पहला विधानसभा चुनाव और मथुरा जनपद

देश और राज्य की बात और चुनावों का केंद्रीय व प्रांतीय स्तर का इतिहास तो हर किसी को पता होता है। इसलिए वहां ज्यादा ध्यान न देकर हम सीधे आते हैं मथुरा जिले पर। मथुरा जिले में भी सिर्फ विधानसभा चुनाव पर, क्योंकि वर्तमान में विधानसभा चुनाव दुंदुभी बज चुकी है और लोग अतीत के विधानसभा चुनावों के बारे में जानने के इच्छुक हैं। इस चुनाव के लिए मतदान 28 मार्च 1952 को हुआ था।

पांच विधानसभा क्षेत्रों से चुने जाने थे छह विधायक

पहले विधानसभा चुनाव में जिले को पांच क्षेत्रों में बांटा गया था

  1. (98) मांट कम सादाबाद वेस्ट (दो सीट)
  2. (99) छाता (एक सीट)
  3. (100) मथुरा साउथ (एक सीट)
  4. (101) मथुरा नार्थ (एक सीट)
  5. (102) सादाबाद ईस्ट (एक सीट) 

आप इन विधानसभा क्षेत्रों के नाम पढ़कर अवश्य चौंक गए होंगे। वर्तमान स्थिति से तुलना करें तो सिर्फ छाता विधानसभा क्षेत्र का नाम ही इससे मेल खाता है। खैर, ऐसा इसलिए था क्योंकि सादाबाद तहसील का क्षेत्र वर्ष 1997 तक मथुरा जिले में ही आता था। ऐसे में सादाबाद को तो इस सूची में रहना ही था। मांट क्षेत्र और बलदेव क्षेत्र का अधिकांश इलाके से मिलकर मांट कम सादाबाद वेस्ट क्षेत्र बना था। तब तक गोवर्धन क्षेत्र भी अस्तित्व में नहीं था पर मथुरा का क्षेत्र बड़ा था इसलिए उसे मथुरा नॉर्थ और मथुरा साउथ में बांटा गया। 

मांट कम सादाबाद क्षेत्र पर दो सीटों का क्या पंगा?

किसी विधानसभा क्षेत्र में दो सीटें होने का साफ मतलब यह था कि उस सीट से दो विधायक चुने जाने थे। दरअसल उस समय कई विधानसभा क्षेत्र इस तरह रखे गए जहां से दो विधायक चुने जाने थे। है न दिलचस्प? हां वही तरीका जो आप समझ रहे हैं। हर पार्टी दो-दो प्रत्याशी उतारती थी। अक्सर एक ही पार्टी के दोनों प्रत्याशी जीत भी जाते थे। इसके गणित को आप इस क्षेत्र के चुनाव परिणामों के बारे में पढ़कर ज्यादा आसानी से समझेंगे।

एक भी वोट रिजेक्ट नहीं हुआ था पहले चुनाव में

ईवीएम के चलन से पहले का दौर आपको याद होगा जब बैलेट पेपर पर ठप्पा मार कर एक खास तरीके के मोड़कर मतपेटी में डाला जाता था। अक्सर लोग ठप्पा लगाते समय थोड़ी गलती कर देते थे। कभी दो जगह पर ठप्पा लग जाता था तो कभी दो चुनाव चिन्हों के बीच की लाइन पर ठप्पा लग जाता था। ऐसे वोट निरस्त कर दिए जाते थे क्योंकि मतपत्र देखकर यह स्पष्ट नहीं हो पाता था कि वोट किस उम्मीदवार को दिया गया है। फिर यह कैसे सम्भव हुआ कि एक भी वोट निरस्त होने की नौबत नहीं आई?

जबकि वह ऐसा चुनाव था जब भारत के अधिकांश लोग पहली बार मतदान कर रहे थे।

हर उम्मीदवार की अलग-अलग मतपेटी

जी हां। उस चुनाव में हर बूथ पर हर उम्मीदवार के लिए अलग-अलग मतपेटी रखी जाती थी। बैलेट पेपर के बजाय उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह मतपेटी पर लगा रहता था। वोटर के लिए आसान था। उसे मतदानकर्मी से मतपत्र लेकर अपने पसंदीदा उम्मीदवार की पेटी में मतपत्र डाल देना था बस। यही वजह थी कि कोई भी मत निरस्त नहीं हुआ।

अब बात करते हैं चुनावों के परिणाम की

(98) मांट कम सादाबाद वेस्ट विधानसभा क्षेत्र

इस क्षेत्र से दो विधायक चुने जाने थे। यहाँ पर कांग्रेस पार्टी से दो उम्मीदवार थे लक्ष्मी रमण आचार्य और डाल चंद। भारतीय जनसंघ से भी कन्हैया लाल और दलबीर सिंह। सोशलिस्ट पार्टी से जुगल किशोर और जगन्नाथ। शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन, किसान मजदूर प्रजा पार्टी व सीपीआई व निर्दलीयों को मिलाकर कुल 15 उम्मीदवार मैदान में थे। जीत मिली कांग्रेस के दोनों उम्मीदवारों को। लक्ष्मी रमण आचार्य को मिले 24638 मत। वहीं दूसरे विजेता डाल चंद को मिले 17505 मत।

(99) छाता विधानसभा क्षेत्र

इस क्षेत्र में कुल मतदाता थे 88510। जिनमें से 56.74% ने मतदान किया। कुल उम्मीदवार थे सात। विजय मिली कांग्रेस के रामहेत सिंह को जिन्हें मिले थे 13554 मत। उनके मुकाबले में दूसरे स्थान पर रहे निर्दलीय करन सिंह को 10213 मत मिल पाए। इस चुनाव में निर्दलीय तेजपाल ने 8307, सोशलिस्ट पार्टी के लेखराज ने 6975, निर्दलीय लक्खी सिंह ने 4993 राम राज्य परिषद के राधेश्याम ने 4322 व निर्दलीय जोरावर ने 1859 मत प्राप्त किये।

(100) मथुरा साउथ विधानसभा क्षेत्र

इस क्षेत्र में कुल 74655 मतदाता थे जिनमें से 42.28% ने मतदान में हिस्सा लिया। इस क्षेत्र से सात उम्मीदवार मैदान में थे। विजय मिली कांग्रेस के आचार्य जुगल किशोर को जिन्होंने कुल 14274 हासिल किए। निर्दलीय होशियार सिंह (4486) दूसरे स्थान पर रहे। सोशलिस्ट शिव लाल ने 3938, निर्दलीय प्रीतम सिंह ने 3387, भारतीय जनसंघ के बिशन चंद ने 2115, निर्दलीय रूप राम ने 1940 व किसान मजदूर प्रजा पार्टी के ब्रिजेंद्र केशोरैया ने 1423 मत हासिल किए।

(101) मथुरा नॉर्थ विधानसभा क्षेत्र

इस क्षेत्र में कुल मतदाता थे 72196, जिनमें से 55.50% ने मतदान किया। कुल उम्मीदवार थे पांच। विजय मिली कांग्रेस के श्रीनाथ भार्गव को जिन्हें मिले थे 22547 मत। दूसरे स्थान पर भारतीय जनसंघ के जमुना प्रसाद जिन्हें 12284 मत। राम राज्य परिषद के ब्रज मोहन ने 2315, सोशलिस्ट पार्टी के राधेश्याम ने 2113 व किसान मजदूर प्रजा पार्टी के रूप किशोर ने 812 मत प्राप्त किये।

(102) सादाबाद ईस्ट विधानसभा क्षेत्र

इस क्षेत्र में कुल मतदाता थे 70618, जिनमें से 55.10% ने मतदान किया। कुल उम्मीदवार थे सात। विजय मिली कांग्रेस के अशरफ अली को जिन्हें 15485 मत मिले। दूसरे स्थान पर रहे निर्दलीय कोमल प्रसाद जिन्हें 8493 मत मिले। सोशलिस्ट पार्टी के टीका राम को 5671, निर्दलीय गिरवर सिंह को 4097, भारतीय जनसंघ के हर प्रसाद को 2962, निर्दलीय शंकर लाल को 1217 व निर्दलीय फूल चंद को 988 मत मिले।

कांग्रेस का रहा बोलबाला

इस चुनाव में मथुरा जिले की सभी छह सीटें कांग्रेस के खाते में गईं। अन्य कोई भी पार्टी अपना खाता खोलने में असफल रही। मांट कम सादाबाद वेस्ट की दोनों सीटें कांग्रेस को मिलीं। छाता, मथुरा दक्षिण और सादाबाद पूर्व की सीटों पर मुख्य मुकाबले में निर्दलीय रहे। सिर्फ मथुरा उत्तरी सीट पर भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी ने मुख्य मुकाबले में जगह बनाते हुए दूसरा स्थान प्राप्त किया।

विधायकों का परिचय

विधायक लक्ष्मी रमण आचार्य (मांट कम सादाबाद वेस्ट)

लक्ष्मीरमण आचार्य

लक्ष्मी रमण आचार्य का जन्म 1915 ईसवी में मथुरा में हुआ था। इन्होंने महाराजा कॉलेज जयपुर और आगरा कॉलेज आगरा से शिक्षा ग्रहण की थी। इन्होंने वर्ष 1938 में मथुरा ने वकालत की प्रैक्टिस शुरू की और ये मथुरा के प्रमुख वकीलों में शामिल थे। इन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और जेल गए। ये कई बार जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे। इनकी ब्रज साहित्य में गहरी रुचि थी और ये ब्रज साहित्य मंडल से भी जुड़े रहे। जनवरी 1955 में इन्हें प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और समाज कल्याण विभाग में राज्य मंत्री का पद दिया गया।

विधायक डाल चंद (मांट कम सादाबाद वेस्ट)

डाल चंद्र के विषय में हमें अधिक जानकारी नहीं मिल पाई है। विधानसभा सदस्यों के परिचय की पुस्तिका में इनका मुख्यावास ग्राम व पोस्ट अरिंग, जिला मथुरा दर्ज है। इनका चित्र भी उपलब्ध नहीं हो सका है।

विधायक राम हेत सिंह (छाता)

रामहेत सिंह

इनका जन्म वर्ष 1924 में छाता विधानसभा क्षेत्र के गांव आझई में हुआ था। इनके पिता का नाम नारायण सिंह था। इनका विवाह 1940 में सरस्वती देवी जसावत के साथ हुआ। व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने के कारण  वर्ष 1941 में इन्हें एक वर्ष की कैद हुई और 200 रुपये का जुर्माना भी हुआ। इनका व्यवसाय कृषि था और ये डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के सदस्य भी रहे थे। इनकी देशाटन में विशेष रुचि थी तथा नशामुक्ति के लिये इन्होंने उल्लेखनीय कार्य किये थे। ये वर्ष 1957 में भी इसी क्षेत्र से विधायक चुने गए थे।

विधायक आचार्य जुगल किशोर (मथुरा दक्षिण)

आचार्य जुगल किशोर

इनका जन्म वर्ष 1894 सहारनपुर जिले के पतेहर में हुआ था। इनके पिता का नाम प्रभु दयाल था। ये उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए वर्ष 1913 से 1920 तक इंग्लैंड में रहे। इन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री प्राप्त की। 1930 में नमक सत्याग्रह आंदोलन के दौरान ये एक जत्था लेकर आगरा गए जिसके कारण उन्हें कैद हुई। वर्ष 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने के कारण एक वर्ष का कारावास और 100 रुपये जुर्माना की सजा हुई। व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने के कारण 1940 में उन्हें एक वर्ष का कारावास मिला। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण ये नजरबंद किये गए। ये वर्ष 1937 में पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए। वर्ष 1946 में ये विधान निर्मात्री परिषद के सदस्य भी चुने गए थे। आजादी के बाद ये मथुरा दक्षिण सीट से विधायक बने और राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल हुए। इनकी पत्नी शांति देवी आचार्या भी स्वतंत्रता आंदोलन में बराबर सक्रिय रहीं। श्रीमती शांति देवी ने 1933 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में सहभागिता की और छह मास का कारावास दण्ड मिला। व्यक्तिगत सत्याग्रह में सहभागिता करने के कारण श्रीमती शांति देवी को 1940 में तीन मास के कारावास का दंड मिला। भारत छोड़ो आंदोलन में 1942 में उन्हें नजरबंद किया गया। श्रीमती शांति देवी आजादी के बाद उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य चुनी गईं। 

विधायक श्रीनाथ भार्गव (मथुरा उत्तर)

श्रीनाथ भार्गव स्वतंत्रता सेनानी थे। इनका चित्र उपलब्ध नहीं है। विधानसभा सदस्यों की पुस्तिका में इनका मुख्यावास भरतपुर दरवाजा, जिला मथुरा दर्ज है। ये वर्ष 1957 में भी इसी क्षेत्र से विधायक चुने गए थे।

विधायक अशरफ अली (सादाबाद ईस्ट)

अशरफ अली खां कुंवर

ये कुंवर अशरफ अली खान के नाम से जाने जाते थे। इनका सम्बन्ध सादाबाद के नवाब परिवार से था। ये इस क्षेत्र से वर्ष 1952, 1962, 1967 व 1969 में विधायक चुने गए। 

(आंकड़े निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से लिये गए हैं।)

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