योगेन्द्र सिंह छोंकर
अपनी अपनी
वासनाओं में
हस्तमैथुनरत दुनिया में
बेइरादा डोलती
कुछ बावरी भी हैं
दो खामोश ऑंखें
अपनी अपनी
वासनाओं में
हस्तमैथुनरत दुनिया में
बेइरादा डोलती
कुछ बावरी भी हैं
दो खामोश ऑंखें
योगेन्द्र सिंह छोंकर हो जाऊं जहाँ के लिए मसीहा या फिर कातिल मैं क्या हूँ जानती हैं बखूबी दो खामोश […]
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