एक ने किया सच्चा प्यार और दूसरे ने किया टाइम पास

कहानी

पायल कटियार

रीना की मां ने रीना से पूछा- क्या हुआ विकास का कोई जवाब मिला? 

रीना- नहीं मां अब उसकी वापसी मुश्किल है।

रीना की मां- टाइम पास था, वापस क्यों आएगा? कद्र की होती तो वापस आता।

मां की बातें सुनकर रीना बिना जवाब दिए अपने कमरे में जाकर बैड पर जोर से गिरकर तकिए में मुंह दबाए रोते हुए अपने अतीत में खो गई।…

विकास तुम फोन मत काटना कहते हुए रीना ने विकास को फोन पर बात करना जारी रखा। 

विकास- लेकिन मुझे लग रहा है कि तुम्हारे पास कोई कॉल आ रही है बहुत देर से।

रीना- हां आने दो, जिसकी आ रही है मुझे उससे कोई बात नहीं करनी है, बस तुम अपनी बात करो। और बताओ क्या कर रहे हो?

विकास- मैं खाना बना रहा हूं। 

(विकास असल में अपने माता-पिता से दूर शहर में रहकर रीना के ऑफिस में ही काम करता था। उसके माता पिता गांव में रहते थे। यहां शहर में वह एक कमरे में अपनी गुजर बसर किया करता था। खाना भी वह खुद ही बनाया करता था। रीना ने उसके साथ कई दिनों से फोन पर बात करना शुरू कर दिया था। वैसे तो वे दोनों ऑफिस में हाय हैलो तक सीमित थे मगर अब फोन पर हर पल की एक दूसरे की खैर खबर रख रहे थे। इसके पीछे क्या वजह थी यह बात विकास की समझ से परे था। मगर उसे रीना से बातें करना अच्छा लग रहा था। शायद उसके खाली जीवन में रीना की बातों ने रंग भरना शुरू कर दिया था।) 

यह सब वह विचार कर ही रहा था तभी रीना की मधुर आवाज ने उसकी तंद्रा को भंग करते हुए सवाल किया- 

रीना- खाने में क्या बन रहा है?

विकास- आज मैं शिमला मिर्च बना रहा हूं और अब आटा लगाकर रोटी बनाऊंगा फिर तैयार होकर ऑफिस पहुंच जाऊंगा।

रीना- ठीक है, अब जाओ तुम अपना काम करो और हां जब भी मैं फोन किया करूं प्लीज उठा जरूर लिया करो।

विकास- ठीक है, मगर हुआ क्या कुछ बताओगी?

रीना- वक्त आने पर बता दूंगी। 

रीना और विकास एक ही ऑफिस में काम करते थे। रीना अपने ब्यॉय फ्रेंड को सबक सिखाने के लिए विकास का सहारा ले रही थी। वह अपने ब्याय फ्रेंड को बताना चाहती थी कि जब वह फोन करती थी और उसका बिजी जाता था तो उसे कैसा फील होता था। कितनी तकलीफ होती थी जब वह उसके फोन को बिजी पाती थी।

रीना और राजेश पिछले दो सालों से एक दूसरे के प्रेम करते थे। दोनों की मुलाकात सोशल मीडिया के जरिए हुई थी मगर आज तक दोनों एक दूसरे से मिले नहीं थे। सिर्फ  एक दूसरे से फोन पर ही बात करते थे और एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसमें खा चुके थे। रीना ने अपने घर में भी राजेश के बारे में सभी को बता रखा था। उसके घरवाले कहते थे कि पहले देखभाल लो तो वह यह कहकर टाल देती थी कि मुझे राजेश पर पूरा भरोसा है। लेकिन अब उसे भी लगने लगा था कि शायद उसके घरवाले सही कह रहे हैं। अभी राजेश से मिले उसे दो साल ही हुए थे वह धीरे-धीरे बदल रहा था। दो सालों में ही जब राजेश दिन पर दिन बदलना शुरू हो गया। तो यह पूरा जीवन कैसे उसके साथ काट सकता है? रीना को लगने लगा था कि लगता है राजेश अब मुझसे बोर हो चुका है। रीना जब भी उसे फोन करती उसका फोन बिजी जाता था। परेशान होकर वह मैसेज करती मगर राजेश उसके मैसेज का भी जबाव नहीं देता था परेशान होकर रीना ने उसे सबक सिखाने का फैसला ले लिया। अब वह उसे सबक सिखाने के लिए अपने साथ काम करने वाले विकास का सहारा ले रही थी। हर पल वह उसे फोन करती रहती ताकि राजेश जब भी फोन करे तो उसका भी फोन बिजी बताए। हुआ भी कुछ ऐसा ही। रीना का फोन हर पल बिजी होने के चलते राजेश परेशान हो उठा। वह तिलमिलाने लगा आखिर क्यों वह रीना को अपनी प्रॉपर्टी समझ रहा था? खुद चाहे जिधर इधर उधर मुंह मारे मगर रीना उसी से बात करे ऐसा उसका मानना था। वह रीना को फोन पर गालियां देता था मगर यह सब रीना को बर्दाश्त करते-करते छह माह बीत चुका था। 

इधर रीना से बात करते-करते विकास भी उसमें खोता चला गया। दिन में शायद उतना ही वक्त ऐसा होता होगा जब वह ऑफिस में काम कर रहे होते तो वह फोन पर बात करना बंद रखते वरना वह दोनों हमेशा फोन पर ही व्यस्त रहते थे। रीना बेशक विकास को यूज कर रही थी, उसके साथ टाइम पास कर रही थी मगर विकास धीरे-धीरे उसमें खोता चला गया। एक दिन विकास ने आखिर कह ही दिया रीना मैं तुम्हें प्यार करता हूं। विकास की बात सुनकर रीना को जोरदार हंसी आ गई।

 रीना- विकास पागल हो क्या? मैं तो सिर्फ यूं ही बात करती हूं तुमसे। 

विकास- तुम करती होगी यूं ही बात, मगर मैं तुमसे यूं ही बात नहीं करता हूं। बात करते-करते कब मैं तुमसे प्यार करने लगा मुझे नहीं मालूम। 

रीना ने उस दिन विकास की बातों को सीरियस नहीं लिया और हंसकर टाल दिया।

 दिन माह बीतते चले गए विकास का रीना के प्रति पागलपन बढ़ता ही गया। मगर विकास ने दोबारा कभी भी रीना से ऐसा कुछ न कहा जिससे रीना को बुरा लगता। वह रीना को बस खुश रखना चाहता था शायद इसीलिए उसकी खुशी में ही अपनी खुशियां देखने लगा। इधर रीना भी उसके बेहद करीब आती चली गई। अब वह एक साथ खाना खाने रेस्टोरेंट में जाने लगे कभी-कभी मूवी देखने भी जाते। रीना ने अपने घरवालों से विकास को एक दोस्त के रूप में मिलवाया तो उसकी मां ने छूटते ही उससे कहा रीना तेरे राजेश से तो मुझे विकास ज्यादा अच्छा लगा। मां की बात सुनकर रीना ने हंसकर टाल दिया। रीना के दिमाग में तो राजेश बसा हुआ था वह तो विकास के साथ बस टाइमपास ही कर रही थी। ऐसा टाइम पास कि वह उससे अपनी हर छोटी बड़ी परेशानी शेयर करने लगी। एक दिन रीना को पता चला कि विकास का कहीं ट्रांसफर हो गया है वह परेशान हो उठी। पहली बार उसे अहसास हुआ कि वह अब उसकी आदी हो चुकी थी। उसके खाने से लेकर उसके हर छोटी बड़ी बातों का ख्याल रखने वाला विकास अब उससे दूर जा रहा था। विकास के जाने के बाद एक बार रीना फिर से अकेले हो गई। आज उसे पहली बार एहसास हुआ कि जिससे वह प्रेम करती थी जिसके लिए वह पागल थी वह उसका सच्चा प्रेमी नहीं बल्कि विकास ही उसका सच्चा प्रेमी था, क्योंकि सच्चा प्रेम का अर्थ तो त्याग है समर्पण है जो उसने विकास में देखा। कितनी बार ऐसा हुआ कि वह अपने साथ न टिफिन लेकर आती, न बीमार होने पर अपनी दवा खाने का होश, सब कुछ विकास ही तो करता था। उसके खाने से लेकर उसकी बीमारी में एक केयर टेकर की तरह। विकास के आने के बाद उसकी मां ने भी उसकी फिक्र करना बंद कर दिया था वरना उसकी मां उसे दिन में चार बार खाने की तो कभी दवा लेने की पूछा करती थी। मां को भी पता था कि विकास है तो उसे अब रीना की फिक्र करने की जरूरत नहीं है। कई बार रीना की मां के बीमार होने पर वह विकास को ही अपने फैमली मैम्बर की तरह से सहयोग लेती थीं। जब रीना के पिता का एक्सीडेंट हुआ तो विकास ही तो था जब उनके पूरे घर को संभाले हुए था। रीना और उसकी मां का कितना ख्याल रखा था उसने। वह आज तक यूं ही राजेश के पीछे भाग रही थी जिसे उसकी न परवाह थी न उसका कोई ख्याल। उसकी खुशी के लिए आखिर राजेश ने किया ही क्या था? मगर अब बहुत देर हो चुकी थी। रीना तो अब शायद यह अधिकार भी खो चुकी थी कि वह विकास को किसी भी तरह से मनाकर उसे बाहर जाने से रोक सके। आखिरकार विकास उससे दूर चला गया। अब फोन पर ही उससे बात होती। कई बार उसने विकास को वापस आने के लिए कहा मगर विकास हर बार यह कहकर टाल देता कि अब उस शहर में वापस आने का दिल नहीं करता है।

पायल कटियार

[नोट: इस कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक है, इसका किसी भी व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है। यदि किसी व्यक्ति से इसकी समानता होती है, तो उसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा।]

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