विधानसभा चुनाव 1985 और मथुरा जिला

पिछले अंक में हमने जाना कि मथुरा जिले की राजनीति चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सेक्युलर और इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस (आई) के बीच बराबर मुकाबले में चल रही थी। 1985 का विधानसभा चुनाव आते आते कांग्रेस की कमान इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी के हाथ आ गई और चौधरी चरण सिंह ने भी अपनी पार्टी के अधिकांश कार्य अपने पुत्र चौधरी अजित सिंह को सौप दिए। जनता पार्टी सेक्युलर का नाम अब बदल कर लोकदल हो गया था। मथुरा की राजनीति के परिपेक्ष्य में देखें तो लोकदल कांग्रेस पर भारी पड़ा। जिले की छह में से चार सीटें लोकदल ने जीत लीं वहीं दो सीटें कांग्रेस ने जीतीं। 

वर्ष 1985 में हुआ था यह चुनाव

सीटों के नाम और उनके क्रम की बात करें तो इस बार कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। आरक्षण की स्थिति भी पूर्ववत गोवर्धन विधानसभा की सीट पर ही थी। सीटों के नाम और उनके क्रम निम्नवत रहे।

  1. गोवर्धन (362) [सुरक्षित]
  2. मथुरा (363)
  3. छाता (364)
  4. मांट (365)
  5. गोकुल (366)
  6. सादाबाद (367)

इस बार मतदान की तिथि थी 03-05-1985।

कुछ इस तरह रहा चुनाव परिणाम

गोवर्धन विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 153794 थी, जिनमें से 40.07% यानी 61620 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 521 मत निरस्त पाए गए और 61099 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की कांग्रेस के प्रत्याशी बलजीत ने, जिन्हें 26829 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा लोकदल के प्रत्याशी और पूर्व विधायक ज्ञानेंद्र स्वरूप से, जिन्हें 26206 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय मान सिंह जिन्हें 2418 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे सीपीआई के नंदन सिंह जिन्हें 2324 वोट मिले।

मथुरा विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 152797 थी, जिनमें से 45.30% यानी 69125 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 818 मत निरस्त पाए गए और 68397 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की कांग्रेस के प्रत्याशी प्रदीप माथुर ने, जिन्हें 27015 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा भारतीय जनता पार्टी के कीर्तिपाल से, जिन्हें 21575 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय शाहबुद्दीन जिन्हें 7303 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे सीपीआई के शिवदत्त चतुर्वेदी जिन्हें 4877 वोट मिले।

छाता विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 144363 थी, जिनमें से 51.68% यानी 74604 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 1180 मत निरस्त पाए गए और 73424 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे चौधरी लक्ष्मी नारायण ने जिन्हें 20518 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी किशोरी श्याम से, जिन्हें 19414 वोट मिले। कांग्रेस के राधा चरण सिंह तीसरे स्थान पर रहे जिन्हें 18572 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे सीपीआई के छीतर सिंह जिन्हें 5884 वोट मिले।

मांट विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 149471 थी, जिनमें से 53.71% यानी 80280 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 1288 मत निरस्त पाए गए और 78992 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की लोकदल के प्रत्याशी कुशल पाल सिंह ने, जिन्हें 27123 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस के प्रत्याशी और पिछले बार के विधायक लोकमणि शर्मा से, जिन्हें 26387 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय राधेश्याम शर्मा जिन्हें 19519 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे निर्दलीय धर्मेंद्र जिन्हें 4846 वोट मिले।

गोकुल विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 148755 थी, जिनमें से 48.59% यानी 72287 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 860 मत निरस्त पाए गए और 71427 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की लोकदल के प्रत्याशी और पिछले बार के विधायक सरदार सिंह ने, जिन्हें 46919 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस के गणपति सिंह से, जिन्हें 19861 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय धनीराम जिन्हें 2023 वोट मिले।

सादाबाद विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 157034 थी, जिनमें से 54.88% यानी 86175 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 1537 मत निरस्त पाए गए और 84638 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की लोकदल के प्रत्याशी मुस्तमन्द अली खान ने, जिन्हें 53677 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस के प्रत्याशी हरिओम से, जिन्हें 25738 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय द्वारका प्रसाद जिन्हें 2671 वोट मिले।

एक नजर चुनाव परिणाम पर

यह चुनाव मथुरा जिले में लोकदल और कांग्रेस के मध्य होता हुआ दिखा। चार सीटों पर लोकदल के प्रत्याशी जीते और दो सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते। भारतीय जनता पार्टी के किशोरी श्याम छाता में दूसरे स्थान तक पहुंच गए पर उन्हें सफलता मिलने में अभी देर थी। इस चुनाव में प्रदीप माथुर और चौधरी लक्ष्मी नारायण के रूप में दो नए चेहरे जीतकर आये जिन्हें आगे चलकर न केवल मथुरा साथ ही प्रदेश की राजनीति में भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करानी थी। 

विधायकों का परिचय

विधायक बलजीत (गोवर्धन)

बलजीत

विधायक बलजीत का जन्म 4 जून 1930 को हुआ था। आपके पिता का नाम श्री भिक्खन सिंह था। आपने हाई स्कूल तक शिक्षा हासिल की थी। 1950 में आपका विवाह श्रीमती इंद्रा देवी के साथ हुआ था। आपका व्यवसाय व्यापार था। इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के विरोधस्वरूप आंदोलन में आप बंदी बनाये गए और 15 दिन मथुरा जेल में रहे थे। आप नगर पालिका कोसी कलां के सदस्य (1971 से 77), वरिष्ठ उपाध्यक्ष (1971 से 72) तथा नगर कांग्रेस कमेटी कोसी कलां के अध्यक्ष (1972 से 82) रहे थे। आप कांग्रेस आई हरिजन सेल मथुरा के अध्यक्ष और उद्योग समिति नंदगांव के अध्यक्ष भी रहे थे। वर्ष 1985 के चुनाव में आप गोवर्धन सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। सामाजिक कार्यों और ईश्वर भक्ति में आपकी विशेष रुचि थी। आपका मुख्यावास मनीरामवास, कोस कलां जिला मथुरा में था।

विधायक प्रदीप माथुर (मथुरा)

प्रदीप माथुर

प्रदीप माथुर का जन्म 25 नवम्बर 1955 को हुआ। इनके पिता का नाम राजेन्द्र बिहारी माथुर था। आपने बीएससी ऑनर्स, चार्टर्ड अकॉउंटेंसी, एलएलबी व एलएलएम तक शिक्षा हासिल की है। 1984 में आपका विवाह श्रीमती प्रीति माथुर के साथ हुआ। वर्ष 1981 में एक दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के परिवार की सहायता के लिए उत्तर प्रदेश शासन ने 1000 रुपये की धनराशि व प्रशस्ति पत्र द्वारा एवं दिल्ली की संस्था मानव सेवा महत्व ने 1983-84 में स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। सामाजिक कार्यों के लिए मथुरा जेसीज ने जनपद के सर्वोत्तम युवा का पदक भी प्रदान किया। मथुरा ग्रेटर जेसीज के सदस्य रहे हैं। बहुत से नेत्र शिविरों में भी आपने काम किया है। विधवाओं के लिए पेंशन, गरीबों के लिए ऋण और प्रौढ़ शिक्षा के लिए भी आपने काम किया है। इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद हुए झगड़ों को निपटाने के लिए बनी ‘मुफ्त कानूनी सहायता समिति’ के आप अध्यक्ष रहे। वर्ष 1985 के चुनाव में आप पहली बार मथुरा सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा के लिए चुने गए। वर्ष 1989 और 91 के चुनावों में आपको भाजपा के रविकांत गर्ग के सामने हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2002 के चुनाव में आप कांग्रेस के टिकट पर भाजपा के रविकांत गर्ग को हराकर विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में आप भाजपा के मुरारी लाल अग्रवाल को हराकर विधायक बने। वर्ष 2017 के चुनाव में आप भाजपा के देवेंद्र शर्मा को हराकर विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2017 के चुनाव में आप को भाजपा के श्रीकांत शर्मा के सामने हार का सामना करना पड़ा। वर्तमान में आप 2022 के चुनाव में मथुरा सीट से कांग्रेस के टिकट पर प्रत्याशी हैं। 

विधायक चौधरी लक्ष्मी नारायण (छाता)

चौधरी लक्ष्मी नारायण

चौधरी लक्ष्मी नारायण का जन्म 22 जुलाई 1951 को मथुरा जिले की छाता तहसील के सांचोली गांव में हुआ। इनके पिता का नाम श्री रतिराम था। आपने आगरा विश्वविद्यालय से एमए, एलएलबी तक शिक्षा हासिल की है। आप जिला सहकारी बैंक मथुरा के संचालक, कृषि उत्पादन मंडी समिति कोसी कलां के सभापति तथा आईटीआई कॉलेज मथुरा के संचालक रह चुके हैं। 1985 के विधानसभा चुनाव में आप लोकदल के टिकट पर चुनाव जीत कर छाता सीट से विधायक बने। वर्ष 1989 के विधानसभा चुनाव में आप छाता सीट से जनता दल के टिकट पर लड़े पर भाजपा के किशोरी श्याम के आगे हार गए। वर्ष 1993 का विधानसभा चुनाव आपने गोकुल सीट पर जनता दल के टिकट पर लड़ा पर वहां भाजपा के प्रनतपाल सिंह के आगे आपको सफलता नहीं मिली। वर्ष 1996 का विधानसभा चुनाव आप कांग्रेस के टिकट पर छाता सीट से लड़े और भाजपा के चंदन सिंह की हरा कर विधायक बने। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में आप अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर छाता से लड़े पर रालोद के तेजपाल सिंह के आगे हार गए। वर्ष 2007 का विधानसभा चुनाव आपने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर छाता सीट से लड़ा और रालोद के तेजपाल सिंह को हराकर विधायक बने। वर्ष 2012 का चुनाव आपने छाता सीट से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर लड़ा पर इस बार रालोद के तेजपाल सिंह के आगे हार गए। वर्ष 2017 का चुनाव आपने भाजपा के टिकट पर छाता विधानसभा सीट से लड़ा और सपा समर्थित प्रत्याशी अतुल सिंह को हरा कर विधायक बने। 1997 से 2000 तक आप कल्याण सिंह व रामप्रकाश गुप्ता के मंत्रिमंडल में उद्यान विभाग के मंत्री रहे। 2007 से 2012 तक आप मायावती के मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री रहे। 2017 से 2022 के मध्य योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में आप दुग्ध विकास, धर्मार्थ कार्य, संस्कृति एवं अल्पसंख्यक कल्याण आदि विभागों के मंत्री बने। वर्तमान में आप भाजपा के टिकट पर छाता सीट से विधानसभा के प्रत्याशी हैं।

विधायक कुशलपाल सिंह (मांट)

कुशलपाल सिंह

विधायक कुशलपाल सिंह का जन्म 15 जनवरी 1944 को मथुरा जिले की मांट तहसील के गांव कराहरी में हुआ। आपके पिता का नाम श्री महेंद्र सिंह है। आपने स्नातकोत्तर एवं कानून की शिक्षा प्राप्त की है। 1974 में आपका विवाह श्रीमती कुसुम सिंह के साथ हुआ। आप किसान आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं और आंदोलनों के चलते जेलयात्रा भी कर चुके हैं। आप जनता जूनियर हाईस्कूल मांट और लाखा हाई स्कूल हरनौल के सदस्य भी रह चुके हैं। आपका व्यवसाय कृषि एवं वकालत है। वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में आप लोकदल के टिकट पर जीतकर पहली बार विधायक बने। राजनीति, समाजसेवा और स्पोर्ट्स में आपकी विशेष रुचि है। वर्तमान में आप राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में संलग्न हैं। आपका मुख्यावास गांव कराहरी, जिला मथुरा में है।

विधायक सरदार सिंह (गोकुल)

सरदार सिंह

विधायक सरदार सिंह का जन्म एक जनवरी 1949 को मथुरा जिले के कारब गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री पन्ना सिंह था। इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से एमए एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी की शिक्षा हासिल की। इनका विवाह 1981 में श्रीमती पुष्पा चौधरी के साथ हुआ। इनका व्यवसाय कृषि एवं वकालत है। आपने अपने गांव कारब में आदर्श कृषक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की स्थापना की। 1980 के विधानसभा चुनाव में आप पहली बार गोकुल सीट से जनता पार्टी सेक्युलर के टिकट पर चुनाव लड़ कर विधायक बने। 1985 के विधानसभा चुनाव में आप लोकदल के टिकट पर गोकुल सीट से पुनः विधानसभा पहुंचे। 1989 के विधानसभा चुनाव में आप जनता दल के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीते और 1996 के चुनाव में आप बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर विधायक बने। आप आप विधानसभा की लोक लेखा समिति, संसदीय शोध सन्दर्भ एवं अध्ययन समिति तथा प्राक्कलन आदि समितियों के सदस्य भी रहे हैं। आप मुलायम सिंह यादव के प्रथम मंत्रिमंडल में आप सांस्कृतिक कार्य एवं खेलकूद मंत्री रहे हैं। कल्याण सिंह के मंत्रिमंडल में आप वस्त्र एवं उद्योग मंत्री भी रह चुके हैं। वर्तमान में आप राजनीति एवं सामाजिक कार्यों में संलग्न हैं। आपका मुख्यावास गांव कारब, जिला मथुरा में है।

विधायक मुस्तमन्द अली खान (सादाबाद)

मुस्तमन्द अली खान

मुस्तमन्द अली खान का जन्म 10 नवम्बर 1939 को आगरा में हुआ। आपको छावी मियां के नाम से जाना जाता है। आपके पिता का नाम श्री नसीहत अली खान था। आपने दयाल बाग टेक्निकल कॉलेज आगरा से ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। 1973 में आपका विवाह श्रीमती जोहरा जबीं के साथ हुआ। 1985 के आम चुनाव में आप सादाबाद सीट पर लोकदल के टिकट पर जीतकर विधायक बने। वर्ष 1989 के चुनाव में आप जनता दल के टिकट पर सादाबाद से जीतकर दूसरी बार विधायक बने। वर्ष 1991 के विधानसभा चुनाव में आप जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े पर भाजपा के विजेंद्र सिंह के सामने हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1996 में आप निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सादाबाद से लड़े पर सफलता नहीं मिली। मुख्यावास : तकिया पूरा, सादाबाद और बालू गंज आगरा।

(आंकड़े निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से लिये गए हैं।)

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