नजीर अकबराबादी! एक ऐसा शायर जिसकी रचनाएं अवाम की आवाज बुलन्द करती हैं। नजीर उस दौर के इकलौते शायर हैं जिनकी शायरी दरबारों के […]
Category: साहित्य
मुरीदे कुतुबुद्दीन हूँ
मुरीदे कुतुबुद्दीन हूँ खाक-पाए फखरेदीं हूँ मैं, अगर्चे शाह हूँ, उनका गुलामे-कमतरी हूँ मैं। बहादुर शाह मेरा नाम है मशहूर आलम में, व लेकिन ऐ […]
कभी आबाद घर यां थे
जहां वीराना है, पहले कभी आबाद घर यां थे, शगाल अब हैं जहां बसते, कभी रहते बशर यां थे। जहां फिरते बगूले हैं, उड़ाते खाक […]
कोई क्या किसी से लगाये दिल
कभी बन-संवर के जो आ गये तो बहारे हुस्न दिखा गये, मेरे दिल को दाग़ लगा गये, यह नया शगूफ़ा खिला गये। कोई क्या किसी […]
श्री शिव चालीसा
।।दोहा। । श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल […]
श्री दुर्गा चालीसा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि […]
श्री हनुमान चालीसा
दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार । […]
गाँधीजी की ब्रज यात्राएं
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ब्रज से लगाव रहा। वे कई बार यहां आए। इस वर्ष जब सारा राष्ट्र उनकी 150 वीं जयंती मना रहा है […]
मथुरा जिले से प्रकाशित पुराने पत्र पत्रिकाएं
मथुरा जिले के सबसे पहले प्रकाशित होने वाला पत्र था नैरंग मज़ामिन (Nairang Mazamin), जो एक मासिक अखबार था यह 1883 ई. में प्रकाशित हुआ। […]
पर्यावरण गीत
आओ हम सब मिल कर आज ये संकल्प उठाये वसन विहीन वसुंधरा को एक चादर हरी उढ़ाए रहे सदा से मित्र हमारे भू माँ के […]
दो खामोश आंखें -33
योगेन्द्र सिंह छोंकर घर कहाँ मंदिर के सामने मंदिर कहाँ घर के सामने दोनों कहाँ आमने सामने कुछ बता कर नहीं देती हैं दो खामोश […]
दो खामोश आंखें -32
योगेन्द्र सिंह छोंकर गणेश जी का दूध पीना सागर जल मीठा होना रोटी प्याज़ वाली डायन कटे बैंगन में ॐ दीवार पर साईं कितनी सहजता […]
मजदूर के लिए 2
योगेन्द्र सिंह छोंकर ओ मेरी रहनुमाई के दावेदारों जरा सुनो मेरी आवाज़ नहीं चाहिए मुझे धरती का राज गर सो सके तो करा दो सुलभ […]
मजदूर के लिए 1
योगेन्द्र सिंह छोंकर लाल किला है लाल लहू से मेरे ताज महल का संगेमरमर मेरे पसीने से चिपका है
दो खामोश आंखें पीठ में सुराख किये जाती हैं
योगेन्द्र सिंह छोंकर दो खामोश ऑंखें मेरी पीठ में सुराख़ किए जाती हैं! माना इश्क है खुदा क्यों मुझ काफ़िर को पाक किए जाती हैं! भागता हूँ […]