दो खामोश आंखें – 10 Posted on 28th January 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर अभाव के ईंधन से भूख की आग में जलते इंसानों की देख बेबसी क्यों नहीं बरसती दो खामोश ऑंखें
साहित्य गाँधीजी की ब्रज यात्राएं Yogendra Singh Chhonkar 3rd October 2019 0 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ब्रज से लगाव रहा। वे कई बार यहां आए। इस वर्ष जब सारा राष्ट्र उनकी 150 वीं जयंती मना रहा है […]
साहित्य दो खामोश आंखें – 12 Yogendra Singh Chhonkar 28th January 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर तेरे दिए हैं या खुद के रचे जो भोग रहा हूँ पल बेख्याली के बा ख्याली की हर डगर मिटाती गयीं दो खामोश […]
साहित्य ‘अर्थात्’ का अर्थ संधान (पुस्तक समीक्षा) Yogendra Singh Chhonkar 28th June 2024 0 अमनदीप वशिष्ठ अमिताभ चौधरी का काव्य संग्रह ‘अर्थात्’ मूलतः पोएट्री होते हुए भी शिल्प में ‘ट्रैक्टेटस’ की याद दिलाता है। मितकथन और घनत्व उसी तरह […]