विधानसभा चुनाव 1991 और मथुरा जिला

पिछले अंक में हमने जाना कि 1989 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मथुरा जिले की दो सीटों को जीत लिया। जनता दल के पास तीन सीटें थीं और कांग्रेस मात्र एक सीट पर सिमट कर रह गई। यह वह समय था पूरे प्रदेश की राजनीति कांग्रेस के हाथ से निकल गई थी। 1991 का चुनाव आते आते भाजपा के राम जन्मभूमि आंदोलन का प्रभाव बढ़ा और भाजपा की सीटें जिले में बढ़कर तीन हो गईं वहीं जनता दल दो सीटों पर सिमट गया शेष एक सीट कांग्रेस के पास बची रही। 

वर्ष 1991 में हुआ था यह चुनाव

सीटों के नाम और उनके क्रम की बात करें तो इस बार कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। आरक्षण की स्थिति भी पूर्ववत गोवर्धन विधानसभा की सीट पर ही थी। सीटों के नाम और उनके क्रम निम्नवत रहे।

  1. गोवर्धन (362) [सुरक्षित]
  2. मथुरा (363)
  3. छाता (364)
  4. मांट (365)
  5. गोकुल (366)
  6. सादाबाद (367)

इस बार मतदान की तिथि थी 20-05-1991।

कुछ इस तरह रहा चुनाव परिणाम

गोवर्धन विधानसभा क्षेत्र 

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 189481 थी, जिनमें से 47.70% यानी 90390 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 3298 मत निरस्त पाए गए और 87092 मत वैध पाए गए। इस चुनाव में जीत हासिल की जनता दल के प्रत्याशी पूरन प्रकाश ने, जिन्हें 31358 वोट मिले। पूरन प्रकाश इस सीट से विधायक रह चुके कन्हैयालाल के सुपुत्र हैं जिन्होंने इस चुनाव से अपनी राजनीति शुरू की। पूरन प्रकाश के मुख्य मुकाबले में रहे भाजपा के प्रत्याशी अजय कुमार पोइया, जिन्हें 29527 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व विधायक रहे बलजीत, जिन्हें 15593 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे जनता पार्टी के प्रत्याशी और पूर्व में कई बार विधायक रहे ज्ञानेंद्र स्वरूप जिन्हें 5183 वोट मिले। बसपा के जल्लाराम वाल्मीकि को 2176 वोट मिले।

मथुरा विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 214675 थी, जिनमें से 46.22% यानी 99216 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 3752 मत निरस्त पाए गए और 95464 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की भाजपा के प्रत्याशी और पिछली बार के विधायक रविकांत गर्ग ने, जिन्हें 45753 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व विधायक प्रदीप माथुर से, जिन्हें 23546 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे जनता दल के प्रत्याशी नरेंद्र सिंह जिन्हें 18214 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे जनता पार्टी के जय प्रकाश यादव जिन्हें 2758 वोट मिले। पांचवें स्थान पर रहे बसपा के रामजी लाल जिन्हें 1887 वोट मिले।

छाता विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 179504 थी, जिनमें से 55.09% यानी 98885 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 3581 मत निरस्त पाए गए और 95304 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत दर्ज की भाजपा के प्रत्याशी और पिछले बार के विधायक किशोरी श्याम ने, जिन्हें 32782 वोट मिले। इनके मुख्य मुकाबले में रहे निर्दलीय तेजपाल सिंह जिन्हें 29715 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहीं कांग्रेस की सावित्री जिन्हें 16510 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे बसपा के जसराम सिंह जिन्हें 8768 वोट मिले। पांचवें स्थान पर रहे निर्दलीय चौहल सिंह जिन्हें 5662 वोट मिले।

मांट विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 186927 थी, जिनमें से 53.75% यानी 100482 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 4843 मत निरस्त पाए गए और 95639 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत दर्ज की कांग्रेस के प्रत्याशी और पिछले बार के विधायक श्याम सुंदर शर्मा ने जिन्हें 31342 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा जनता दल के प्रत्याशी और पूर्व विधायक कुशलपाल सिंह से, जिन्हें 28044 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे भाजपा के रूप सिंह जिन्हें 20921 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे बसपा के रघुवीर सिंह बघेल जिन्हें 7725 वोट मिले। पांचवे स्थान पर रहे जनता पार्टी के राधेश्याम जिन्हें 5275 वोट मिले।

गोकुल विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 183357 थी, जिनमें से 47.76% यानी 87577 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 2792 मत निरस्त पाए गए और 84785 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत हासिल की जनता दल के प्रत्याशी नबाव सिंह ने, जिन्हें 26464 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा भाजपा के प्रत्याशी प्रनतपाल सिंह से जिन्हें 25032 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के भेदजीत जिन्हें 12739 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे जनता पार्टी के प्रत्याशी सरदार सिंह जिन्हें 9773 वोट मिले। पांचवें स्थान पर रहे बसपा के सोनपाल जिन्हें 9237 वोट मिले।

सादाबाद विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 181307 थी, जिनमें से 46.29% यानी 83928 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 3374 मत निरस्त पाए गए और 80554 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत दर्ज की भाजपा के विजेंद्र सिंह ने जिन्हें 33122 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा जनता दल के प्रत्याशी और पिछले बार के विधायक मुस्तमन्द अली खान से, जिन्हें 28107 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के राम प्रकाश जिन्हें 11376 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे जनता पार्टी के जवाहर सिंह जिन्हें 3544 वोट मिले। पांचवें स्थान पर रहे बसपा के बनवारी लाल बघेल जिन्हें 3030 वोट मिले।

एक नजर चुनाव परिणाम पर

इस चुनाव में भाजपा की स्थिति और मजबूत हुई। पिछले चुनाव में दो सीटें जीतने वाली भाजपा के पिछले दोनों विधायक किशोरी श्याम और रविकांत गर्ग फिर से जीतकर विधानसभा पहुंचे। इस चुनाव में सादाबाद की सीट पर भी पहली बार भाजपा जीतने में सफल रही। इस सीट पर भाजपा के विजेंद्र सिंह ने जनता दल के दो बार के विधायक मुस्तमन्द अली खान को हराकर विधानसभा में प्रवेश किया। गोवर्धन की सीट पर इस बार जनता दल के नए चेहरे के रूप में पूरन प्रकाश ने सफलता पाई। गोकुल से भी जनता दल के नए चेहरे के रूप में नबाव सिंह जीते। मांट की सीट कांग्रेस को मिली यहाँ श्यामसुंदर शर्मा जीते।

विधायकों का परिचय

विधायक पूरन प्रकाश (गोवर्धन)

पूरन प्रकाश

विधायक पूरन प्रकाश का जन्म 15 जुलाई 1955 को हुआ। आपके पिता श्री कन्हैयालाल थे जो कई बार विधायक रहे। आपने स्नातकोत्तर, एलएलबी तक शिक्षा प्राप्त की। 1978 में आपका विवाह श्रीमती पुष्पा प्रकाश के साथ हुआ। आपका व्यवसाय कृषि, उद्योग एवं वकालत है। 1980 में आप दलित वर्ग संघ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष रहे। 1991 में युवा लोकदल संघठन के राष्ट्रीय महासचिव रहे। वर्ष 1991 में आप गोवर्धन सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े और भाजपा के अजय कुमार पोइया को हराकर प्रथम बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 1996 में आप गोवर्धन सीट से भारतीय किसान कामगार पार्टी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े पर भाजपा के अजय कुमार पोइया के सामने हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2002 में आप गोवर्धन सीट से निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़े पर भाजपा के श्याम सिंह अहेरिया के सामने हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2007 में आप गोवर्धन सीट से रालोद के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े और बसपा के अजय पोइया को हराकर दूसरी बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2012 में आप बलदेव सीट से रालोद के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े और बसपा के चंद्रभान सिंह को हराकर तीसरी बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2017 में आप बलदेव सीट से भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े और रालोद के निरंजन धनगर को हराकर चौथी बार विधानसभा पहुंचे। वर्तमान में आप 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर बलदेव से प्रत्याशी हैं। वर्ष 1991-92 में आप अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा विमुक्त जातियों सम्बन्धी संयुक्त समिति के सदस्य रहे। 2007-12 तक आप राष्ट्रीय लोकदल के मुख्य सचेतक रहे। 2007-09 तक आप अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा विमुक्त जातियों सम्बन्धी संयुक्त समिति के सदस्य रहे। 2009-11 तक आप सार्वजनिक उपक्रम एवं निगम संयुक्त समिति के सदस्य रहे। 2011-12 तक आप अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा विमुक्त जातियों सम्बन्धी संयुक्त समिति के सदस्य रहे। 2012-13 तक आप लोक लेखा समिति के सदस्य रहे। आपका मुख्यावास कृष्णा नगर, मथुरा में है।

विधायक रविकांत गर्ग (मथुरा)

रविकांत गर्ग

विधायक रविकांत गर्ग का जन्म 9 दिसम्बर 1953 को मथुरा में हुआ। आपके पिता का नाम श्री भगवान दास गर्ग था। आपने इंटरमीडिएट तक शिक्षा हासिल की। वर्ष 1971 में आपका विवाह श्रीमती मीरा गर्ग के साथ हुआ। वर्ष 1975-76 में आपातकाल के दौरान आप मथुरा जेल में बन्द रहे। 1975 और 1984 के बिजली आंदोलनों तथा 1989-81 एवं 1984 के उर्दू विरोध के आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई। 1973 में उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मंडी अधिनियम के अंतर्गत किये गए संशोधनों के विरोध में सभी छोटे-बड़े व्यापारी एवं ढकेल, खोमचे वालों को उक्त उत्पीड़नों से मुक्त कराया। 1975 में आप तिलकद्वार व्यवसाय समिति के मंत्री, भारतीय युवा संघ (भारतीय जनसंघ की युवा शाखा) के संगठन सचिव, अग्रवाल सेवा संघ के मंत्री व अध्यक्ष, श्री रामलीला सभा के सदस्य व प्रबंध मंत्री, संयुक्त व्यवसायी संगठन के मंत्री, अग्रवाल चेरिटेबल अस्पताल के मंत्री, श्रीराम लीला समिति के अध्यक्ष, स्माल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष, द्वितीय राजभाषा विरोधी समिति के जिला संयोजक, भाजपा के नगर निकाय संयोजक, उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के प्रांतीय संगठन मंत्री आदि पदों पर रहे हैं। साथ ही साहित्यिक संस्था रस भारती आदि से जुड़े रहे हैं। 1989 के चुनाव में आप पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए। वर्ष 1991 के चुनाव में आप दूसरी बार विधानसभा के लिए चुने गए। साथ ही कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में ऊर्जा राज्यमंत्री बनाए गए। जनसेवा, समाजसेवा, अध्ययन, लेखन और चिंतन में आपकी विशेष रुचि है। वर्तमान में आप उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष हैं। आपका मुख्यावास गताश्रम टीला मथुरा में है। 

विधायक किशोरी श्याम (छाता)

किशोरी श्याम

विधायक किशोरी श्याम का जन्म सन 1933 में मथुरा जिले की छाता तहसील के गांव खायरा में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री तेजीराम था। वर्ष 1945 में इनका विवाह श्रीमती भगवती देवी के साथ हुआ था। इनका व्यवसाय कृषि और व्यापार था। ये वर्ष 1954 में लखनऊ कारगर में दो मास, 1975 में डीआईआर में एक मास और बाद में मीसा में लगातार 19 मास जिला कारागार मथुरा में तनहाई में रखे गए। 1975 में एक वर्ष तो जनसंघ के जिलाध्यक्ष रहे हैं। आपने सांप की एक विशेष औषधि से हजारों लोगों की प्राणरक्षा की थी। 1962 में मल्लयुद्ध में अपने एक साथी के साथ मिलकर आपने एक शेर को मारा। शेर ने आपका हाथ चबा लिया जिसके कारण आपको 17 टांके लगे। इस वीरता के लिए आपको पुरस्कृत भी किया गया। आपने खायरा में विद्यालय की स्थापना कराई और उसके प्रबंधक भी रहे। छाता से बरसाना की 10 मील की सड़क का निर्माण आपने श्रमदान से कराया। आप आरएसएस के प्रचारक भी रहे थे। वर्ष 1974 के चुनाव में आप जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़े पर बीकेडी के राधा चरण सिंह के सामने चुनाव हार गए। वर्ष 1980 में आप भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े पर जनता पार्टी सेक्युलर के प्रत्याशी चंदन सिंह के सामने चुनाव हार गए। वर्ष 1985 में आप भाजपा के टिकट पर एक बार फिर से चुनाव लड़े पर लोकदल के चौधरी लक्ष्मी नारायण के सामने चुनाव हार गए। 1989 के चुनाव में आपको सफलता मिली और आपने जनता दल के टिकट पर लड़ रहे चौधरी लक्ष्मी नारायण को हराया। वर्ष 1991 के चुनाव में आप निर्दलीय तेजपाल सिंह को हराकर विधानसभा पहुंचे। वर्ष 1993 में आपने फिर से विधानसभा का चुनाव लड़ा पर इस बार जनता दल के टिकट पर लड़ रहे तेजपाल सिंह के सामने आपको हार का सामना करना पड़ा। कविता लेखन में आपकी विशेष रुचि थी। आपका मुख्यावास गांव खायरा, जिला मथुरा में था।

विधायक श्यामसुंदर शर्मा (मांट)

श्याम सुंदर शर्मा

विधायक श्यामसुंदर शर्मा का जन्म 15 जुलाई 1952 को मथुरा जिले के मांट तहसील के पचहरा गांव में हुआ। मांट सीट से पूर्व में विधायक रहे लोकमणि शर्मा आपके पिता थे। आपने स्नातकोत्तर तक शिक्षा हासिल की। वर्ष 1976 में आपका विवाह श्रीमती सुधा शर्मा के साथ हुआ। आप जिला सहकारी बैंक लिमिटेड मथुरा तथा जिला सहकारी संघ लिमिटेड मथुरा के प्रशासक और सभापति रह चुके हैं। वर्ष 1989 के चुनाव में आप मांट सीट से कांग्रेस के टिकट पर लड़े और जनता दल के कुशलपाल सिंह को हराकर प्रथम बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 1991 के चुनाव में आप पुनः मांट सीट से कांग्रेसनक टिकट पर लड़े और जनता दल के कुशलपाल सिंह को हराकर दूसरी बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 1993 के चुनाव में मांट सीट से कांग्रेस के टिकट पर लड़े और जनता दल के कुशलपाल सिंह को हराकर तीसरी बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 1996 में आप मांट सीट से कांग्रेस (तिवारी) के टिकट पर लड़े और बसपा के हर्ष कुमार बघेल को हराकर चौथी बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2002 के चुनाव में आप मांट सीट से लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर लड़े और बसपा के चौधरी प्रताप सिंह को हराकर पांचवीं बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2007 के चुनाव में आप मांट सीट से लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर लड़े और रालोद के रामपाल सिंह को हराकर छठवीं बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में आप मांट सीट पर तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और रालोद के जयंत चौधरी के सामने चुनाव हार गए। जयंत चौधरी द्वारा विधानसभा से त्यागपत्र दिए जाने के बाद 2012 में ही हुए उपचुनाव में आप तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर लड़े और रालोद के योगेश नौहवार को हराकर सातवीं बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2017 के चुनाव में आप मांट सीट पर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े और रालोद के योगेश नौहवार को हराकर आठवीं बार विधानसभा पहुंचे। वर्तमान में 2022 के विधानसभा चुनाव में आप मांट सीट पर बसपा से प्रत्याशी हैं। वर्ष 1993 में आप अखिल भारतीय कांग्रेस विधान मण्डल के मुख्य उप सचेतक, 1997 में लोक लेखा समिति के सदस्य, 1997 में कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में खेलकूद, युवा कल्याण, प्रांतीय विकास दल आदि विभागों के मंत्री, 1999 में रामप्रकाश गुप्ता मंत्रीमंडल में होमगार्ड्स, राजनैतिक पेंशन, नागरिक सुरक्षा आदि विभागों के मंत्री, 2000 में राजनाथ सिंह मंत्रिमंडल में  होमगार्ड्स, राजनैतिक पेंशन, नागरिक सुरक्षा आदि विभागों के मंत्री, 2002 में मायावती मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा मंत्री एवं 2007 में प्राक्कलन समिति के सभापति बनाये गए। समाजसेवा, सहकारिता और ग्राम विकास में इनकी विशेष रुचि है। 

विधायक नबाव सिंह (गोकुल)

इनके बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।

विधायक विजेंद्र सिंह (सादाबाद)

विजेंद्र सिंह

विधायक विजेंद्र सिंह का जन्म 11 नवम्बर 1937 को बिसावर कस्बे में हुआ। आपके पिता का नाम श्री हेतराम चौधरी था। आपने इंटरमीडिएट तक शिक्षा हासिल की। 1962 में आपका विवाह श्रीमती सत्यवती के साथ हुआ। आपका व्यवसाय कृषि एवं व्यापार था। 1966 में गोरक्षा आंदोलन में आप एक मास तिहाड़ जेल दिल्ली में कैद रहे। वर्ष 1975-76 में आप डीआईआर और मीसा में 16 मास तक जिला कारागार मथुरा में कैद रहे। आप एक वर्ष तक जिला सहकारी बैंक मथुरा के डायरेक्टर, एक वर्ष तक जिला कारागार मथुरा के विजिटर, 1952 में गोहत्या निरोध समिति के प्रांतीय प्रतिनिधि, एवं तहसील सादाबाद के मंत्री 1975 में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्य शिक्षक और तहसील कार्यवाह, भारतीय जनसंघ के जिला महामंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के जिला कोषाध्यक्ष रहे हैं। वर्ष 1991 के विधानसभा चुनाव में आप भाजपा के टिकट पर सादाबाद सीट से चुनाव लड़े और जनता दल के मुस्तमन्द अली खान को हराकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। 

(सभी आंकड़े निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से लिये गए हैं)

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