दो खामोश आंखें – 27 Posted on 2nd February 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर अपने बच्चे का निवाला कोयल कुल के कंठ में डालने वाले कौए को सदा ही दुत्कारती हैं दो खामोश ऑंखें
साहित्य दो खामोश आंखें – 12 Yogendra Singh Chhonkar 28th January 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर तेरे दिए हैं या खुद के रचे जो भोग रहा हूँ पल बेख्याली के बा ख्याली की हर डगर मिटाती गयीं दो खामोश […]
साहित्य दो खामोश आंखें – 20 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर जी जाऊं पी विसमता विष रस समता बरसाऊँ रहे सदा से रोते जो उनको जाय हसाऊँ जो एक बार फिर से देख […]
साहित्य जीवन दर्शन Yogendra Singh Chhonkar 28th January 2011 0 जीवन दर्शन कंक्रीट के इस जंगल में आपाधापी के इस दंगल में आधुनिकता की होड़ में दौलत की अंधी दौड़ में आज हर इन्सान भूल […]