विधानसभा चुनाव 1989 और मथुरा जिला

पिछले अंक में हमने जाना कि जिले की राजनीति लोकदल और कांग्रेस के मध्य झूल रही थी। 1989 का चुनाव आते आते वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल का गठन हो गया था वहीं उनके साथ अजित सिंह भी आ जुटे। दूसरी ओर राम मंदिर आंदोलन के रास्ते राजनीति में अपनी पकड़ बना रही भारतीय जनता पार्टी भी मजबूत होने लगी थी। बोफोर्स घोटाले का आरोप झेल रहे राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस कमजोर नजर आ रही थी। इस राजनीतिक उठापटक का असर मथुरा जिले में भी देखने को मिला। 1989 के चुनाव में कांग्रेस मात्र एक सीट पर ही सिमट कर रह गई। भारतीय जनता पार्टी दो सीटें जीत गई वहीं जनता दल को तीन सीटें मिल गईं।

वर्ष 1989 में हुआ था यह चुनाव

सीटों के नाम और उनके क्रम की बात करें तो इस बार कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। आरक्षण की स्थिति भी पूर्ववत गोवर्धन विधानसभा की सीट पर ही थी। सीटों के नाम और उनके क्रम निम्नवत रहे।

  1. गोवर्धन (362) [सुरक्षित]
  2. मथुरा (363)
  3. छाता (364)
  4. मांट (365)
  5. गोकुल (366)
  6. सादाबाद (367)

इस बार मतदान की तिथि थी 23-11-1989।

कुछ इस तरह रहा चुनाव परिणाम

गोवर्धन विधानसभा क्षेत्र 

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 187608 थी, जिनमें से 53.47% यानी 100309 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 3543 मत निरस्त पाए गए और 96766 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की जनता दल के प्रत्याशी पूर्व में विधायक रहे ज्ञानेंद्र स्वरूप ने, जिन्हें 54348 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व में विधायक रहे कन्हैयालाल से, जिन्हें 35387 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे बहुजन समाज पार्टी के साहब सिंह जिन्हें 3239 वोट मिले।

मथुरा विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 204856 थी, जिनमें से 47.10% यानी 96486 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 4108 मत निरस्त पाए गए और 92378 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रविकांत गर्ग ने, जिन्हें 43660 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस के प्रत्याशी और पिछले बार के विधायक प्रदीप माथुर से, जिन्हें 38557 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे बहुजन समाज पार्टी के बाबुद्दीन को 2149 वोट मिले।

छाता विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 178715 थी, जिनमें से 55.82% यानी 99765 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 4534 मत निरस्त पाए गए और 95231 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी किशोरी श्याम ने, जिन्हें 32707 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा जनता दल के प्रत्याशी और पिछले बार के विधायक चौधरी लक्ष्मी नारायण से, जिन्हें 27109 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के प्रताप सिंह जिन्हें 11538 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे निर्दलीय कान्हा सिंह जिन्हें 8595 वोट मिले। पांचवें स्थान पर रहे बहुजन समाज पार्टी के जस राम जिन्हें 7179 वोट मिले। छठवें स्थान पर रहे बीकेपी के छीतर सिंह जिन्हें 5481 वोट मिले।

मांट विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 183149 थी, जिनमें से 54.63% यानी 100050 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 4834 मत निरस्त पाए गए और 95216 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की कांग्रेस के प्रत्याशी श्यामसुंदर शर्मा ने जिन्हें 34862 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा जनता दल के प्रत्याशी और पिछले बार के विधायक कुशलपाल सिंह से, जिन्हें 26488 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे लोकदल (बहुगुणा) के प्रत्याशी राधेश्याम शर्मा जिन्हें 21513 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे बहुजन समाज पार्टी के भूप सिंह जिन्हें 9237 वोट मिले।

गोकुल विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 181112 थी, जिनमें से 45.78% यानी 80112 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 2813 मत निरस्त पाए गए और 80112 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल हुई जनता दल के प्रत्याशी और पिछले दो बार के विधायक रहे सरदार सिंह को, जिन्हें 39099 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व सांसद दिगम्बर सिंह के पुत्र आदित्य चौधरी से जिन्हें 27401 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे बहुजन समाज पार्टी के सोनपाल जिन्हें 7506 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे भारतीय जनता पार्टी के प्रनत पाल सिंह जिन्हें 3806 वोट मिले।

सादाबाद विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 182698 थी, जिनमें से 48.60% यानी 88793 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 3337 मत निरस्त पाए गए और 85456 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल हुई जनता दल के प्रत्याशी और पिछले बार के विधायक मुस्तमन्द अली खान को, जिन्हें 47562 वोट मिले। इनका मुख्य मुक़ाबला रहा कांग्रेस के प्रत्याशी कुशल पाल से जिन्हें 13596 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय हुकुम चंद तिवारी जिन्हें 13096 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे बहुजन समाज पार्टी के भगवान सिंह जिन्हें 8046 वोट मिले।

एक नजर चुनाव परिणाम पर

यह चुनाव मथुरा की राजनीति में कमल खिलाने वाला साबित हुआ। यह पहला अवसर था जब भारतीय जनता पार्टी के किसी प्रत्याशी को जिले में सफलता मिली। छाता और मथुरा की सीटें भाजपा के पक्ष में गयीं। छाता से किशोरी श्याम जीते तो मथुरा से रविकांत गर्ग विधानसभा पहुंचे। मांट क्षेत्र के लिहाज से यह चुनाव सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण था क्योंकि इस चुनाव से श्यामसुंदर शर्मा ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। मांट क्षेत्र ने इसके बाद से अब तक लगातार श्याम सुंदर शर्मा को ही विधानसभा भेजा है।

विधायकों का परिचय

विधायक ज्ञानेंद्र स्वरूप

ज्ञानेंद्र स्वरूप

विधायक ज्ञानेंद्र स्वरूप का जन्म 11 दिसम्बर 1932 को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री डालचंद्र था। इनकी शिक्षा मथुरा में हुई थी। जून 1951 में इनका विवाह श्रीमती प्रेमवती के साथ हुआ था। इनका व्यवसाय कृषि था। ये भारतीय हायर सेकंडरी स्कूल अडींग के प्रबंधक रहे थे। ये वर्ष 1974 में गोवर्धन (सुरक्षित) सीट से भारतीय क्रांतिदल के टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा में पहुंचे थे। 1977 के चुनाव में ये जनता पार्टी के टिकट पर गोवर्धन की सीट से जीतकर एक बार फिर विधानसभा पहुंचे थे। 1985 के चुनाव में ज्ञानेंद्र स्वरूप कांग्रेस के बलजीत के सामने चुनाव हार गए। वर्ष 1989 के चुनाव में इन्होंने कांग्रेस के कन्हैयालाल को हराकर एक बार फिर जीत हासिल की। इनकी कृषि और खेलों में विशेष रुचि थी। इनका मुख्यावास ग्राम अडींग, जिला मथुरा में था।

विधायक रविकांत गर्ग

रविकांत गर्ग

विधायक रविकांत गर्ग का जन्म 9 दिसम्बर 1953 को मथुरा में हुआ। आपके पिता का नाम श्री भगवान दास गर्ग था। आपने इंटरमीडिएट तक शिक्षा हासिल की। वर्ष 1971 में आपका विवाह श्रीमती मीरा गर्ग के साथ हुआ। वर्ष 1975-76 में आपातकाल के दौरान आप मथुरा जेल में बन्द रहे। 1975 और 1984 के बिजली आंदोलनों तथा 1989-81 एवं 1984 के उर्दू विरोध के आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई। 1973 में उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मंडी अधिनियम के अंतर्गत किये गए संशोधनों के विरोध में सभी छोटे-बड़े व्यापारी एवं ढकेल, खोमचे वालों को उक्त उत्पीड़नों से मुक्त कराया। 1975 में आप तिलकद्वार व्यवसाय समिति के मंत्री, भारतीय युवा संघ (भारतीय जनसंघ की युवा शाखा) के संगठन सचिव, अग्रवाल सेवा संघ के मंत्री व अध्यक्ष, श्री रामलीला सभा के सदस्य व प्रबंध मंत्री, संयुक्त व्यवसायी संगठन के मंत्री, अग्रवाल चेरिटेबल अस्पताल के मंत्री, श्रीराम लीला समिति के अध्यक्ष, स्माल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष, द्वितीय राजभाषा विरोधी समिति के जिला संयोजक, भाजपा के नगर निकाय संयोजक, उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के प्रांतीय संगठन मंत्री आदि पदों पर रहे हैं। साथ ही साहित्यिक संस्था रस भारती आदि से जुड़े रहे हैं। 1989 के चुनाव में आप पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए। वर्ष 1991 के चुनाव में आप दूसरी बार विधानसभा के लिए चुने गए। साथ ही कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में ऊर्जा राज्यमंत्री बनाए गए। जनसेवा, समाजसेवा, अध्ययन, लेखन और चिंतन में आपकी विशेष रुचि है। वर्तमान में आप उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष हैं। आपका मुख्यावास गताश्रम टीला मथुरा में है। 

विधायक किशोरी श्याम

किशोरी श्याम

विधायक किशोरी श्याम का जन्म सन 1933 में मथुरा जिले की छाता तहसील के गांव खायरा में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री तेजीराम था। वर्ष 1945 में इनका विवाह श्रीमती भगवती देवी के साथ हुआ था। इनका व्यवसाय कृषि और व्यापार था। ये वर्ष 1954 में लखनऊ कारगर में दो मास, 1975 में डीआईआर में एक मास और बाद में मीसा में लगातार 19 मास जिला कारागार मथुरा में तनहाई में रखे गए। 1975 में एक वर्ष तो जनसंघ के जिलाध्यक्ष रहे हैं। आपने सांप की एक विशेष औषधि से हजारों लोगों की प्राणरक्षा की थी। 1962 में मल्लयुद्ध में अपने एक साथी के साथ मिलकर आपने एक शेर को मारा। शेर ने आपका हाथ चबा लिया जिसके कारण आपको 17 टांके लगे। इस वीरता के लिए आपको पुरस्कृत भी किया गया। आपने खायरा में विद्यालय की स्थापना कराई और उसके प्रबंधक भी रहे। छाता से बरसाना की 10 मील की सड़क का निर्माण आपने श्रमदान से कराया। आप आरएसएस के प्रचारक भी रहे थे। वर्ष 1974 के चुनाव में आप जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़े पर बीकेडी के राधा चरण सिंह के सामने चुनाव हार गए। वर्ष 1980 में आप भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े पर जनता पार्टी सेक्युलर के प्रत्याशी चंदन सिंह के सामने चुनाव हार गए। वर्ष 1985 में आप भाजपा के टिकट पर एक बार फिर से चुनाव लड़े पर लोकदल के चौधरी लक्ष्मी नारायण के सामने चुनाव हार गए। 1989 के चुनाव में आपको सफलता मिली और आपने जनता दल के टिकट पर लड़ रहे चौधरी लक्ष्मी नारायण को हराया। वर्ष 1991 के चुनाव में आप निर्दलीय तेजपाल सिंह को हराकर विधानसभा पहुंचे। वर्ष 1993 में आपने फिर से विधानसभा का चुनाव लड़ा पर इस बार जनता दल के टिकट पर लड़ रहे तेजपाल सिंह के सामने आपको हार का सामना करना पड़ा। कविता लेखन में आपकी विशेष रुचि थी। आपका मुख्यावास गांव खायरा, जिला मथुरा में था।

(चित्र उपलब्ध नहीं है)

विधायक श्यामसुंदर शर्मा

श्याम सुंदर शर्मा

विधायक श्यामसुंदर शर्मा का जन्म 15 जुलाई 1952 को मथुरा जिले के मांट तहसील के पचहरा गांव में हुआ। मांट सीट से पूर्व में विधायक रहे लोकमणि शर्मा आपके पिता थे। आपने स्नातकोत्तर तक शिक्षा हासिल की। वर्ष 1976 में आपका विवाह श्रीमती सुधा शर्मा के साथ हुआ। आप जिला सहकारी बैंक लिमिटेड मथुरा तथा जिला सहकारी संघ लिमिटेड मथुरा के प्रशासक और सभापति रह चुके हैं। वर्ष 1989 के चुनाव में आप मांट सीट से कांग्रेस के टिकट पर लड़े और जनता दल के कुशलपाल सिंह को हराकर प्रथम बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 1991 के चुनाव में आप पुनः मांट सीट से कांग्रेसनक टिकट पर लड़े और जनता दल के कुशलपाल सिंह को हराकर दूसरी बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 1993 के चुनाव में मांट सीट से कांग्रेस के टिकट पर लड़े और जनता दल के कुशलपाल सिंह को हराकर तीसरी बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 1996 में आप मांट सीट से कांग्रेस (तिवारी) के टिकट पर लड़े और बसपा के हर्ष कुमार बघेल को हराकर चौथी बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2002 के चुनाव में आप मांट सीट से लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर लड़े और बसपा के चौधरी प्रताप सिंह को हराकर पांचवीं बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2007 के चुनाव में आप मांट सीट से लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर लड़े और रालोद के रामपाल सिंह को हराकर छठवीं बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में आप मांट सीट पर तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और रालोद के जयंत चौधरी के सामने चुनाव हार गए। जयंत चौधरी द्वारा विधानसभा से त्यागपत्र दिए जाने के बाद 2012 में ही हुए उपचुनाव में आप तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर लड़े और रालोद के योगेश नौहवार को हराकर सातवीं बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2017 के चुनाव में आप मांट सीट पर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े और रालोद के योगेश नौहवार को हराकर आठवीं बार विधानसभा पहुंचे। वर्तमान में 2022 के विधानसभा चुनाव में आप मांट सीट पर बसपा से प्रत्याशी हैं। वर्ष 1993 में आप अखिल भारतीय कांग्रेस विधान मण्डल के मुख्य उप सचेतक, 1997 में लोक लेखा समिति के सदस्य, 1997 में कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में खेलकूद, युवा कल्याण, प्रांतीय विकास दल आदि विभागों के मंत्री, 1999 में रामप्रकाश गुप्ता मंत्रीमंडल में होमगार्ड्स, राजनैतिक पेंशन, नागरिक सुरक्षा आदि विभागों के मंत्री, 2000 में राजनाथ सिंह मंत्रिमंडल में  होमगार्ड्स, राजनैतिक पेंशन, नागरिक सुरक्षा आदि विभागों के मंत्री, 2002 में मायावती मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा मंत्री एवं 2007 में प्राक्कलन समिति के सभापति बनाये गए। समाजसेवा, सहकारिता और ग्राम विकास में इनकी विशेष रुचि है। 

विधायक सरदार सिंह

सरदार सिंह

विधायक सरदार सिंह का जन्म एक जनवरी 1949 को मथुरा जिले के कारब गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री पन्ना सिंह था। इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से एमए एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी की शिक्षा हासिल की। इनका विवाह 1981 में श्रीमती पुष्पा चौधरी के साथ हुआ। इनका व्यवसाय कृषि एवं वकालत है। आपने अपने गांव कारब में आदर्श कृषक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की स्थापना की। 1980 के विधानसभा चुनाव में आप पहली बार गोकुल सीट से जनता पार्टी सेक्युलर के टिकट पर चुनाव लड़ कर विधायक बने। 1985 के विधानसभा चुनाव में आप लोकदल के टिकट पर गोकुल सीट से पुनः विधानसभा पहुंचे। 1989 के विधानसभा चुनाव में आप जनता दल के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीते और 1996 के चुनाव में आप बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर विधायक बने। आप आप विधानसभा की लोक लेखा समिति, संसदीय शोध सन्दर्भ एवं अध्ययन समिति तथा प्राक्कलन आदि समितियों के सदस्य भी रहे हैं। आप मुलायम सिंह यादव के प्रथम मंत्रिमंडल में आप सांस्कृतिक कार्य एवं खेलकूद मंत्री रहे हैं। कल्याण सिंह के मंत्रिमंडल में आप वस्त्र एवं उद्योग मंत्री भी रह चुके हैं। वर्तमान में आप राजनीति एवं सामाजिक कार्यों में संलग्न हैं। आपका मुख्यावास गांव कारब, जिला मथुरा में है।

विधायक मुस्तमन्द अली खान (सादाबाद)

मुस्तमन्द अली खान

मुस्तमन्द अली खान का जन्म 10 नवम्बर 1939 को आगरा में हुआ। आपको छावी मियां के नाम से जाना जाता है। आपके पिता का नाम श्री नसीहत अली खान था। आपने दयाल बाग टेक्निकल कॉलेज आगरा से ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। 1973 में आपका विवाह श्रीमती जोहरा जबीं के साथ हुआ। 1985 के आम चुनाव में आप सादाबाद सीट पर लोकदल के टिकट पर जीतकर विधायक बने। वर्ष 1989 के चुनाव में आप जनता दल के टिकट पर सादाबाद से जीतकर दूसरी बार विधायक बने। वर्ष 1991 के विधानसभा चुनाव में आप जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े पर भाजपा के विजेंद्र सिंह के सामने हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1996 में आप निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सादाबाद से लड़े पर सफलता नहीं मिली। मुख्यावास : तकिया पूरा, सादाबाद और बालू गंज आगरा।

(आंकड़े निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से लिये गए हैं।)

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