दो ख़ामोश आंखें -24 Posted on 2nd February 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर महबूबा की, मजलूम की, कवि की, किसान की, इंसान की भगवान की सबकी हैं दो खामोश ऑंखें
साहित्य दो खामोश आंखें – 19 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर उमड़ते मेघ सावनी दमकती चपल दामिनी मंद शीतल बयार बारिश की फुहार कुदरत का देख रूमानी मिजाज़ क्यों नहीं मुस्कुराती दो खामोश […]
साहित्य दो खामोश आंखें – 9 Yogendra Singh Chhonkar 28th January 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर जो बेखुदी न दे पाया तेरा मयखाना साकी दे गईं दो खामोश ऑंखें
साहित्य दो खामोश आंखें – 14 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर चंद कतरे उनके लफ़्ज़ों के चंद हर्फ़ उनकी मुस्कराहट के वो मन भावन मिठास उनके जज्बात की सहेजने को ताउम्र मुझे सौंप […]