योगेन्द्र सिंह छोंकर
कमनीय काया
और करुण कोमल
कंठ
का
मार्ग में प्रदर्शन
करने वाली
कंजरी की ओर
सिक्का उछालती हुई
उसकी फटी बगल से
झांकती छाती को
घूरती हैं
दो खामोश ऑंखें
कमनीय काया
और करुण कोमल
कंठ
का
मार्ग में प्रदर्शन
करने वाली
कंजरी की ओर
सिक्का उछालती हुई
उसकी फटी बगल से
झांकती छाती को
घूरती हैं
दो खामोश ऑंखें
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