सीमा विस्तार के बाद आखिर क्या बदलाव हुआ है बरसाना नगर पंचायत में!

बरसाना की नगर पंचायत के विस्तार के बाद चुनाव के नजरिये से देखें तो यहां बहुत कुछ बदल गया है। इस विस्तारित नगर पंचायत का पहला चैयरमैन बनने के लिए उम्मीदवार अपनी कोशिशों में जुटे हुए हैं। जनसम्पर्क शुरू हो गया है। चुनाव दिलचस्प होने की उम्मीद है पर इस चुनाव की चर्चा के पहले यह जान लेते हैं कि विस्तार के बाद नगर पंचायत में क्या कुछ बदला है।

17 मई 1977 को एक छोटी सी ग्राम पंचायत बरसाना ने अपने धार्मिक महत्त्व के चलते नगर पंचायत का दर्जा पाया। करीब 45 साल और पांच महीने बाद 18 अक्तूबर 2022 को इस नगर पंचायत को विस्तारित कर इसमें नौ ग्राम पंचायतों के बारह राजस्व ग्रामों का विलय इस करके इस नगर पंचायत को विस्तृत कर दिया गया है। जिससे इसकी सीमा विस्तारित होकर एक ओर राजस्थान राज्य के नवगठित जिले डीग से जा लगी है तो दूसरी ओर इसकी सीमा नंदगांव नगर पंचायत से जा लगी है।

साढ़े पैंतालीस साल के अपने अब तक के सफर में बरसाना नगर पंचायत को छह नगर अध्यक्षों का कार्यालय देखने को मिला। सबसे पहले अध्यक्ष बने ठाकुर लच्छी सिंह, उनके बाद क्रमशः डॉ. मनमोहन शर्मा, गुलकन्दी देवी, विमला देवी, बलराज चौधरी एवं श्यामवती को नगर के विकास की बागडोर संभालने का मौका दिया। इस बार यह अवसर कौन हासिल कर पायेगा इसे लेकर बड़ी संख्या में उम्मीदवार अपने प्रयासों में लगे हुए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार चैयरमैन बनने का सौभाग्य किसे मिल पाता है। 

यह विस्तार कितना बड़ा और महत्त्वपूर्ण है और यह इसे समझते हैं। अगर जनसंख्या के लिहाज से देखें तो वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बरसाना नगर की जनसंख्या 11184 थी, जिसमें विस्तार के बाद 19458 व्यक्ति और जुड़ गए हैं। इस तरह इस पंचायत की कुल जनसंख्या अब 30642 हो गयी है, यह आंकड़ा भी 2011 की जनसंख्या के आधार पर ही है, आज 2022 में यह बढ़ कर बहुत ज्यादा हो गया होगा। वोटर्स की संख्या भी करीब तीन गुना बढ़ गई है। क्षेत्रफल की दृष्टि से देखें तो यह करीब साढ़े छह गुना बढ़ी है। विद्यालयों के लिहाज से देखें तो बरसाना नगर पंचायत में महज दो परिषदीय प्राथमिक विद्यालय थे, अब विस्तार के बाद यह संख्या दस गुनी यानी 20 हो गई है जिनमें 13 परिषदीय प्राथमिक विद्यालय और सात पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं। राशन कार्ड्स व उन पर दर्ज यूनिट्स के नजरिए से देखें तो विस्तार से पहले बरसाना में 1725 पात्र गृहस्थी राशनकार्ड धारक थे व उन पर 7103 यूनिट दर्ज थीं। विस्तार के बाद पात्र गृहस्थी राशनकार्ड धारकों की संख्या बढ़ कर 5220 हो गई है व इनकी यूनिट्स की संख्या बढ़कर 21474 हो गई है। अंत्योदय राशनकार्ड धारकों की संख्या 88 थी व उनकी यूनिट्स की संख्या 199 थी जो अब बढ़कर 330 व 855 हो गई है। कुल राशनकार्ड धारकों को मिलाकर देखें तो यब संख्या 1813 थी व कुल यूनिट्स की संख्या 7302 थी जो अब बढ़कर 5550 व 22329 हो गई है। 

हमारा उद्देश्य यह सब आंकड़े यहां देकर आपको यही बताना है कि इस बड़े बदलाव का असर राजनीति पर भी पड़ेगा। पूर्व में बरसाना में चैयरमैन का चुनाव जीतने के लिए दो हजार वोटों का आंकड़ा सुरक्षित माना जाता था जो अब बढ़कर पांच से छह हजार तक पहुंच जाएगा। पहले बरसाना की गलियों में पैदल घूमकर चुनाव प्रचार किया जाता था अब 60 वर्ग किमी में फैली नगर पंचायत के चुनाव में प्रचार के लिए गाड़ी-घोड़े भी दौड़ाने पड़ेंगे। इतने बड़े बदलाव व विस्तार के बाद यह चुनाव खासा दिलचस्प व रोमांचक होगा। कोई इस चुनाव को जिला पंचायत के वार्ड के चुनाव की तरह मान रहा है तो कोई इसे मिनी विधानसभा की संज्ञा दे रहा है। 

पिछले पांच साल से बरसाना के चैयरमैन के चुनाव की तैयारी कर रहे प्रत्याशियों के गणित इस विस्तार के बाद गड़बड़ाने लगे हैं। विस्तारित क्षेत्र से भी कई लोग अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। नगर पंचायत के विस्तार के बाद वार्ड मेम्बर का चुनाव भी आसान नहीं रह जायेगा। पूर्व में बरसाना में दस वार्ड मेम्बर चुने जाते थे। वार्ड मेम्बर्स की संख्या अब बढ़कर 17 हो गई है। जिनमें से छह वार्ड बरसाना में हैं और शेष 11 वार्ड विस्तारित क्षेत्र में बनाये गए हैं। इस विस्तार का परिणाम यह भी हुआ है कि कुछ वार्ड आकार में पूर्व में रही छोटी ग्राम पंचायतों से भी बड़े हो गए हैं।

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