दो खामोश आंखें – 25

योगेन्द्र सिंह छोंकर
आधी रात के वक़्त
बन संवर कर
रेड लाइट एरिया में
गाड़ियों की
हेड लाइटों से
चुंधियाती भी हैं
दो खामोश ऑंखें

दो ख़ामोश आंखें -24

योगेन्द्र सिंह छोंकर महबूबा की, मजलूम की, कवि की, किसान की, इंसान की भगवान की सबकी हैं दो खामोश ऑंखें

दो खामोश आंखें – 26

योगेन्द्र सिंह छोंकर ऊपर से एक वचन नीचे से बहु वचन बताती हैं पैजामे को पर देख लहंगे को पशोपेश […]

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