कीर्ति महारानी यानी राधा रानी की माँ। बरसाना में राधा रानी का मंदिर है। उनके पिता वृषभानु जी का मंदिर है। उनके दादी-बाबा का मंदिर है। उनकी अष्टसखियों का मंदिर है। उनकी माँ का कोई मन्दिर नहीं था। अब यह कमी भी पूरी हुई। कृपालु महाराज के बरसाना स्थित आश्रम में कीर्ति मन्दिर बन कर तैयार हो चुका है। 11 फरवरी से इस भव्य मंदिर के द्वार आमजन के लिए खुले होंगे।
बारह वर्ष से अधिक समय में बनकर हुआ तैयार
कीर्ति मन्दिर के निर्माण में बारह वर्ष से अधिक समय लग गया। आठ मई 2006 को कृपालु महाराज ने इस मंदिर की आधार शिला रखी थी। नवम्बर 2013 में कृपालु महाराज का स्वर्गवास हो गया। उनके अनुयायियों ने अपने आध्यात्मिक मार्गदर्शक के स्वप्न को श्रद्धा से पूरा किया। कीर्ति मन्दिर का अलौकिक सौंदर्य और भव्य वास्तु इसकी तस्दीक करते हैं।
जानिए कृपालु महाराज के बारे में
अक्तूबर 1922 में कृपालु महाराज का जन्म संयुक्त प्रान्त में इलाहाबाद के पास मनगढ़ गांव में हुआ था। मनगढ़ में इनकी ननिहाल थी।वर्तमान में यह उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के अंतर्गत आता है। इनका नाम रामकृपालु त्रिपाठी था। ये बचपन से ही विलक्षण थे और प्रखर आध्यात्मिक चेतना इनमें व्याप्त थी। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा गांव में ही हुई। आगे की पढ़ाई के लिए ये मध्यप्रदेश के महू चले गए। अपनी विलक्षण मेधा के बल पर इन्होंने साहित्याचार्य, आयुर्वेदाचार्य और व्याकरणाचार्य जैसी उपाधियां कम उम्र में ही प्राप्त कर लीं। 1957 में काशी विद्वत परिषद द्वारा जगद्गुरु की उपाधि दी गई। जल्द ही वे अपने तर्कसंगत प्रवचनों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध हो गए। ब्रजचार्य श्रील नारायण भट्टजी के बाद राधा तत्व का ज्ञान रखने वाले और प्रचार-प्रसार करने वाले दूसरे व्यक्ति कृपालु महाराज ही हुए हैं। इन्होंने वृंदावन में प्रेम मन्दिर की स्थापना कराई थी। आज प्रेम मन्दिर न केवल वृंदावन अपितु भारतभर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
प्रेम मन्दिर के डिजाइनर ने ही बनाया कीर्ति मन्दिर का नक्शा
वृंदावन में बने प्रेम मन्दिर को तो सबने देखा ही होगा। इसकी डिजाइन बनाई है मनोज जी ने। मनोज जी कृपालु महाराज के अनुयायी और प्रख्यात वास्तुविद हैं। कीर्ति मन्दिर पूरी तरह से तराशे हुए पत्थरों से बना है। इसके निर्माण में लोहे और सीमेंट का प्रयोग नहीं हुआ है। मनोज जी कृपालु महाराज के मनगढ़ स्थित आश्रम में बने मन्दिर का डिजाइन भी बना चुके हैं।
सैकड़ों कारीगरों की दशकों की मेहनत का नायाब नमूना है कीर्ति मन्दिर
कीर्ति मन्दिर के निर्माण की प्रक्रिया दशकों चली। इतने बड़े मन्दिर के लिए सबसे ज्यादा समय खाने का काम था पत्थरों को तराशना। इसके लिए उडीसा और राजस्थान के पांच सौ से अधिक कुशल कारीगरों ने दिन रात एक कर दी। रात में विद्युत के रोशनी में पत्थरों को तराशने का काम निरन्तर चलता रहा। स्थानीय लोग और बाहर से आने वाले श्रद्धालु इसके निर्माण कार्य के पूरे होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
बरसाना के पर्यटन को लगेंगे चार चांद
कीर्ति मन्दिर नागर शैली में निर्मित है। इसका भव्य स्वरूप श्रद्धालुओं को लुभायेगा। रंगीली महल परिसर में बना यह मंदिर बरसाना के सौंदर्य में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा। वृंदावन के प्रेम मंदिर की तरह इसकी नक्काशी, झांकियां और लाइटिंग श्रद्धालुओं को बरबस ही अपनी ओर खींचेंगी। मंदिर में प्रवेश के लिए मैन गेट के अलावा दो और गेट होंगे।
चीन में तराशा गया कीमती पत्थर
जानकारों के अनुसार इस मंदिर के गर्भगृह के बाहर लगे खंभों के कीमती पत्थर को चीन में तराशा गया है। ग्रेनाइट के ये खंभे लाइट पडते ही हीरे की तरह चमक उठेंगे। गर्भगृह और शिखर में इटैलियन मारबल लगाया गया है।
इनले वर्क से उकेरी आकृतियां करेंगी आकर्षित
111 फुट उंचे इस मंदिर में करीब 11 हजार टन पत्थर लग चुका है। फर्श में ताजमहल की भांति इनले वर्क से विभिन्न आकृतियां उकेरी गई हैं जो नजर पडते ही दर्शक को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। प्रवेश द्वार को कल्पवृक्ष आकृति के समान बनाया गया है। प्रेम मंदिर की तरह आकर्षक झांकियां भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेंगी। मंदिर के अंदर कृपालु महाराज द्वारा रचित पदावली को दीवारों पर लगे मारवल में इनले वर्क से उकेरा गया है।
11 फरवरी से आम जनमास को मिलेंगे दर्शन
रंगीली महल से जुडे सूत्रों की मानें तो 10 हजार से अधिक देशी विदेशी श्रद्धालुओं को कार्यक्रम में पहुंचने के लिए निमंत्रण भेजा गया है। इसके लिए मंदिर के पीछे विशाल पांडाल बनाया गया है। 11 फरवरी को मंदिर को आम जनमानस के लिए खोल दिया जाएगा।
लाडली जी को दुलारती दर्शन देंगी कीर्ति महारानी
गर्भगृह से बाहर दांए तथा बांए तरफ राधारानी की अष्टसखियों की प्रतिमाएं होंगी। गर्भगृह में मुख्य सिंहासन पर राधा रानी को दुलारती कीर्ति महारानी की भव्य प्रतिमा लगाई जा रही है। कीर्ति महारानी के चरणों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राधा नाम का प्रचार प्रसार करने वाले जगदगुरू कृपालु महाराज की भी प्रतिमा होगी।
(यह स्टोरी हिस्ट्रीपण्डित डॉटकॉम के लिए भेजी है यतीन्द्र तिवारी ने। यतीन्द्र नंदगांव में रहते हैं और पेशे से पत्रकार हैं।)
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