दो खामोश आंखें – 29 Posted on 2nd February 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर चंद गहने रुपये रंगीन टीवी या किसी दुपहिया की खातिर जल भी जाती हैं दो खामोश ऑंखें
साहित्य मुरीदे कुतुबुद्दीन हूँ Yogendra Singh Chhonkar 18th July 2020 0 मुरीदे कुतुबुद्दीन हूँ खाक-पाए फखरेदीं हूँ मैं, अगर्चे शाह हूँ, उनका गुलामे-कमतरी हूँ मैं। बहादुर शाह मेरा नाम है मशहूर आलम में, व लेकिन ऐ […]
साहित्य कोई क्या किसी से लगाये दिल Yogendra Singh Chhonkar 18th July 2020 0 कभी बन-संवर के जो आ गये तो बहारे हुस्न दिखा गये, मेरे दिल को दाग़ लगा गये, यह नया शगूफ़ा खिला गये। कोई क्या किसी […]
साहित्य ब्रज संस्कृति शोध संस्थान : एक परिचय Yogendra Singh Chhonkar 19th September 2020 0 ब्रज संस्कृति शोध संस्थान, वृन्दावन के एक आयोजन के दौरान मंचासीन अतिथिगण।