दो ख़ामोश आंखें -24 Posted on 2nd February 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर महबूबा की, मजलूम की, कवि की, किसान की, इंसान की भगवान की सबकी हैं दो खामोश ऑंखें
साहित्य Notes on a discussion held during march on a theoretical problem regarding the choice between classical and vernacular sources Yogendra Singh Chhonkar 12th September 2023 0 Amandeep Vashisth [Part one] [ A discussion took place among : myself, Dr Swati Goel and Sh. Laxmi Narayan Tiwari ji regarding a typical problem. […]
साहित्य तर्पण (जीते जी भर पेट खाने को तरसती मां के मृत्यु भोज में किया लाखों का खर्चा) Yogendra Singh Chhonkar 8th October 2023 0 कहानी पायल कटियार आज दादी का श्राद्ध है कहते हुए सुबह से ही उसकी मां ने घर के सभी सदस्यों को जल्दी उठा दिया। श्राद्ध […]
साहित्य हेमन्ते प्रथम मासि नन्दव्रज कुमारिकाः Yogendra Singh Chhonkar 8th October 2024 0 शाक्तोपासना है अत्यंत प्राचीन गोपाल शरण शर्मा (साहित्यकार) श्री धाम वृन्दावन अध्यात्म और भक्ति का ऐसा स्थल है जहाँ विभिन्न संप्रदायों के अनुयाई अपनी अपनी […]