दो खामोश आंखें – 11 Posted on 28th January 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर पते की तो बात क्या नाम तक बताया नहीं एक झलक दिखा कर जो हो गयीं ओझल कैसे ढूढुं कहाँ रहती हैं दो खामोश ऑंखें
साहित्य भरतपुर राज्य के दरबारी कवि (भाग एक) Yogendra Singh Chhonkar 21st September 2020 0 भरतपुर दरबार ने बड़ी संख्या में कवियों और साहित्यकारों को आश्रय दिया। यहां के अधिकांश शासक साहित्यानुरागी थे। राज्य के संस्थापक राज बदनसिंह स्वयं सरस् […]
साहित्य दो खामोश आंखें – 15 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर कितना आसाँ था जिनके लिए मुझे हँसाना, रुलाना, मानना मनमर्जी चलाना क्या उतनी ही आसानी से मुझे भुला भी पाएंगी दो खामोश ऑंखें
साहित्य श्री शिव चालीसा Yogendra Singh Chhonkar 29th April 2020 0 ।।दोहा। । श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल […]