चौरासी खम्बा कामां का इतिहास पुराने समय में काम्यवन के नाम से जाने जाना वाला कामां राजस्थान के भरतपुर जिले का एक उपखण्ड है। […]
Author: Yogendra Singh Chhonkar
चौधरी दिगम्बर सिंह, पूर्व सांसद, मथुरा
चौधरी दिगम्बर सिंह पूर्व सांसद। चौधरी दिगम्बर सिंह मथुरा के अपने जमाने के दिग्गज नेता थे। दिगम्बर सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और चार बार […]
नार्थ सेंटिनल आइलैंड : भारत के इस टापू पर रहते हैं आदिमानव युग के आदिवासी
भारत की सीमा में समुद्र में कुल 1208 द्वीप हैं जो भारत का ही हिस्सा हैं। अंडमान और निकोबार को तो आप बखूबी जानते होंगे […]
कब किस तहसील के अधीन रहा बरसाना
कब किस तहसील के अधीन रहा बरसाना – विभिन्न शासकों के दौर में बरसाना की राजनैतिक स्थिति ——-////——/——- बरसाना के इतिहास के अध्ययन के क्रम […]
नन्दगाँव और बरसाना का समाज गायन
बरसाना-नंदगांव की साझी समाज गायन परम्परा योगेंद्र सिंह छोंकर बरसाना में ब्रह्मांचल पर्वत पर स्थित श्रीलाडिलीजी मंदिर और नंदगांव में नंदीश्वर पर्वत पर स्थित नन्दबाबा […]
रूपराम कटारा बरसाना
बरसाना के प्रमुख इतिहास पुरुषों में से एक रूपराम कटारा बरसाना के प्रमुख इतिहास पुरुषों में से एक थे। रूपराम कटारा, श्रीलालजी टांटिया ठाकुर, लवानियां, […]
बरसाना का युद्ध
वैसे तो एक प्रसिद्ध धर्मस्थल है बरसाना। पर यह अपने इतिहास में कुछ भयावह यादें भी समेटे हुए है। एक समय था जब यहां एक […]
पर्यावरण गीत
आओ हम सब मिल कर आज ये संकल्प उठाये वसन विहीन वसुंधरा को एक चादर हरी उढ़ाए रहे सदा से मित्र हमारे भू माँ के […]
दो खामोश आंखें -33
योगेन्द्र सिंह छोंकर घर कहाँ मंदिर के सामने मंदिर कहाँ घर के सामने दोनों कहाँ आमने सामने कुछ बता कर नहीं देती हैं दो खामोश […]
दो खामोश आंखें -32
योगेन्द्र सिंह छोंकर गणेश जी का दूध पीना सागर जल मीठा होना रोटी प्याज़ वाली डायन कटे बैंगन में ॐ दीवार पर साईं कितनी सहजता […]
मजदूर के लिए 2
योगेन्द्र सिंह छोंकर ओ मेरी रहनुमाई के दावेदारों जरा सुनो मेरी आवाज़ नहीं चाहिए मुझे धरती का राज गर सो सके तो करा दो सुलभ […]
मजदूर के लिए 1
योगेन्द्र सिंह छोंकर लाल किला है लाल लहू से मेरे ताज महल का संगेमरमर मेरे पसीने से चिपका है
दो खामोश आंखें पीठ में सुराख किये जाती हैं
योगेन्द्र सिंह छोंकर दो खामोश ऑंखें मेरी पीठ में सुराख़ किए जाती हैं! माना इश्क है खुदा क्यों मुझ काफ़िर को पाक किए जाती हैं! भागता हूँ […]
मत देख नज़र तिरछी करके
योगेन्द्र सिंह छोंकर मत देख नज़र तिरछी करके मैं होश गंवाने वाला हूँ! अब तक मैं अनजान रहा कुदरत की इस नेमत से पा प्रेम प्रसून पल्लव पोरों से […]
दो खामोश आंखें – 31
योगेन्द्र सिंह छोंकर मंदिर हो या कोई मजार किसी नदी का पुल हो, कटोरा किसी भिखारी का या शाहजहाँ की कब्र एक ही भाव सिक्का फैंकती है […]