दो खामोश आंखें – 12 Posted on 28th January 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर तेरे दिए हैं या खुद के रचे जो भोग रहा हूँ पल बेख्याली के बा ख्याली की हर डगर मिटाती गयीं दो खामोश ऑंखें
साहित्य दो खामोश आंखें – 22 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर जाकर मुझ से दूर न छीन पायीं मेरा सुकूं शायद इसलिए मुझसे दूर हो गयीं दो खामोश ऑंखें
साहित्य दो खामोश आंखें – 8 Yogendra Singh Chhonkar 28th January 2011 1 योगेन्द्र सिंह छोंकर पीने को दो घूँट जो रोपी अंजुली उसके गोल घड़े के सामने पाया घड़ा खाली है हर प्यास बुझाने को काफी हैं […]
साहित्य गुजरात में गीत गोविन्द संबंधित परम्परा तथा राधातत्त्व – हितांगी ब्रह्मभट्ट के हालिया शोध पर कुछ नोट्स Yogendra Singh Chhonkar 19th June 2023 0 अमनदीप वशिष्ठ गुजरात में कला के विकासक्रम का इतिहास काफ़ी पुराना है और उसमें जैन तथा वैष्णव दोनों ही धाराओं का योगदान रहा है। वहां […]
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