दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार । […]
Category: साहित्य
गाँधीजी की ब्रज यात्राएं
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ब्रज से लगाव रहा। वे कई बार यहां आए। इस वर्ष जब सारा राष्ट्र उनकी 150 वीं जयंती मना रहा है […]
मथुरा जिले से प्रकाशित पुराने पत्र पत्रिकाएं
मथुरा जिले के सबसे पहले प्रकाशित होने वाला पत्र था नैरंग मज़ामिन (Nairang Mazamin), जो एक मासिक अखबार था यह 1883 ई. में प्रकाशित हुआ। […]
पर्यावरण गीत
आओ हम सब मिल कर आज ये संकल्प उठाये वसन विहीन वसुंधरा को एक चादर हरी उढ़ाए रहे सदा से मित्र हमारे भू माँ के […]
दो खामोश आंखें -33
योगेन्द्र सिंह छोंकर घर कहाँ मंदिर के सामने मंदिर कहाँ घर के सामने दोनों कहाँ आमने सामने कुछ बता कर नहीं देती हैं दो खामोश […]
दो खामोश आंखें -32
योगेन्द्र सिंह छोंकर गणेश जी का दूध पीना सागर जल मीठा होना रोटी प्याज़ वाली डायन कटे बैंगन में ॐ दीवार पर साईं कितनी सहजता […]
मजदूर के लिए 2
योगेन्द्र सिंह छोंकर ओ मेरी रहनुमाई के दावेदारों जरा सुनो मेरी आवाज़ नहीं चाहिए मुझे धरती का राज गर सो सके तो करा दो सुलभ […]
मजदूर के लिए 1
योगेन्द्र सिंह छोंकर लाल किला है लाल लहू से मेरे ताज महल का संगेमरमर मेरे पसीने से चिपका है
दो खामोश आंखें पीठ में सुराख किये जाती हैं
योगेन्द्र सिंह छोंकर दो खामोश ऑंखें मेरी पीठ में सुराख़ किए जाती हैं! माना इश्क है खुदा क्यों मुझ काफ़िर को पाक किए जाती हैं! भागता हूँ […]
मत देख नज़र तिरछी करके
योगेन्द्र सिंह छोंकर मत देख नज़र तिरछी करके मैं होश गंवाने वाला हूँ! अब तक मैं अनजान रहा कुदरत की इस नेमत से पा प्रेम प्रसून पल्लव पोरों से […]
दो खामोश आंखें – 31
योगेन्द्र सिंह छोंकर मंदिर हो या कोई मजार किसी नदी का पुल हो, कटोरा किसी भिखारी का या शाहजहाँ की कब्र एक ही भाव सिक्का फैंकती है […]
दो खामोश आंखें – 30
योगेन्द्र सिंह छोंकर ज़बर के जूतों तले मसली जाने के बाद ज़माने के साथ साथ खुद अपनी आँखों से भी गिर जाती हैं दो खामोश […]
दो खामोश आंखें – 29
योगेन्द्र सिंह छोंकर चंद गहने रुपये रंगीन टीवी या किसी दुपहिया की खातिर जल भी जाती हैं दो खामोश ऑंखें
दो खामोश आंखें – 28
योगेन्द्र सिंह छोंकर कमनीय काया और करुण कोमल कंठ का मार्ग में प्रदर्शन करने वाली कंजरी की ओर सिक्का उछालती हुई उसकी फटी बगल से झांकती छाती […]
दो खामोश आंखें – 27
योगेन्द्र सिंह छोंकर अपने बच्चे का निवाला कोयल कुल के कंठ में डालने वाले कौए को सदा ही दुत्कारती हैं दो खामोश ऑंखें