दो खामोश आंखें – 29 Posted on 2nd February 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर चंद गहने रुपये रंगीन टीवी या किसी दुपहिया की खातिर जल भी जाती हैं दो खामोश ऑंखें
साहित्य दो खामोश आंखें – 11 Yogendra Singh Chhonkar 28th January 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर पते की तो बात क्या नाम तक बताया नहीं एक झलक दिखा कर जो हो गयीं ओझल कैसे ढूढुं कहाँ रहती हैं […]
साहित्य दो खामोश आंखें – 22 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर जाकर मुझ से दूर न छीन पायीं मेरा सुकूं शायद इसलिए मुझसे दूर हो गयीं दो खामोश ऑंखें
साहित्य श्री शिव चालीसा Yogendra Singh Chhonkar 29th April 2020 0 ।।दोहा। । श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल […]