योगेन्द्र सिंह छोंकर
मंदिर हो
या कोई मजार
किसी नदी का पुल हो,
कटोरा किसी भिखारी का
या शाहजहाँ की कब्र
एक ही भाव सिक्का फैंकती है
दो खामोश ऑंखें
मंदिर हो
या कोई मजार
किसी नदी का पुल हो,
कटोरा किसी भिखारी का
या शाहजहाँ की कब्र
एक ही भाव सिक्का फैंकती है
दो खामोश ऑंखें