विधानसभा चुनाव 1980 और मथुरा जिला

पिछले अंक में हमने जाना कि आपातकाल के दौरान बने कांग्रेस विरोधी माहौल का लाभ जनता पार्टी के खेमे में लामबंद हुए संयुक्त विपक्ष को मिला और मथुरा जिले की सभी छहों सीटों पर जनता पार्टी के प्रत्याशी अच्छे अंतर से जीते। पर यह स्थिति लंबे समय तक बनी नहीं रह सकी। अगला चुनाव हुआ 1980 में जिसमें जनता पार्टी टूट कर कई हिस्सों में बंट गई। मथुरा में चौधरी चरण सिंह का अच्छा प्रभाव था इसलिए उनकी जनता पार्टी सेक्युलर ने यहां अपनी पकड़ बनाए रखी। 1980 के चुनाव में कांग्रेस (आई) ने भी वापसी की। जब परिणाम आया तो जिले की तीन सीटों पर जनता पार्टी सेक्युलर और तीन पर कांग्रेस(आई) के प्रत्याशी जीते।

वर्ष 1980 में हुआ था यह चुनाव

सीटों के नाम और उनके क्रम की बात करें तो इस बार कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। आरक्षण की स्थिति भी पूर्ववत गोवर्धन विधानसभा की सीट पर ही थी। सीटों के नाम और उनके क्रम निम्नवत रहे।

  1. गोवर्धन (362) [सुरक्षित]
  2. मथुरा (363)
  3. छाता (364)
  4. मांट (365)
  5. गोकुल (366)
  6. सादाबाद (367)

इस बार मतदान की तिथि थी 31-05-1980।

कुछ इस तरह रहा चुनाव परिणाम

गोवर्धन विधानसभा क्षेत्र 

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 142128 थी, जिनमें से 43.34% यानी 63019 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 1073 मत निरस्त पाए गए और 61946 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत दर्ज की जनता पार्टी सेक्युलर के प्रत्याशी और पूर्व विधायक कन्हैयालाल ने, जिन्हें 28822 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस (आई) के प्रत्याशी प्रेम सिंह से, जिन्हें 26247 वोट मिले। 

मथुरा विधानसभा क्षेत्र 

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 138682 थी, जिनमें से 42.29% यानी 58649 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 798 मत निरस्त पाए गए और 57851 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत दर्ज की कांग्रेस (आई) के प्रत्याशी दयाल कृष्ण ने, जिन्हें 28614 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मगन लाल से, जिन्हें 17575 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे जनता पार्टी सेक्युलर के प्रत्याशी शिव प्रसाद सरीन जिन्हें 8308 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे सीपीआई के प्रत्याशी फतेह सिंह, जिन्हें 1916 वोट मिले।

छाता विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 136806 थी, जिनमें से 53.61% यानी 73338 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 910 मत निरस्त पाए गए और 72428 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत दर्ज की जनता पार्टी सेक्युलर के प्रत्याशी और पूर्व में मांट क्षेत्र से विधायक रहे चंदन सिंह ने, जिन्हें 26264 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस (आई) के प्रत्याशी कुंवर मानवेन्द्र सिंह के साथ जिन्हें 24196 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी किशोरी श्याम जिन्हें 14702 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे जनता पार्टी के राजनारायण वाले धड़े से चुनाव लड़ रहे ब्रजवीर जिन्हें 6320 वोट मिले।

मांट विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 140156 थी, जिनमें से 47.29% यानी 66282 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 752 मत निरस्त पाए गए और 65530 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत दर्ज की कांग्रेस (आई) के प्रत्याशी लोकमणि शर्मा ने, जिन्हें 30348 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा जनता पार्टी सेक्युलर के प्रत्याशी कुशल पाल सिंह से, जिन्हें 26011 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे जनता पार्टी (जेपी) के प्रत्याशी राधेश्याम शर्मा जिन्हें 3482 वोट मिले। 

गोकुल विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 138829 थी, जिनमें से 42.58% यानी 59110 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 812 मत निरस्त पाए गए और 58298 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत दर्ज की जनता पार्टी सेक्युलर के प्रत्याशी सरदार सिंह ने, जिन्हें 25795 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला रहा कांग्रेस(आई) के प्रत्याशी और मुरसान के राजा गोपाल प्रसाद सिंह से, जिन्हें 9734 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस (यू) के प्रत्याशी हुकुम चन्द्र तिवारी जिन्हें 8927 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी पीतम सिंह जिन्हें 6142 वोट मिले।

सादाबाद विधानसभा क्षेत्र

इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 140807 थी, जिनमें से 50.23% यानी 70727 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। डाले गए मतों में से 806 मत निरस्त पाए गए और 69921 मत वैध पाए गए। इस सीट पर जीत दर्ज की कांग्रेस(आई) के प्रत्याशी कुंवर जावेद अली ने, जिन्हें 35301 वोट मिले। इनका मुख्य मुकाबला जनता पार्टी सेक्युलर के प्रत्याशी नरेंद्र सिंह से रहा, जिन्हें 26583 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे जनता पार्टी (जेपी) के प्रत्याशी जुगेंद्र सिंह जिन्हें 3550 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे भारतीय जनता पार्टी के डॉ. सुनहरी लाल जिन्हें 1268 वोट मिले।

एक नजर चुनाव परिणाम पर

इस बार जिले की छह सीटों में से तीन गोवर्धन, छाता और गोकुल चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सेक्युलर के खाते में गईं। वहीं शेष तीन मथुरा, मांट और सादाबाद इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस (आई) के खाते में गईं। इस बार जनसंघ बदले हुए स्वरूप और नाम के साथ भारतीय जनता पार्टी के रूप में चुनाव मैदान में आया था। भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव में मथुरा जिले में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई। मथुरा सीट पर भाजपा के मगनलाल मुख्य मुकाबले में जगह बनाते हुए दूसरे स्थान तक पहुंचे। छाता सीट पर भाजपा के किशोरी श्याम ने अच्छे वोट पाए पर वे तीसरे स्थान पर ही रह गए।

विधायकों का परिचय

विधायक कन्हैया लाल (गोवर्धन) 

कन्हैयालाल

विधायक कन्हैयालाल का जन्म 1918 ईसवी में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री प्यारे लाल जाटव था। इन्होंने किशोरी रमन इंटर कॉलेज मथुरा और गवर्नमेंट ट्रेनिंग कॉलेज आगरा से शिक्षा प्राप्त की थी। 1940 में इनका विवाह श्रीमती भगवान देवी के साथ हुआ था। ये पूर्व में अध्यापक रहे थे बाद में इन्होंने प्रिंटिंग प्रेस का कारोबार किया। ये नगर पालिका मथुरा के सदस्य, शिक्षा समिति नगर पालिका के अध्यक्ष, सहकारी बैंक मथुरा के संचालक, आगरा यूनिवर्सिटी सीनेट के सदस्य, जिला हरिजन सेवक संघ के मंत्री तथा जिला दलित वर्ग संघ के अध्यक्ष भी रहे थे। देशाटन और विज्ञान में इनकी विशेष रुचि थी। कन्हैयालाल पहली बार वर्ष 1962 में गोकुल सीट से विधानसभा के सदस्य चुने गए थे। उस समय गोकुल सीट दलित वर्ग के लिये आरक्षित थी। अगले चुनाव के दौरान वर्ष 1967 में जब आरक्षण चक्र बदला और गोकुल के स्थान पर गोवर्धन सीट आरक्षित हुई तो इन्होंने अपना चुनावी क्षेत्र बदला और गोवर्धन से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा पर निर्दलीय खेमचंद्र के सामने ये चुनाव हार गए और दूसरे स्थान पर रहे। वर्ष 1969 के चुनाव में इन्हें गोवर्धन सीट पर जीत हासिल हुई। 1980 के चुनाव में ये गोवर्धन सीट से जनता पार्टी सेक्युलर के टिकट पर लड़े और कांग्रेस (आई) के प्रत्याशी प्रेम सिंह को हरा कर विधानसभा पहुंचे। इनका मुख्यावास मनोहरपुरा, मथुरा में था।

विधायक दयाल कृष्ण (मथुरा)

दयाल कृष्ण

विधायक दयाल कृष्ण का जन्म एक सितंबर 1926 को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री राय बहादुर जमुना प्रसाद एडवोकेट था। इन्होंने बीए एलएलबी तक शिक्षा प्राप्त की थी। इनका विवाह 1945 में श्रीमती उर्मिला कृष्णा के साथ हुआ था। इनका व्यवसाय वकालत था साथ ही ये बीएसए कॉलेज में विधि संकाय में शिक्षक भी थे। ये जिला बार एसोसिएशन मथुरा के अध्यक्ष, रोटरी क्लब मथुरा के अध्यक्ष, जुबली क्लब मथुरा के अध्यक्ष तथा शिक्षा संस्थाओं के चीफ प्रॉक्टर व डायरेक्टर, विद्यार्थी यूनियन आदि के पदों पर आसीन रहे हैं। 1980 के विधानसभा चुनाव में ये मथुरा सीट से कांग्रेस (आई) के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गए थे। विश्वनाथ प्रताप सिंह के मंत्रिमंडल में ये राज्य मंत्री भी बनाये गए थे। इनका मुख्यावास डेम्पियर नगर मथुरा में था।

विधायक चंदन सिंह (छाता)

चंदन सिंह

विधायक चंदन सिंह का जन्म 10 जून 1944 को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री जग्गू सिंह था। इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से बीए एलएलबी तक शिक्षा प्राप्त की। 1965 में इनका विवाह श्रीमती ओमश्री के साथ हुआ। 1974 के विधानसभा चुनाव ये मांट सीट से पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए। बाद में आपातकाल के दौरान इन्हें गिरफ्तार किया गया। 1980 के चुनाव में ये छाता विधानसभा क्षेत्र से भी विधायक चुने गए। आप विधानसभा की लोक लेखा समिति और विशेषाधिकार समिति के सदस्य भी रह चुके हैं। गन्ना सहकारी समिति छाता के संचालक एवं बीडीसी के सदस्य भी रह चुके हैं। आप वर्तमान में राजनीति और समाजसेवा में संलग्न हैं।

विधायक लोकमणि शर्मा (मांट)

लोकमणि शर्मा

विधायक लोकमणि शर्मा का जन्म 15 मई 1916 को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री लालाराम शर्मा था। इन्होंने मध्यमा तथा वैद्य विशारद तक शिक्षा हासिल की थी। इनका विवाह 1938 में श्रीमती बादामी देवी के साथ हुआ था। इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सहभागिता की थी। 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन ने भाग लेने के कारण इन्हें एक वर्ष की कैद और 50 रुपए जुर्माने की सजा हुई थी। 1977 में झण्डा आंदोलन एवं जेल भरो आंदोलन के दौरान भी इन्हें कैद हुई थी। ये ग्राम सभा पचहरा के प्रधान, न्याय पंचायत के सरपंच, क्षेत्र समिति के अध्यक्ष एवं जिला परिषद के अध्यक्ष आदि पदों पर आसीन रहे थे। 1980 के विधानसभा चुनाव में ये पहली बार विधायक चुने गए थे। मानवीय नीतियों के मार्गदर्शन में इनकी विशेष रुचि थी। इनका मुख्यावास ग्राम व पोस्ट पचहरा जिला मथुरा में था।

विधायक सरदार सिंह (गोकुल)

सरदार सिंह

विधायक सरदार सिंह का जन्म एक जनवरी 1949 को मथुरा जिले के कारब गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री पन्ना सिंह था। इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से एमए एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी की शिक्षा हासिल की। इनका विवाह 1981 में श्रीमती पुष्पा चौधरी के साथ हुआ। इनका व्यवसाय कृषि एवं वकालत है। आपने अपने गांव कारब में आदर्श कृषक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की स्थापना की। 1980 के विधानसभा चुनाव में आप पहली बार गोकुल सीट से जनता पार्टी सेक्युलर के टिकट पर चुनाव लड़ कर विधायक बने। 1985 के विधानसभा चुनाव में आप लोकदल के टिकट पर गोकुल सीट से पुनः विधानसभा पहुंचे। 1989 के विधानसभा चुनाव में आप जनता दल के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीते और 1996 के चुनाव में आप बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर विधायक बने। आप आप विधानसभा की लोक लेखा समिति, संसदीय शोध सन्दर्भ एवं अध्ययन समिति तथा प्राक्कलन आदि समितियों के सदस्य भी रहे हैं। आप मुलायम सिंह यादव के प्रथम मंत्रिमंडल में आप सांस्कृतिक कार्य एवं खेलकूद मंत्री रहे हैं। कल्याण सिंह के मंत्रिमंडल में आप वस्त्र एवं उद्योग मंत्री भी रह चुके हैं। वर्तमान में आप राजनीति एवं सामाजिक कार्यों में संलग्न हैं। आपका मुख्यावास गांव कारब, जिला मथुरा में है।

विधायक जावेद अली (सादाबाद) 

जावेद अली

विधायक जावेद अली का जन्म 1935 में सादाबाद में हुआ था। यब सादाबाद के नबाव परिवार से सम्बन्ध रखते थे। इनके पिता का नाम कुंवर अशरफ अली खान था। अशरफ अली खान सादाबाद सीट से चार बार विधायक चुने गए थे। जावेद अली की प्रारंभिक शिक्षा सेंट पीटर्स स्कूल आगरा से हुई थी और उच्च शिक्षा सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली से हुई थी। 1980 कि विधानसभा चुनाव में अपने पिता अशरफ अली खान की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिये जावेद अली कांग्रेस के टिकट पर सादाबाद सीट से चुनाव लड़े और जीतकर विधानसभा पहुंचे। विश्वनाथ प्रताप सिंह के मंत्रिमंडल में इन्हें लोक निर्माण विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया। ये मुरादाबाद मंडल के प्रभारी मंत्री भी रहे थे। ये आजीवन कांग्रेस से जुड़े रहे। 

(आंकड़े निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से लिये गए हैं।)

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