दो खामोश आंखें -33 Posted on 19th December 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर घर कहाँ मंदिर के सामने मंदिर कहाँ घर के सामने दोनों कहाँ आमने सामने कुछ बता कर नहीं देती हैं दो खामोश आँखें
साहित्य मजदूर के लिए 1 Yogendra Singh Chhonkar 5th March 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर लाल किला है लाल लहू से मेरे ताज महल का संगेमरमर मेरे पसीने से चिपका है
साहित्य भरतपुर राज्य के दरबारी कवि (भाग एक) Yogendra Singh Chhonkar 21st September 2020 0 भरतपुर दरबार ने बड़ी संख्या में कवियों और साहित्यकारों को आश्रय दिया। यहां के अधिकांश शासक साहित्यानुरागी थे। राज्य के संस्थापक राज बदनसिंह स्वयं सरस् […]
साहित्य मत देख नज़र तिरछी करके Yogendra Singh Chhonkar 4th March 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर मत देख नज़र तिरछी करके मैं होश गंवाने वाला हूँ! अब तक मैं अनजान रहा कुदरत की इस नेमत से पा प्रेम प्रसून पल्लव पोरों से […]