आखिर किसने की थी उस सात साल की मासूम लड़की की हत्या

कहानी

पायल कटियार

रंगबिरंगी साड़ी पहने और काले दुपट्टे से अपना फेस कवर किये हुए करीब 35 वर्ष उम्र की उस महिला को पुलिस की गाड़ी अस्पताल परिसर में मेडिकल के लिए लाई गई तो सभी ने उसे घेर लिया। लोगों की भीड़ को चीरती हुई महिला पुलिसकर्मी उसे सीधे मेडिकल के लिए अंदर ले गईं। इस बीच गाड़ी से उतरने से अंदर ले जाने के बीच मात्र 10 कदम की दूरी के बीच न जाने कितने लोगों ने उससे हजारों सवाल कर डाले- तेरे हाथ नहीं कांपे? 

तू कितनी दुष्ट औरत है जरा भी रहम नहीं आया? 

आखिर क्या दुश्मनी थी तेरी मासूम से क्यों किया तूने ऐसा? 

इस तरह के किसी भी सवाल का जबाव दिये बिना ही वह चुपचाप सिर झुकाए मेडिकल के लिए महिला पुलिसकर्मी के साथ हॉस्पीटल के अंदर चली गई। 

महिला मीडियाकर्मी ने भी उससे सवाल दागे- आखिर यह आईडिया तुम्हें कहां से मिला? 

दूसरी मीडियाकर्मी- कहीं यह सब तुम्हें टीवी सीरियल सावधान इंडिया या क्राइम रिपोर्टर से तो नहीं मिला? 

एक के बाद एक सवाल उससे पूछे जा रहे थे मगर वह खामोश थी। उसने कोई जबाव नहीं दिया। महिला मीडियाकर्मी उसके साथ साथ अंदर तक सवालों की बौछार करते हुए प्रवेश कर गईं मगर वह एक शब्द नहीं बोली।

 मेडिकल के बाद वह फिर से बाहर निकली तो लोगों ने उसे फिर से घेर लिया। भीड़ पास आती देख आखिरकार चुप्पी तोड़ते हुए वह बस इतना ही बोली- मुझे किसी से कोई बात नहीं करनी। इसके बाद वह चुपचाप जाकर पुलिस की गाड़ी में बैठ गई।

  तीन दिन पहले एक बच्ची के लापता होने की खबर अखबार में छपी थी। खबर के मुताबिक एक बच्ची स्कूल गई थी मगर वापस नहीं लौटी। उसकी मां ने अपनी एफआईआर में लिखवाया बच्ची पढ़ने गई और लापता हो गई। कहां गई कुछ पता नहीं। बच्ची मात्र सात साल की थी। बच्ची के गुमशुदा होने की सूचना पर पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी। पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि जिस वक्त बच्ची गुम हुई उसके पिता नवरात्रि के चलते मां दुर्गा की पोशाक लेने के लिए शहर से बाहर गया हुआ था। घर में सिर्फ मां बेटी और एक साल का मासूम बच्चा ही था। बच्ची की मां ने बताया कि प्रतिदिन की भांति उसकी बेटी पास के ही स्कूल में पढ़ती थी और वह खुद ही स्कूल चली जाती थी। आज भी वह सुबह तैयार होकर स्कूल गई थी मगर स्कूल की छुट्टी के टाइम तक वापस नहीं लौटी तो वह परेशान हो गई। स्कूल में जाकर पता किया तो मालूम पड़ा कि वह आज तो स्कूल आई ही नहीं थी। 

आखिर कहां गई फिर वह? 

परेशान होते हुए मां ने इधर-उधर सब जगह ढूंढा लेकिन लड़की नहीं मिली। रिश्तेदारों को सूचना दे दी गई। देर रात पति वापस आया तो पत्नी को साथ लेकर भागा-भागा पुलिस स्टेशन पहुंचा। पुलिस को सारी जानकारी दी। अपने स्तर से पति-पत्नी और आसपास के लोगों ने पूरी रात बच्ची को खोजने में निकाल दी। आखिरकार बच्ची सभी की चहेती जो थी। हंसमुख और अपनी मीठी बोली से उसने अपने घरवालों का ही नहीं बल्कि आस-पड़ौस का भी दिल जीता हुआ था।

पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो पता चला कि पड़ौस की एक महिला उसे गोद लेना चाहती थी मगर पिता ने उसे गोद नहीं दिया। पुलिस का सबसे पहला शक उस दंपत्ति पर ही गया जो गोद लेना चाहते थे। उन पति-पत्नी को हिरासत में लेकर पुलिस घंटे कड़ाई से पूछताछ करती रही कहीं बच्ची को गोद लेने की चाहत में उन्होंने ही तो उसे गायब नहीं कर दिया? 

कहीं बच्चे के लिए नर बलि के चलते उसकी जान तो नहीं ले ली? काफी पूछताछ के बाद भी दोनों बस एक ही बात कहते रहे जिसे हम अपनी जान से भी ज्यादा प्रेम करते हैं उसे हम कैसे गायब कर सकते हैं? घर से लेकर स्कूल तक आसपास सैकड़ों लोगों से पूछताछ की गई मगर पुलिस के हाथ कुछ नहीं लग रहा था। तीन दिन बीत चुके थे। लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा था। पूरा शहर उस बच्ची की खबर के लिए परेशान था। मगर कहीं कोई सुराग नहीं मिल रहा था।

अगले दिन नवरात्रि का पहला दिन था। जिस मंदिर में बच्ची के पिता पूजा अर्चना करते थे वह सूनसान पड़ा था। आसपास के लोगों ने मंदिर में पूजा की मगर बच्ची के पिता का मन नहीं लग रहा था। तीन दिन मौहल्ले में किसी के यहां पर भी चूल्हा तक नहीं जला था बच्ची के लिए सभी परेशान हो रहे थे।

 तीसरे दिन अपनी ड्यूटी के चलते पुलिस मंदिर परिसर पर पहुंची। बच्ची के पिता मंदिर में पुजारी थे। मगर बच्ची के गायब हो जाने के बाद वह मंदिर में पूजा अर्चना करने की बजाय अपनी बच्ची को ढूंढ़ने में लगे हुए थे। जब मंदिर में पुलिस पहुंची तो बच्ची का पिता देवी की मूर्ति के आगे बैठा रो रहा था मां अपने छोटे से मासूम बच्चे को गोद में लेकर बैठी थी। आस-पास के लोग भी मंदिर पर ही बैठे थे। पुलिस को देखते ही लोगों ने पुलिस को घेर लिया। लोगों ने पुलिस पर सवाल दागना शुरू कर दिये साहब तीन दिन हो गये हैं बच्ची कहीं भी दूर खेलने नहीं जाती थी वह बस मंदिर और मंदिर के आसपास के कुछ घरों में ही खेलने जाती थी। पुलिस के पास किसी सवाल का जबाव नहीं था लेकिन शक के चलते पुलिस अधिकारियों ने मंदिर पर खड़े लोगों से पूछताछ करना शुरू किया। मगर कहीं कोई सुराग नहीं मिल रहा था जिससे बच्ची का पता चल सके।

मंदिर में चारों ओर हरियाली ही हरियाली थी। पुलिस अपनी तेज निगाहों से हरियाली को निहार रही थी। पुलिस ने मंदिर से ही एक बार फिर से पड़ताल करने की ठानी। पुलिस टीम ने डाली-डाली, क्यारी-क्यारी तलाशना शुरू किया। 

एक पुलिसवाले की नजर एक खूबसूरत से फूलों के एक पौधे पर पड़ी। उसके आसपास की मिट्टी कुछ ज्यादा ही गीली नजर आ रही थी ऐसा लग रहा था जैसे वह पौधा आजकल में ही लगाया गया हो। मगर पौधा तो काफी पुराना सा था फिर यह मिट्टी? पुलिस का माथा ठनका तुरंत उस पेड़ के नीचे की मिट्टी को हाथ से टटोला तो देखा कि आज कल में ही इसे खोदा गया है। पुलिस टीम ने तुरंत उसके आसपास खोदना शुरू कर दिया। दो हाथ ही खोदा था कि कुछ ऐसी बदबू आना शुरू गई जैसे कोई चीज सड़ रही हो। शक गहरा गया। तुरंत खुदाई को तेज किया गया। गड्ढे में देखते ही पिता की चीख निकल पड़ी गड्ढे में मासूम बच्ची दबी पड़ी थी। बच्ची की लाश मिलते ही चारों ओर रोना पीटना शुरू हो गया। बच्ची के शव को पुलिस ने अपनी कस्टडी में लिया और उसे लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। आसपास की भीड़ ने मंदिर परिसर को खचाखच भर दिया। सभी के मन में एक ही सवाल था कि आखिर इस बच्ची की किसी से क्या दुश्मनी हो सकती है? इधर पुलिस ने एक एक से पूछताछ करना शुरू कर दिया। मगर पुलिस के सामने अभी भी वहीं एक सवाल था कि आखिर मारा किसने और क्यों? उस वक्त पुलिस वाले वहां से चले गए।

अगले दिन पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आ गई। पुलिस को हत्यारे का पता चल गया। आखिरकार खुलासा हो ही गया। पुलिस ने बच्ची के पिता मां को फोन करके बताया कि उन्हें हत्यारा मिल गया है आप दोनों जल्दी से थाने आ जाएं। खबर मिलते ही दोनों पति-पत्नी और उसके सभी रिश्तेदार थाने पहुंच गये। सभी हत्यारे को देखने के लिए व्याकुल थे।

सभी ने जब थाने में पुलिस अधिकारी से पूछा साहब हत्यारा कहां है तो पुलिस ने कहा हत्यारा आपके साथ ही है तो सभी एक दूसरे की ओर आश्चर्य से देखने लगे। आखिर हम में से कौन बच्ची का हत्यारा हो सकता है?

पुलिस ने बच्ची की मां को अपने पास बुलाया और पूछा तुमने क्यों मारा? इस बात को सुनते ही सब हैरानी में पड़ गए और कहने लगे कि क्या कह रहे हो आप? अब हत्यारा नहीं मिला तो आप माता-पिता को ही परेशान करना शुरू कर रहे हैं? बच्ची की मां जोर-जोर से रोने लगी और कहने लगी मैं क्यों मारुंगी अपनी बच्ची को?

 अधिकारी के इशारा करते ही पास खड़ी महिला पुलिस कांस्टेबल ने बच्ची की मां के गाल पर जोरदार थप्पड़ मारने शुरू कर दिये तो उसने भी उगलना शुरू कर दिया कि ‘हां मैने ही बच्ची को मारा है।’ 

जिसे सुनकर पास खड़े पिता को जैसे हजारों सांपों ने एक साथ डंक मार दिया हो।

पिता चीखकर बोला- आखिर क्यों किया तूने ऐसा? क्या बिगाड़ा था उसने? वह तो तुझसे कितना प्यार करती थी।

पिता दहाड़े मार-मारकर रो रहा था मगर वह चुप थी। उसके बाद पुलिस ने अपनी भाषा में जब बच्ची की मां से पूछा तो उसने बताया कि मैं नहीं चाहती थी कि मेरे बेटे के हिस्से में से उसे कुछ भी मिले इसलिए मैने उसे मार दिया।

 कुछ दिन पहले ही पिता ने अपनी बच्ची के नाम कुछ जमीन लेकर डालने की बात की थी। पुलिस ने फिर पूछा इतनी नफरत क्यों थी आखिर? वह कहने लगी- मेरी सगी नहीं सौतेली बेटी थी कहकर चुप हो गई महिला। पुलिस ने फिर पूछा जब पंसद नहीं थी तो फिर उसे गोद लेने वाले को क्यों नहीं दिया? महिला- मैं नहीं, उसके पिता यानि मेरे पति नहीं देना चाहते थे गोद। यह सब सुन रहे महिला के पिता यानी बच्ची के सौतेले नाना जोर-जोर से रोने लगे और चीख-चीखकर कहने लगे इसे ले जाओ यह मेरी बेटी नहीं है आज से मर गई तू मेरे लिए। पैदा होते ही क्यों नहीं मर गई? तूने मासूम सी बच्ची को मार दिया? मत देती हिस्सा मगर मारा क्यों?

इस खुलासे से थाने में क्या रिश्तेदार क्या आसपास के लोग सब उसे कोस रहे थे मगर बेशर्म निगाहों से देखते हुए वह सभी को बराबर जबाव दे रही थी।

पुलिस ने उसे तुरंत अपनी कस्टडी में लिया और मेडिकल के लिए अस्पताल पहुंच गई। हत्यारी मां की खबर आग की तरह पूरे शहर में फैल गई। मेडिकल के लिए अस्पताल पहुंचने से पहले मीडिया और अस्पताल में जिसे भी पता चलता गया सब उसे देखने के लिए और कोसने के लिए उसके पास पहुंच गए। उसे घेरकर उससे सवाल करते रहे।   मगर वह किसी के सवालों का कोई जबाव नहीं दे रही थी। मेडिकल के बाद महिला को जेल भेज दिया गया।

दूसरे दिन अखबार में सबसे ज्यादा सुर्खियों में हत्यारी मां की खबर छपी। नवरात्रि के दिनों में जब यह खबर छपी तो सभी अखबार पढ़ने वाले हर शख्श की आंखें नम थीं। हर किसी के मुंह से निकल रहा था माता सुनी न कुमाता फिर आखिर यह कुमाता मां कहां से आ गई?

पायल कटियार (कहानी की लेखिका)

[नोट: इस कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक है, इसका किसी भी व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है। यदि किसी व्यक्ति से इसकी समानता होती है, तो उसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा।]

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