में विधायक चुने गए। इनका मुख्यावास गंज खुर्द, सादाबाद में था।

(आंकड़े निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से लिये गए हैं)

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