दो खामोश आंखें – 26 Posted on 2nd February 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर ऊपर से एक वचन नीचे से बहु वचन बताती हैं पैजामे को पर देख लहंगे को पशोपेश में पड़ जाती हैं दो खामोश ऑंखें
साहित्य हेमन्ते प्रथम मासि नन्दव्रज कुमारिकाः Yogendra Singh Chhonkar 8th October 2024 0 शाक्तोपासना है अत्यंत प्राचीन गोपाल शरण शर्मा (साहित्यकार) श्री धाम वृन्दावन अध्यात्म और भक्ति का ऐसा स्थल है जहाँ विभिन्न संप्रदायों के अनुयाई अपनी अपनी […]
साहित्य ब्रज संबंधित तीन शोध पत्र : व्याख्यानों पर मनन अनुचिंतन Yogendra Singh Chhonkar 9th July 2023 0 अमनदीप वशिष्ठ पिछले दिनों श्रीरंगम में वैष्णव धारा पर एक संगोष्ठी हुई जिसमें बहुत विद्वानों ने भाग लिया। उनमें तीन युवा विद्वानों से परिचय रहा […]
साहित्य दो ख़ामोश आंखें -24 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर महबूबा की, मजलूम की, कवि की, किसान की, इंसान की भगवान की सबकी हैं दो खामोश ऑंखें