विधानसभा चुनाव 1969 और मथुरा जनपद

पिछले अंक में हमने वर्ष 1967 के विधानसभा चुनाव के बारे में जाना कि मथुरा जनपद की छह विधानसभा सीटों में से महज तीन पर ही कांग्रेस जीत दर्ज कर पाई। ये तीन सीटें मांट, गोकुल और सादाबाद की थीं। मथुरा की सीट पर निर्दलीय देवी चरण अग्निहोत्री जीते थे वहीं गोवर्धन(सुरक्षित) सीट पर निर्दलीय खेमचंद्र को सफलता मिली थी। हालांकि निर्दलीय खेमचंद्र ने जीतने के बाद कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। छाता की सीट पर भारतीय जनसंघ के बाबू टीकम सिंह को विजय मिली थी। यह जनपद में जनसंघ की पहली विजय थी। पर 1969 का विधानसभा चुनाव मथुरा जनपद में कांग्रेस के लिए अच्छा रहा इस बार छह में से पांच सीटें कांग्रेस ने जीतीं और एक सीट भारतीय क्रांतिदल के हाथ लगी।

इस बार हुए मध्यावधि चुनाव

1967 में चुनी गई विधानसभा अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई और महज दो वर्ष बाद प्रदेश में फिर से विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया। 

इस बार सीटों पर कोई परिवर्तन नहीं हुआ न ही नामों में और न ही सीटों के क्रम में। पिछले चुनाव के दौरान दलित आरक्षित रही गोवर्धन सीट इस बार फिर से आरक्षित रही। 

      1.गोवर्धन (365) [आरक्षित]

      2. मथुरा (366)

      3. छाता (367)

      4. मांट (368)

      5. गोकुल (369)

      6. सादाबाद (370)

इस बार मतदान की तारीख थी पांच फरवरी 1969।

एक नजर चुनाव परिणामों पर

गोवर्धन विधानसभा क्षेत्र (365)

इस सीट पर कुल 117896 मतदाता थे जिनमें से 52.83% यानी 62285 लोगों ने मतदान किया। इन मतों में से 1382 मत निरस्त पाए गए। इस प्रकार कुल वैध मतों की संख्या 60903 रही। इस सीट पर जीत हासिल की कांग्रेस के प्रत्याशी कन्हैया लाल ने जिन्हें 26999 मत मिले थे। दूसरे स्थान पर रहे थे बीकेडी के केएस आज़ाद जिन्हें 25499 मत मिले। भारतीय जनसंघ के शंकर लाल (5314 वोट) तीसरे स्थान पर रहे। 

मथुरा विधानसभा क्षेत्र (366)

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 96789 थी जिनमें से 62.41% यानी 60404 मतदाताओं ने वोट डाले। डाले गए वोतीं में से 1157 वोट निरस्त पाए और वैध मतों की संख्या 59247 रही। इस सीट पर जीत दर्ज की कांग्रेस के प्रत्याशी शांतिचरण पिंडारा ने जिन्हें 19179 वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे बीकेडी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे पिछली बार के विधायक देवी चरन अग्निहोत्री जिन्हें 18982 वोट मिले। यह चुनाव बहुत नजदीकी मुकाबले वाला रहा जहां हार-जीत का अंतर महज 197 वोट का रहा। तीसरे स्थान पर रहे भारतीय जनसंघ के बांके बिहारी माहेश्वरी जिन्हें 16529 वोट मिले।

छाता विधानसभा क्षेत्र (367)

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 113674 थी, जिनमें से 68060 मतदाताओं ने मतदान किया। डाले गए मतों में से 1847 मत निरस्त पाए गए और कुल वैध मतों की संख्या 66213 रही। इस सीट पर जीत दर्ज की कांग्रेस के प्रत्याशी तेजपाल सिंह ने। तेजपाल सिंह को 15594 वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे बीकेडी के राधाचरण जिन्हें 14523 वोट मिले। पिछले चार चुनावों के बाद यह पहला अवसर था जब कांग्रेस ने इस सीट पर अपना प्रत्याशी बदला था। पिछले चार बार से रामहेत सिंह इस सीट पर चुनाव लड़ते चले आ रहे थे, जिन्हें शुरुआती दो चुनावों में तो लगातार सफलता मिली थी पर बाद के दो चुनावों में वे तीसरे स्थान से आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। इस टिकट परिवर्तन का लाभ हुआ और छाता की सीट एक बार फिर कांग्रेस के खाते में आ गई। तीसरे स्थान पर रहे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी और पूर्व में विधायक रहे लक्खी सिंह जिन्हें 10139 वोट ही मिल पाए। पिछले चुनाव में यह सीट जनसंघ के खाते में गई थी पर इस बार जनसंघ ने भी अपना प्रत्याशी बदल दिया। इस बार जनसंघ ने क्षेत्र के जाने-माने वकील मूलचंद को अपना प्रत्याशी बनाया था। मूलचंद को 10137 वोट ही मिल पाए और वे चौथे स्थान पर रह गए। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के करण सिंह को 6736 और निर्दलीय पदम सिंह को 5960 वोट मिले।

मांट विधानसभा क्षेत्र (368)

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 106338 थी जिनमें से 61.87% यानी 65787 मतदाताओं ने मतदान किया। डाले गए मतों में से 1783 वोट निरस्त पाए गए और कुल वैध मतों की संख्या 64004 रही। इस सीट पर जीत दर्ज की कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व में तीन बार विधायक रहे आचार्य लक्ष्मी रमण ने जिन्हें 23695 वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे बीकेडी के चतुर सिंह जिन्हें 20523 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी और पूर्व विधायक राधेश्याम शर्मा जिन्हें महज 13182 वोट मिले।

गोकुल विधानसभा क्षेत्र (369)

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 109037 थी जिनमें से 58.31% यानी 63577 मतदाताओं ने मतदान किया। डाले गए मतों में से 1026 मत निरस्त पाए गए और इस सीट पर वैध मतों की संख्या 62551 रही।  इस सीट पर जीत दर्ज की बीकेडी के प्रत्याशी चंद्रपाल आज़ाद ने जिन्हें 31196 मत मिले। दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के प्रत्याशी और पिछले बार के विधायक गंगा प्रसाद जिन्हें 18586 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के सरफ़राज़ जिन्हें 5036 वोट मिले। जनसंघ के गणपति यहां पांचवें स्थान पर रहे जिन्हें 3579 वोट मिले।

सादाबाद विधानसभा क्षेत्र (370)

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 103196 थी जिनमें से 68.11% यानी 70283 मतदाताओं ने मतदान किया। डाले गए वोटों में से 1559 वोट निरस्त हो गए और कुल 68724 वोट वैध पाए गए। इस सीट पर जीत दर्ज की कांग्रेस के प्रत्याशी और तीन बार के विधायक कुँवर अशरफ अली खान ने, जिन्हें 27223 वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे बीकेडी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे मथुरा संसदीय क्षेत्र के पूर्व सांसद चौधरी दिगम्बर सिंह, जिन्हें 24870 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे जनसंघ के रामप्रकाश जिन्हें 7448 वोट मिले। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के रूपराम पांचवें स्थान पर रहे जिन्हें 4622 वोट मिले।

एक नजर चुनाव परिणाम पर

इस बार जिले में कांग्रेस का बोलबाला रहा। पिछले चुनाव में कांग्रेस के हाथ से निकली छाता सीट फिर से कांग्रेस के पाले में आ गई। मथुरा सीट पर भी कांग्रेस का परचम लहराया। चौधरी चरण सिंह की भारतीय क्रांतिदल का प्रभाव गोकुल सीट पर देखने को मिला, जहां बीकेडी के प्रत्याशी चंद्रपाल आज़ाद ने कांग्रेस के सिटिंग विधायक गंगा प्रसाद को 20 प्रतिशत से अधिक मतों के अंतर से पराजित करने में सफलता पाई। बीकेडी के लिए इस सीट को इतना मजबूत माना जाने लगा कि गोकुल को मिनी छपरौली की संज्ञा दी जाने लगी। शायद यही वजह रही होगी कि अगली बार चौधरी चरण सिंह ने इस सीट पर अपनी पत्नी गायत्री देवी को ही चुनाव मैदान में उतार दिया। इस चुनाव में बीकेडी की दमदार उपस्थिति जनपद की छहों सीटों पर दिखी। गोकुल तो बीकेडी ने जीत ही ली पर साथ ही गोवर्धन, मथुरा, छाता, मांट और सादाबाद की सीटों पर दूसरे स्थान पर बीकेडी के ही प्रत्याशी रहे। 

विधायकों का परिचय

विधायक कन्हैयालाल (गोवर्धन)

कन्हैयालाल

विधायक कन्हैयालाल का जन्म 1918 ईसवी में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री प्यारे लाल जाटव था। इन्होंने किशोरी रमन इंटर कॉलेज मथुरा और गवर्नमेंट ट्रेनिंग कॉलेज आगरा से शिक्षा प्राप्त की थी। 1940 में इनका विवाह श्रीमती भगवान देवी के साथ हुआ था। ये पूर्व में अध्यापक रहे थे बाद में इन्होंने प्रिंटिंग प्रेस का कारोबार किया। ये नगर पालिका मथुरा के सदस्य, शिक्षा समिति नगर पालिका के अध्यक्ष, सहकारी बैंक मथुरा के संचालक, आगरा यूनिवर्सिटी सीनेट के सदस्य, जिला हरिजन सेवक संघ के मंत्री तथा जिला दलित वर्ग संघ के अध्यक्ष भी रहे थे। देशाटन और विज्ञान में इनकी विशेष रुचि थी। कन्हैयालाल पहली बार वर्ष 1962 में गोकुल सीट से विधानसभा के सदस्य चुने गए थे। उस समय गोकुल सीट दलित वर्ग के लिये आरक्षित थी। अगले चुनाव के दौरान वर्ष 1967 में जब आरक्षण चक्र बदला और गोकुल के स्थान पर गोवर्धन सीट आरक्षित हुई तो इन्होंने अपना चुनावी क्षेत्र बदला और गोवर्धन से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा पर निर्दलीय खेमचंद्र के सामने ये चुनाव हार गए और दूसरे स्थान पर रहे। वर्ष 1969 के चुनाव में इन्हें गोवर्धन सीट पर जीत हासिल हुई। इनका मुख्यावास मनोहरपुरा, मथुरा में था।

विधायक शांतिचरण पिंडारा (मथुरा)

शांतिचरण पिंडारा

विधायक शांतिचरण पिंडारा का जन्म वर्ष 1916 में एटा जिले के जलेसर में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री नरोत्तम प्रसाद था। इन्होंने आगरा कॉलेज आगरा से बीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की थी। इनका व्यवसाय वकालत था। इनका विवाह वर्ष 1934 में श्रीमती मायादेवी के साथ हुआ था। श्री पिंडारा अखिल भारतीय ब्रज साहित्य मंडल के प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश बिक्री कर बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष तथा आगरा विश्वविद्यालय की कार्यसमिति के सदस्य रहे हैं। इन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी सहभागिता की थी। ये उत्तर प्रदेश कांग्रेस-समाजवादी दल के मंत्री थे तभी 16 मई 1941 को लखनऊ में पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया और सशस्त्र क्रांतिकारी समझे जाने के कारण इन्हें नजरबंदी में रखा गया। 20 जनवरी 1944 को ये नजरबंदी से मुक्त हुए। वर्ष 1969 में ये पहली बार विधानसभा के सदस्य चुने गए। 1967 के विधानसभा चुनाव में ये कांग्रेस के टिकट पर मथुरा सीट से चुनाव लड़े पर निर्दलीय देवी चरण अग्निहोत्री के सामने ये चुनाव हार गए और दूसरे स्थान पर रहे थे। इन्होंने पाक्षिक पत्र हलचल का सम्पादन किया और बहुत से लेख लिखे थे। अध्ययन और संगीत में इनकी विशेष रुचि थी। इनका मुख्यावास पिंडारा कुंज, डेम्पियर नगर, मथुरा में था। 

विधायक तेजपाल सिंह ‘कृष्ण’ (छाता)

बाबू तेजपाल सिंह ‘कृष्ण’

विधायक तेजपाल सिंह ‘कृष्ण’ को लोग आदर से बाबू तेजपाल सिंह के नाम से भी जानते हैं। इनका जन्म वर्ष 1919 में मथुरा जिले की छाता तहसील के गांव ख़िटाविटा में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री चौधरी बदन सिंह था। इन्होंने चंपा अग्रवाल इंटर कॉलेज मथुरा और बी आर कॉलेज आगरा से शिक्षा प्राप्त की थी। इन्होंने बीएससी एग्रीकल्चर की डिग्री प्राप्त की थी। इनका विवाह 1926 में श्रीमती शिवकुंवरि के साथ हुआ था। इन्होंने श्रमदान से 80 एकड़ भूमि में वृक्षारोपण तथा 15 मील की सड़क का निर्माण कार्य सम्पन्न कराया था। इन्होंने एक हाई स्कूल तथा ग्रामोद्योग केंद्र की स्थापना कराई थी। ये ऑनरेरी मजिस्ट्रेट, ब्लॉक प्रमुख, मैनेजर हायर सेकंडरी स्कूल, सदस्य जिला परिषद तथा मंडी समिति कोसी कलां के चैयरमैन भी रहे थे। वर्ष 1969 में ये पहली बार विधानसभा के सदस्य चुने गए थे। इन्होंने कृषि अनुसंधान के लिए कार्य किये। कृषि कार्य, ग्रामोद्योग, अध्ययन और सत्संग में इनकी विशेष रुचि थी। इनका मुख्यावास ग्राम ख़िटाविटा, पोस्ट गिडोह, जिला मथुरा में था। 

विधायक आचार्य लक्ष्मी रमण (मांट)

लक्ष्मी रमण आचार्य

विधायक लक्ष्मी रमण आचार्य का जन्म 1915 ईसवी में मथुरा में हुआ था। इन्होंने महाराजा कॉलेज जयपुर और आगरा कॉलेज आगरा से शिक्षा ग्रहण की थी। इन्होंने वर्ष 1938 में मथुरा ने वकालत की प्रैक्टिस शुरू की और ये मथुरा के प्रमुख वकीलों में शामिल थे। इन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और जेल गए। ये कई बार जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे। इनकी ब्रज साहित्य में गहरी रुचि थी और ये ब्रज साहित्य मंडल से भी जुड़े रहे। ये पहली बार वर्ष 1952 के विधानसभा चुनाव में चुने गए। जनवरी 1955 में इन्हें प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और सार्वजनिक निर्माण विभाग में राज्य मंत्री का पद दिया गया। ये 1957 तथा 1967 में भी विधानसभा के लिए चुने गए। गुप्त मंत्रिमंडल में जिसने अप्रैल 1967 को त्यागपत्र दिया था, में राजस्व मंत्री रहे थे। वर्ष 1969 के चुनाव में ये फिर से मांट सीट से विधायक बने। इन्हें वर्ष 1970 में पुनः मंत्री बनाया गया और न्याय विभाग तथा वित्त व परिवहन विभागों का मंत्री बनाया गया। इनका मुख्यावास गताश्रम टीला, मथुरा में था।

विधायक चंद्रपाल आज़ाद (गोकुल)

चंद्रपाल आज़ाद

विधायक चंद्रपाल आज़ाद का जन्म वर्ष 1922 में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित रामप्रसाद पाठक था। 1943 में इनका विवाह श्रीमती शकुंतला देवी के साथ हुआ था। इनका व्यवसाय कृषि और पत्रकारिता था। श्री आज़ाद एक मजदूर संघ के प्रधान और कांग्रेस सेवादल जिला अलीगढ़ के कैप्टन रहे थे। ये जिला कांग्रेस कमेटी मथुरा के मंत्री और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रहे थे। ये वर्ष 1969 के चुनाव में पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए थे। व्यायाम और अध्ययन में इनकी विशेष रुचि थी। इनका मुख्यावास ग्राम व पोस्ट सोनई, जिला मथुरा में था।

विधायक अशरफ अली खान (सादाबाद)

कुंवर अशरफ अली खान

ये कुंवर अशरफ अली खान के नाम से जाने जाते थे। इनका सम्बन्ध सादाबाद के नवाब परिवार से था। ये इस क्षेत्र से वर्ष 1952, 1962, 1967 व 1969 में विधायक चुने गए। इनका मुख्यावास गंज खुर्द, सादाबाद में था।

(आंकड़े निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से लिए गए हैं।)

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