ज्ञानी गुमानी धनी जाओ रे यहां से,
यहां तो राज बावरे ठाकुर को।
बैजू बावरा की यह पंक्तियां ब्रज का एक विलक्षण प्रेम स्वरूप उजागर करती हैं। निर्गुण निराकार ब्रह्म के उपासक ज्ञानी उद्धव को भी ब्रज आकर गोपियों से कुछ ऐसा ही सुनने को मिला था। उद्धव कृष्ण का संदेश लेकर ब्रज आये थे। यहाँ कृष्ण की प्रेम दीवानी गोपियों ने उद्धव को ब्रज के कण-कण में कृष्ण के दर्शन करा दिए। उद्धव गोपियों के समक्ष नतमस्तक हो गए। उद्धव और गोपियों के बीच हुआ यह वार्त्तालाप जिस स्थान पर हुआ था वह उद्धव क्यारी कहलाता है। नंदगांव में स्थित यह उद्धव क्यारी ही भ्रमर गीत का उद्भव स्थल है।
श्रीकृष्ण ने उद्धव को भेजा था ब्रज
ब्रज छोड़कर श्रीकृष्ण मथुरा चले गए। वहां जाकर उन्होंने कंस का वध किया। उन्होंने अपने माता-पिता और राजा उग्रसेन को कारागार से मुक्त कराया। मथुरा में उद्धव उनके सखा बने। एक बार श्रीकृष्ण ने उद्धव को गोपियों के प्रेम के बारे में बताया। उद्धव जी प्रेम के नहीं ज्ञान के पुजारी थे। उद्धव जी ने गोपियों के प्रेम की शक्ति पर भरोसा नहीं किया। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें ब्रज भेजा।
गोपियों के प्रेम के आगे परास्त हुआ उद्धव का ज्ञान
ब्रह्म ज्ञान के जानकर उद्धव जी ने गोपियों को ईश्वर के निर्गुण स्वरूप का उपदेश दिया। गोपियों ने यह उपदेश खारिज कर दिया। वहां एक फूल पर मंडरा रहे भंवरे को लक्ष्य कर गोपियों ने उद्धव को प्रेम भक्ति से अवगत कराया। स्थानीय निवासी भागवत प्रवक्ता ब्रज भूषण तिवारी बताते हैं कि इसी स्थान पर उद्धव-गोपी संवाद हुआ था। इस संवाद का वर्णन श्रीमद्भागवत में विस्तार से किया गया है। सूरदास जी ने भी अपने पदों में यह वर्णन किया है।
चार मास तक ब्रज में रहे थे उद्धव जी
गोपियों की प्रेम मार्गीय भक्ति के आगे निर्गुण मत वाले उद्धव आखिर नतमस्तक हुए। ब्रज भूषण तिवारी बताते हैं कि उद्धव जी चार मास तक ब्रज में रहे। वे बसन्त ऋतु में ब्रज में आये थे। ग्रीष्म ऋतु की समाप्ति तक वे यहां रहे। गोपियों को उन्होंने अपना गुरु मान लिया था उद्धव को गोपियों ने श्रीकृष्ण की सभी लीलास्थलियों के दर्शन कराए थे। इस नजरिए से देखा जाए तो उद्धव जी पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने ब्रज यात्रा की।
उद्धव कुंड और उद्धव बिहारी का मन्दिर हैं दर्शनीय
उद्धव क्यारी नंदगांव से बरसाना के रास्ते पर थोड़ा चलकर बायीं ओर स्थित है। यहां पर उद्धव कुंड के दर्शन होते हैं। कुंड के पास ही उद्धव बिहारी का मंदिर बना हुआ है। उद्धव जी की नयनाभिराम प्रतिमा सिर पर मोर पंख धारण किये हुए है। यह स्थान बहुत ही शांति का स्थान है। लोगों का आवागमन कम होने से इस स्थान की शांति और पवित्रता दोनों बची हुई हैं।
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