दो खामोश आंखें – 29 Posted on 2nd February 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर चंद गहने रुपये रंगीन टीवी या किसी दुपहिया की खातिर जल भी जाती हैं दो खामोश ऑंखें
साहित्य दो खामोश आंखें पीठ में सुराख किये जाती हैं Yogendra Singh Chhonkar 4th March 2011 1 योगेन्द्र सिंह छोंकर दो खामोश ऑंखें मेरी पीठ में सुराख़ किए जाती हैं! माना इश्क है खुदा क्यों मुझ काफ़िर को पाक किए जाती हैं! भागता हूँ […]
साहित्य पाबू प्रकाश के काव्य का मूल्यांकन Yogendra Singh Chhonkar 11th November 2021 0 पाबू प्रकाश एक प्रबन्ध काव्य है जिसमें समसामयिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों के साथ पाबू का सम्पूर्ण चरित्र वर्णित है। हम उसे एक महाकाव्य की […]
साहित्य एक ने किया सच्चा प्यार और दूसरे ने किया टाइम पास Yogendra Singh Chhonkar 19th September 2023 0 कहानी पायल कटियार रीना की मां ने रीना से पूछा- क्या हुआ विकास का कोई जवाब मिला? रीना- नहीं मां अब उसकी वापसी मुश्किल है। […]
You must log in to post a comment.