पिछले अंक में हमने जाना कि मथुरा में सोशलिस्ट पार्टी ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। मांट सीट पर राधेश्याम शर्मा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री लक्ष्मी रमण आचार्य को हराया। साथ ही छाता की सीट पर दो बार के विधायक रहे कांग्रेस के रामहेत सिंह को सोशलिस्ट पार्टी के लक्खी सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा। शेष चार सीटें कांग्रेस के पास बची रहीं। 1967 के चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी की यह स्थिति कायम नहीं पाई। इस बार कांग्रेस के पास सिर्फ तीन सीटें ही बच पाईं। दो सीटें निर्दलीय प्रत्याशी जीत गए वहीं एक सीट पर जनसंघ ने कब्जा जमाया।
चौथा विधानसभा चुनाव हुआ 1967 में
इस बार सीटों पर एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिला। पिछले चुनाव के दौरान दलित आरक्षित रही गोकुल सीट को सामान्य कर दिया गया। गोवर्धन की सीट इस बार दलितों के लिए आरक्षित की गई। सभी सीटों के नाम पूर्ववत ही रहे सिर्फ उनकी क्रम संख्या में परिवर्तन देखने को मिला। यह नया क्रम इस तरह था
- गोवर्धन (365) [आरक्षित]
- मथुरा (366)
- छाता (367)
- मांट (368)
- गोकुल (369)
- सादाबाद (370)
इस बार मतदान की तारीख थी 21 फरवरी 1967।
एक नजर चुनाव परिणामों पर
गोवर्धन विधानसभा क्षेत्र (365)
इस सीट पर कुल मतदाता थे 112670। जिनमें से 65.50% यानी 73796 लोगों ने मतदान किया। डाले गए वोटों में से 7.06% यानी 5208 वोट निरस्त हो गए। इस तरह कुल वैध मतों की संख्या थी 68588। इस सीट पर निर्दलीय खेम चंद्र ने 35591 मत लाकर जीत दर्ज की। दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के कन्हैया लाल को 19414 वोट मिले। अन्य कोई भी प्रत्याशी 5 प्रतिशत वोट भी नहीं ला पाया।
मथुरा विधानसभा क्षेत्र (366)
इस सीट पर कुल 94023 मतदाता थे जिनमें से 65.50% यानी 61586 लोगों ने मतदान किया। डाले गए वोटों का 6.76% यानी 4162 वोट निरस्त हो गए। इस प्रकार कुल 57424 वोट वैध पाए गए। इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी देवी चरण अग्निहोत्री ने 17095 वोट लाकर जीत दर्ज की। दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के शांति चरण पिंडारा जिन्हें 16416 वोट मिले। भारतीय जनसंघ के बांके बिहारी माहेश्वरी तीसरे स्थान पर रहे जिन्हें 13160 वोट मिले। शेष प्रत्याशी बेहद कम वोटों तक ही सीमित रह गए।
छाता विधानसभा क्षेत्र (367)
इस सीट पर कुल 105974 मतदाता थे। जिनमें से 61.63% यानी 65310 लोगों ने मतदान किया। डाले गए वोटों में से 4469 वोट निरस्त हो गए। इस तरह कुल 60841 वोट वैध पाए गए। इस सीट पर भारतीय जनसंघ के टीकम सिंह ने 13265 वोट पाकर जीत दर्ज की। दूसरे स्थान पर रहे निर्दलीय वी. सिंह को 12644 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के प्रत्याशी और दो बार विधायक रहे रामहेत सिंह जिन्हें 10376 वोट मिले। चौथे स्थान पर रहे निर्दलीय करन सिंह जिन्हें 7465 वोट मिले। पांचवें स्थान पर रहे संगठित सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी और पिछली बार के विधायक रहे लक्खी सिंह। अन्य कोई भी प्रत्याशी उल्लेखनीय मत हासिल नहीं कर पाया।
मांट विधानसभा क्षेत्र (368)
इस सीट पर कुल 97730 मतदाता थे जिनमें से 59.38% यानी 58032 लोगों ने मतदान किया। डाले गए वोटों के 7.91% यानी 4592 वोट निरस्त हो गए। इस तरह कुल 53440 वोट वैध पाए गए। इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी और दो बार विधायक रहे लक्ष्मी रमण आचार्य ने 19302 वोट लाकर जीत दर्ज की। दूसरे स्थान पर रहे निर्दलीय प्रत्याशी चतुर सिंह जिन्हें 10022 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे संगठित सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी और पिछले बार विधायक रहे राधेश्याम शर्मा जिन्हें 8049 वोट मिले। अन्य किसी भी प्रत्याशी को उल्लेखनीय वोट नहीं मिल पाए।
गोकुल विधानसभा क्षेत्र (369)
इस सीट पर कुल 101727 मतदाता थे। जिनमें से 59.04% यानी 60056 लोगों ने मतदान किया। डाले गए वोटों में से 7.18% यानी 55741 वोट वैध पाए गए। इस सीट पर कांग्रेस के गंगा प्रसाद शर्मा ने 11147 वोट प्राप्त करके जीत हासिल की। दूसरे स्थान पर रहे निर्दलीय चन्द्र पाल आजाद जिन्हें 10919 वोट मिले। शेष प्रत्याशियों के विवरण उल्लेखनीय नहीं हैं।
सादाबाद विधानसभा क्षेत्र (370)
इस सीट पर कुल 96566 मतदाता थे जिनमें से 58.41% यानी 56408 ने मतदान किया। डाले गए वोटों में से 4.84% यानी 2731 वोट निरस्त हो गए। इस तरह कुल वैध मतों की संख्या 53677 रही। इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व में दो बार के विधायक रहे कुंवर अशरफ अली खान ने 26596 वोट लाकर जीत दर्ज की। दूसरे स्थान पर रहे भारतीय जनसंघ के राम प्रकाश जिन्हें 19188 वोट मिले। शेष प्रत्याशियों का विवरण उल्लेखनीय नहीं है।
तीन सीटों पर सिमटी कांग्रेस
पिछली बार छाता और मांट की सीटें जीतकर सोशलिस्ट पार्टी ने जिले में दो सीट हासिल कर ली यहीं और शेष चार पर कांग्रेस का कब्जा रहा। इस बार का चुनाव परिणाम सोशलिस्ट और कांग्रेस दोनों को निराश करने वाला रहा। सोशलिस्ट पार्टी के दोनों विधायक अपनी-अपनी सीट न केवल हारे साथ ही दूसरा स्थान तक नहीं ले पाए। इस बार मथुरा और गोवर्धन की सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी जीते। छाता की सीट पर भारतीय जनसंघ को सफलता मिली। शेष तीन सीटें कांग्रेस ने जीतीं। बाद में गोवर्धन से निर्दलीय जीते खेम चंद्र ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली।
विधायकों का परिचय
विधायक देवी चरण अग्निहोत्री (मथुरा)
ये मथुरा सीट से 1967 में विधायक चुने गए। ये निर्दलीय थे। इनका मुख्यावास कंस गली, मंडी रामदास मथुरा में था। इनका चित्र उपलब्ध नहीं है।
विधायक खेमचंद्र (गोवर्धन)
इनका जन्म एक जनवरी 1917 को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री श्यामा था। इनका विवाह हरिप्यारी देवी के साथ हुआ था। ये जिला परिषद के उपाध्यक्ष भी रहे थे। इनकी भगवत भजन में विशेष रुचि थी। इनका मुख्यावास हाथी दरवाजा गोवर्धन, मथुरा में था।
विधायक टीकम सिंह (छाता)
यह वर्ष 1967 में छाता सीट से विधानसभा के लिए चुने गए। ये जनसंघ की टिकट पर जिले में जीत दर्ज करने वाले पहले नेता थे। ये पेशे से वकील थे। ये छाता कस्बे के निवासी थे। आप छाता नगर पंचायत के चेयरमैन भी रहे थे।
विधायक आचार्य लक्ष्मी रमण (मांट)
लक्ष्मी रमण आचार्य का जन्म 1915 ईसवी में मथुरा में हुआ था। इन्होंने महाराजा कॉलेज जयपुर और आगरा कॉलेज आगरा से शिक्षा ग्रहण की थी। इन्होंने वर्ष 1938 में मथुरा ने वकालत की प्रैक्टिस शुरू की और ये मथुरा के प्रमुख वकीलों में शामिल थे। इन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और जेल गए। ये कई बार जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे। इनकी ब्रज साहित्य में गहरी रुचि थी और ये ब्रज साहित्य मंडल से भी जुड़े रहे। ये पहली बार वर्ष 1952 के विधानसभा चुनाव में चुने गए। जनवरी 1955 में इन्हें प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और सार्वजनिक निर्माण विभाग में राज्य मंत्री का पद दिया गया। ये 1957 तथा 1967 में भी विधानसभा के लिए चुने गए। गुप्त मंत्रिमंडल में जिसने अप्रैल 1967 को त्यागपत्र दिया था, में राजस्व मंत्री रहे थे। इन्हें वर्ष 1970 में पुनः मंत्री बनाया गया और न्याय विभाग तथा वित्त व परिवहन विभागों का मंत्री बनाया गया। इनका मुख्यावास गताश्रम टीला, मथुरा में था।
विधायक गंगा प्रसाद शर्मा (गोकुल)
ये वर्ष 1967 में गोकुल सीट से विधायक चुने गए। इनका जन्म 20 जनवरी 1933 को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री राम सिंह था। इन्होंने बलवंत राजपूत कॉलेज आगरा से शिक्षा प्राप्त की थी। इनका विवाह विद्यावती देवी के साथ हुआ था। ये जिला कांग्रेस कमेटी में रहे थे। जिला सहकारी बैंक मथुरा के संचालक रहे थे। इनका मुख्यावास गांव गढ़सोली, डाकखाना बरौली जिला मथुरा में था।
विधायक अशरफ अली खान (सादाबाद)
ये कुंवर अशरफ अली खान के नाम से जाने जाते थे। इनका सम्बन्ध सादाबाद के नवाब परिवार से था। ये इस क्षेत्र से वर्ष 1952, 1962, 1967 व 1969 में विधायक चुने गए। इनका मुख्यावास गंज खुर्द, सादाबाद में था।
(आंकड़े निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से लिए गए हैं।)
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