दो खामोश आंखें – 28

योगेन्द्र सिंह छोंकर
कमनीय काया
और करुण कोमल 
कंठ 
का
मार्ग में  प्रदर्शन
करने वाली
कंजरी की ओर
सिक्का उछालती हुई
उसकी फटी बगल से
झांकती छाती को
घूरती हैं
दो खामोश ऑंखें

दो खामोश आंखें – 27

योगेन्द्र सिंह छोंकर अपने बच्चे का निवाला कोयल कुल के कंठ में डालने वाले कौए को सदा ही दुत्कारती हैं दो […]

दो खामोश आंखें – 29

योगेन्द्र सिंह छोंकर चंद गहने रुपये रंगीन टीवी या किसी दुपहिया की खातिर जल  भी जाती हैं दो खामोश ऑंखें

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