दोमिल वन : जहां मिलते थे राधा-कृष्ण

बरसाना और नंदगांव के बीच स्थित है संकेत वन। संकेत राधा कृष्ण की प्रथम मिलन स्थली है। संकेत वन के अंतर्गत दोमिल वन स्थित है। कहा जाता है कि यहीं पर राधा-कृष्ण मिलते थे।

दो सखियां कराती थीं मिलन

सखियों की कुञ्ज।

रुनकी और झुनकी नाम की दो सखियां थीं। ये सखियां राधा-कृष्ण की भेंट कराती थीं। ये उनकी मुलाकात में सहायक थीं। इन सखियों के नाम पर यहां एक कुंड भी है। इन सखियों की कुञ्ज भी यहीं है।

दोमन वन भी कहते हैं लोग

दोमिल वन स्थित राधा-कृष्ण के दर्शन।

इस स्थान का नाम दोमिल वन है। दोमिल यानी दो के मिलने का स्थान। दो यानी राधा और कृष्ण। कुछ लोग इसे दोमन वन भी कहते हैं। दो मन यानी दो मनों का मिलन स्थल।

होती है शांति की अनुभूति

इस स्थान पर शहरी कोलाहल नहीं है। लोगों का आवागमन बहुत कम है। यही वजह है कि यहां शांति की अनुभूति होती है।

हनुमान और शिव के मन्दिर हैं प्राचीन

राधा कृष्ण और हनुमान के मन्दिर।

यहां हनुमानजी का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर का अब नवनिर्माण किया गया है। यहां राधा-कृष्ण का भी मन्दिर बनाया गया है। यहां एक प्राचीन शिव मंदिर भी था। इस शिव मंदिर के शिवलिंग की खुदाई कर इसे नष्ट कर दिया गया था। यह घटना करीब दस वर्ष पुरानी है। अब यहां एक नया शिव मंदिर बनाया गया है। यहां संत मौनी बाबा की समाधि भी दर्शनीय है। यह स्थान श्रीकृष्ण दास बाबा की भजन स्थली भी रहा है। ये संत सिद्ध बाबा के नाम से प्रसिद्ध थे।

कुंड के घाट हैं प्राचीन

सखियों का कुंड।

यहां स्थित कुंड के घाट प्राचीन हैं। इन्हें देखकर अंदाजा किया जा सकता है कि ये करीब तीन सौ वर्ष पहले के हैं।

कैसे पहुंचें

नंदगांव-बरसाना मार्ग से दोमिल वन का प्रवेश द्वार।

नंदगांव से बरसाना आते समय डेढ़ किमी चलकर बायीं ओर है। मुख्य सड़क से दोमिल वन तक जाने का आधे किमी का रास्ता कच्चा और बदहाल है। यह पूर्णमासी गुफा के पास स्थित है।

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