तर्पण (जीते जी भर पेट खाने को तरसती मां के मृत्यु भोज में किया लाखों का खर्चा)

कहानी पायल कटियार आज दादी का श्राद्ध है कहते हुए सुबह से ही उसकी मां ने घर के सभी सदस्यों को जल्दी उठा दिया। श्राद्ध […]

टिफिन (पेट भरने के लिये जूठन खाने को मजबूर एक वृद्धा की करुण कहानी)

कहानी पायल कटियार रागिनी को बड़ा ताज्जुब हो रहा था कि किट्टू (उसका बेटा) अब अपना पूरा लंच फिनिश कर लेता है। पहले तो रोज […]

दानलीला का निहितार्थ:-ब्रज सम्पत्ति का संरक्षण और रस संवर्धन

यामिनी कौशिक श्री कृष्ण लीला में जो रस संचरण हुआ है वह दान लीला के कारण हुआ है। प्राय: जैसा कि कहा जाता है कि […]

स्वामी हरिदास जी ने किया था अनुपम और अलौलिक रसमयी नित्यविहारोपासना के सिद्धांत का प्रतिपादन

स्वामी हरिदास जी की जयंती पर विशेष गोपाल शरण शर्मा “रसिकगोपाल” भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को जहां वृषभानु सुता की लाडली श्रीराधारानी का प्राकट्य […]

राधा के प्रेम ने ब्रज के गोपाल को बनाया श्रीकृष्ण

राधाष्टमी पर विशेष विवेक दत्त मथुरिया ब्रज श्रीराधा के नाम से नारी सशक्तिकरण का सर्वोच्च केंद्र हैं। यहां स्त्री की स्वतंत्र सत्ता के रूप में […]

एक ने किया सच्चा प्यार और दूसरे ने किया टाइम पास

कहानी पायल कटियार रीना की मां ने रीना से पूछा- क्या हुआ विकास का कोई जवाब मिला?  रीना- नहीं मां अब उसकी वापसी मुश्किल है। […]

पुत्रमोह में पागल एक दंपति का दर्द

कहानी  पायल कटियार  (पुत्र के मोह में उसकी गलतियों को नज़रंदाज करने वाले माता-पिता को अंत में पछतावे के सिवा कुछ हाथ न लगा।) प्रवीन […]

काला धन (नोटबंदी का भुगता खामियाजा)

कहानी पायल कटियार कमला अपने पैसों को किसी डिब्बे में तो किसी अलमारी के बिछे कागजों के नीचे तो कभी तकियों के गिलाफ में छिपा-छिपाकर […]

ठेल की किस्मत (एक सब्जी विक्रेता के संघर्ष की दास्तान)

कहानी पायल कटियार दीनू सब्जी की ठेल वाले ने अवाज लगाई- आलू, प्याज टमाटर गोभी, पत्ता गोभी, हरी मटर, हरी-हरी सब्जियां ले लो। आवाज सुनते […]

वृन्दावनस्थ वानरों से संवाद – अमनदीप वशिष्ठ

कुछ महीने पहले जब वृन्दावन जाना हुआ था तो यमुना किनारे एक बंदर ने चश्मा छीन लिया। फ्रूटी देने की औपचारिक रस्म निभाने के बाद […]

ब्रज की वर्त्तमान आतंरिक गतिकी – एक बाहरी अध्येता के नोट्स

अमनदीप वशिष्ठ ब्रज में पिछले कुछ समय से एक संश्लिष्ट वैचारिक मंथन चल रहा है। इस वैचारिक मंथन का स्वरूप बहुत से कारकों से मिलकर […]

error: Content is protected !!