दो खामोश आंखें – 21 Posted on 2nd February 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर कभी भटकाती कभी राह दिखाती कभी छिप जाती कभी आकर सामने अपनी ओर बुलाती मुझसे है खेलती या मुझे खिलाती दो खामोश ऑंखें
साहित्य दो खामोश आंखें – 28 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर कमनीय काया और करुण कोमल कंठ का मार्ग में प्रदर्शन करने वाली कंजरी की ओर सिक्का उछालती हुई उसकी फटी बगल से झांकती छाती […]
साहित्य दो खामोश आंखें – 16 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर सामने रहकर न हुआ कभी जिस प्यास का अहसास उसे बुझाने दुबारा कभी मेरे पहलु में आएँगी दो खामोश ऑंखें
साहित्य गोपियों के कृष्ण के प्रति प्रेम का प्रतिफल है-महारास Yogendra Singh Chhonkar 16th October 2024 0 रासोत्सव: सम्प्रवृत्तो गोपीमण्डल मण्डित:। योगेश्वर कृष्णेन तासां मध्ये द्वयोद्वयो: प्रविष्टेन गृहितानां काण्ठे स्वनिकटं स्त्रियः।। गोपाल शरण शर्मा गोपियां भगवान श्रीकृष्ण की अनन्यतम भक्त है। भक्ति […]