दो खामोश आंखें – 25 Posted on 2nd February 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर आधी रात के वक़्त बन संवर कर रेड लाइट एरिया में गाड़ियों की हेड लाइटों से चुंधियाती भी हैं दो खामोश ऑंखें
साहित्य दो खामोश आंखें -32 Yogendra Singh Chhonkar 19th December 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर गणेश जी का दूध पीना सागर जल मीठा होना रोटी प्याज़ वाली डायन कटे बैंगन में ॐ दीवार पर साईं कितनी सहजता […]
साहित्य दो खामोश आंखें – 30 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर ज़बर के जूतों तले मसली जाने के बाद ज़माने के साथ साथ खुद अपनी आँखों से भी गिर जाती हैं दो खामोश […]
साहित्य दो खामोश आंखें – 23 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर मेरी ही बदकिस्मती थी जो न हो सका उनका मुझे अपना बनाना ही तो चाहती थी दो खामोश ऑंखें
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