योगेन्द्र सिंह छोंकर
लाल किला है लाल
लहू से मेरे
ताज महल का संगेमरमर
मेरे पसीने से
चिपका है
योगेन्द्र सिंह छोंकर दो खामोश ऑंखें मेरी पीठ में सुराख़ किए जाती हैं! माना इश्क है खुदा क्यों मुझ काफ़िर को पाक […]
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