दो खामोश आंखें – 25 Posted on 2nd February 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर आधी रात के वक़्त बन संवर कर रेड लाइट एरिया में गाड़ियों की हेड लाइटों से चुंधियाती भी हैं दो खामोश ऑंखें
साहित्य सपनों का आशियाना Yogendra Singh Chhonkar 25th June 2023 0 कहानी पायल कटियार पूजा अपने घर में दो भाईयों के बीच अकेली बहन थी। उसके पिता एक कपड़ा व्यापारी थे। अच्छा खासा परिवार था। किसी […]
साहित्य दो खामोश आंखें -32 Yogendra Singh Chhonkar 19th December 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर गणेश जी का दूध पीना सागर जल मीठा होना रोटी प्याज़ वाली डायन कटे बैंगन में ॐ दीवार पर साईं कितनी सहजता […]
साहित्य शायर कहो नज़ीर कहो आगरे का है… Yogendra Singh Chhonkar 8th September 2020 0 नजीर अकबराबादी! एक ऐसा शायर जिसकी रचनाएं अवाम की आवाज बुलन्द करती हैं। नजीर उस दौर के इकलौते शायर हैं जिनकी शायरी दरबारों के […]
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