दो खामोश आंखें – 11 Posted on 28th January 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर पते की तो बात क्या नाम तक बताया नहीं एक झलक दिखा कर जो हो गयीं ओझल कैसे ढूढुं कहाँ रहती हैं दो खामोश ऑंखें
साहित्य दो खामोश आंखें – 28 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर कमनीय काया और करुण कोमल कंठ का मार्ग में प्रदर्शन करने वाली कंजरी की ओर सिक्का उछालती हुई उसकी फटी बगल से झांकती छाती […]
साहित्य दानलीला का निहितार्थ:-ब्रज सम्पत्ति का संरक्षण और रस संवर्धन Yogendra Singh Chhonkar 26th September 2023 0 यामिनी कौशिक श्री कृष्ण लीला में जो रस संचरण हुआ है वह दान लीला के कारण हुआ है। प्राय: जैसा कि कहा जाता है कि […]
साहित्य दो खामोश आंखें – 17 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर करने को सुबह शाम क्यों देती हो होठों को थिरकन हो जाएगी दिन से रात जो एक बार पलक झुका लें दो […]