रामदेव जी राजस्थान के लोकदेवता हैं। ये राजस्थान के अग्रणी लोकदेवताओं में गिने जाते हैं। इनकी ख्याति दूर-दूर तक है। इन्हें हिन्दू और मुसलमान दोनों […]
Category: अध्यात्म
नारद कुंड, जहां है नारद जी का एकमात्र मन्दिर
गोवर्धन की परिक्रमा में सैकड़ों दर्शनीय स्थल हैं। इनमें से ज्यादातर पौराणिक महत्त्व के हैं। जानकारी के अभाव में लोग गोवर्धन आकर भी इन स्थानों […]
मानगढ़, जहां कृष्ण से रूठकर जा बैठीं थीं राधा रानी
जैसा कि हम जानते हैं कि बरसाना में स्थित पहाड़ी को ब्रह्मांचल नाम दिया गया है। मान्यता है कि ब्रह्माजी स्वयं श्रीराधा-कृष्ण की लीलाओं का […]
सांझी लोक परम्परा से देवालयी परम्परा बनी
सांझी मूलतः एक लोक परम्परा है। यह कनागतों में उत्तर भारत के तमाम स्थानों पर किशोरियों द्वारा गोबर, फूल, पत्ती, रंग आदि से आकृति उकेरने […]
नंदा देवी की लोकयात्रा
नंदा देवी की महत्ता मान्यता है कि नंदा देवी गढ़वाल के राजाओं के साथ-साथ कुँमाऊ के कत्युरी राजवंश की ईष्टदेवी थी। इष्टदेवी होने के कारण […]
गोवर्धन में मानसी गंगा की परिक्रमा
गोवर्धन ब्रजमंडल का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहां के गिरिराज पर्वत को ही श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर उठाया था। यहां की हर पर्वत शिला […]
महात्मा सूरदास की समाधि के दर्शन
श्रीनाथ जी के मन्दिर के मुख्य कीर्तनकार नियुक्त किये जाने के बाद से सूरदास हर दिन एक पद रचकर उन्हें सुनाते थे। इन पदों में […]
बरसाना आएं तो परिक्रमा अवश्य लगाएं
ब्रज के धर्म स्थलों पर परिक्रमा का महत्व होता है। गोवर्धन की गिरिराज परिक्रमा तो बहुत प्रसिद्ध है। मथुरा, वृंदावन आदि स्थानों पर भी परिक्रमा […]
मोती कुंड नंदगांव
नंदगांव का कण कण श्रीकृष्ण की लीलाओं का साक्षी है। यहां श्रीकृष्ण की हर उस लीला के चिन्ह हैं जिनका वर्णन पुराणों में किया गया […]
आसेश्वर महादेव नंदगांव
आसेश्वर नाम से ही झलकता है कि यह स्थान आशा पूर्ति से संबंधित है। पर यह आशा है किसकी?सबकी आशाओं की पूर्ति करने वाले शिव […]
टेर कदम्ब नंदगांव
टेर लगाना यानी आवाज लगाना या पुकारना। श्रीकृष्ण जब गाएं चराने वन में जाते थे तो एक कदम्ब के वृक्ष पर चढ़कर गायों को हेला […]
सुनहरा की कदम्बखण्डी
आज हम जिस पवित्र स्थल के बारे में बात कर रहे हैं वह है कदम्बखण्डी। कदम्बखण्डी यानी कदम्ब के वृक्षों से आच्छादित खण्ड। आज भी […]
पावन सरोवर, नंदगांव
नंदगांव ब्रज का ऐसा स्थान है जो प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न है। ब्रज भक्ति विलास ग्रंथ के अनुसार यहां 56 कुंड थे। आज भी दो […]
त्योहार नहीं संस्कृति है होली
अन्य स्थानों पर होली महज एक त्योहार है जो रंग-गुलाल से एक दूसरे को तर करके मना लिया जाता है पर ब्रज में होली एक […]
दोमिल वन : जहां मिलते थे राधा-कृष्ण
बरसाना और नंदगांव के बीच स्थित है संकेत वन। संकेत राधा कृष्ण की प्रथम मिलन स्थली है। संकेत वन के अंतर्गत दोमिल वन स्थित है। […]