मथुरा को औद्योगिक दृष्टि से सम्पन्न करने का श्रेय अगर किसी सांसद को जाता है तो वह थे चकलेश्वर सिंह। चकलेश्वर सिंह ने अपने जीवन की शुरुआत ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष करते हुए की और आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी की राजनीति करते हुए मथुरा से सांसद निर्वाचित हुए। आज 8 जुलाई को मथुरा के गौरव कहे जा सकने योग्य पूर्व सांसद चकलेश्वर सिंह का जन्मदिन है। आइये जानते हैं चलकेश्वर सिंह के बारे में :
जन्म एवं प्रारंभिक जीवन
चकलेश्वर सिंह का जन्म आठ जुलाई 1922 को मथुरा जिले के धनगांव नामक गाँव में एक सम्पन्न किसान परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम ठा. मंगलसिंह था। इनकी औपचारिक शिक्षा मिडिल तक ही हो सकी थी पर इन्होंने अपने स्वाध्याय के बल पर पर्याप्त ज्ञान अर्जित किया और एक योग्य व्यक्ति के रूप में पहचान बनाई। इन्होंने ब्रजभाषा और हिंदी साहित्य का खासा अध्ययन किया। हिंदी साहित्य परिषद और ब्रज साहित्य मंडल की गोष्ठियों में चकलेश्वर सिंह बड़े उत्साह के साथ सहभागिता किया करते थे।
क्रांतिकारी गतिविधियां और चकलेश्वर सिंह
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के समय से चकलेश्वर सिंह ने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया। आगरा के क्रांतिकारी गुरदयाल सिंह और मथुरा में रह कर क्रांतिकारी गतिविधियों का संचालन कर रहे टीपी नारायण पेशारोड़ी से चकलेश्वर सिंह का संपर्क हुआ। ये लोग उस समय पर विदेशी सत्ता को आतंकित करने के लिए विस्फोटक पदार्थों का प्रयोग कर रहे थे। मथुरा में किशोरी रमण विद्यालय, चंपा अग्रवाल विद्यालय और कोतवाली में बम विस्फोट हुए। इन गतिविधियों में सहभागिता करने के आरोप में चकलेश्वर सिंह को गिरफ्तार किया गया। उन्हें जेल में रखा गया।
चकलेश्वर सिंह का कांग्रेस से जुड़ाव
जेल में चकलेश्वर सिंह मथुरा के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता डॉ. श्रीनाथ और गौरीदत्त चतुर्वेदी के संपर्क में आये। इसके बाद चकलेश्वर सिंह विधिवत काँग्रेस से जुड़ गए।
चकलेश्वर सिंह का राजनीतिक जीवन
चकलेश्वर सिंह 1962 से 70 तक मथुरा जिला परिषद के अध्यक्ष रहे। 1971 के लोक सभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस (इंदिरा) के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा। इस चुनाव में तीन बार के पूर्व सांसद और कद्दावर नेता चौधरी दिगम्बर सिंह उनके मुकाबले पर थे। चौधरी दिगम्बर सिंह पूर्व में कांग्रेस से ही जुड़े थे पर इस चुनाव में वह कांग्रेस छोड़कर भारतीय क्रांतिदल की टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। इस चुनाव में इंडियन नेशनल कांग्रेस (ऑर्गेनाइजेशन) की टिकट पर विजेन्द्र केशौरैया थे। 111864 वोट लाकर चकलेश्वर सिंह ने यह चुनाव जीता। पूर्व सांसद दिगंबर सिंह को 90425 वोट मिले वहीं विजेंद्र केशौरैया को 42166 वोट मिले।
चकलेश्वर सिंह की उपलब्धियां
अपने लोक सभा में रहने के दौरान चकलेश्वर सिंह ने मथुरा के औद्योगिक विकास के लिए कई कार्य किए। उन्होंने अपने सद्प्रयासों से मथुरा रिफाइनरी की स्थापना कराई। इस तेल शोधक कारखाने का शिलान्यास 2 अक्टूबर 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया। वर्ष 1975 में चकलेश्वर सिंह ने अपने प्रयासों से उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड से छाता में सुगर मिल का निर्माण कराया। यह सुगर मिल समूचे आगरा मंडल की एकमात्र सुगर मिल थी। जिला परिषद के अध्यक्ष रहने के दौरान उन्होंने मथुरा आकाशवाणी की स्थापना में भी महती भूमिका निभाई।
एक साहित्यिक व्यक्ति के रूप में चकलेश्वर सिंह
चकलेश्वर सिंह की हिन्दी और हिन्दी साहित्य में गहन रुचि थी अगर आपको किसी साहित्यिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने का निमंत्रण मिलता था तो आप अपने व्यस्त कार्यक्रम में से भी समय निकाल कर उसमें सम्मिलित होते थे। बचपन से ही स्वाध्याय के बल पर अर्जित की अपनी साहित्य प्रेम की अभिरुचि अंत तक उनके साथ बनी रही। एक सांसद के रूप में भी अक्सर वह अपनी बात ब्रजभाषा के छंदों के माध्यम से कहते नजर आते थे।