योगेन्द्र सिंह छोंकर
पते की तो बात क्या
नाम तक बताया नहीं
एक झलक दिखा कर
जो हो गयीं
ओझल
कैसे ढूढुं
कहाँ रहती हैं
दो खामोश ऑंखें
पते की तो बात क्या
नाम तक बताया नहीं
एक झलक दिखा कर
जो हो गयीं
ओझल
कैसे ढूढुं
कहाँ रहती हैं
दो खामोश ऑंखें
योगेन्द्र सिंह छोंकर अभाव के ईंधन से भूख की आग में जलते इंसानों की देख बेबसी क्यों नहीं बरसती दो […]
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