दो खामोश आंखें – 21

योगेन्द्र सिंह छोंकर कभी भटकाती कभी राह दिखाती कभी छिप जाती कभी आकर सामने अपनी ओर बुलाती मुझसे है खेलती […]

दो खामोश आंखें – 23

योगेन्द्र सिंह छोंकर मेरी ही बदकिस्मती थी जो न हो सका उनका मुझे अपना बनाना ही तो चाहती थी दो […]

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