योगेन्द्र सिंह छोंकर
उमड़ते मेघ सावनी
दमकती चपल दामिनी
मंद शीतल बयार
बारिश की फुहार
कुदरत का देख
रूमानी मिजाज़
क्यों नहीं
मुस्कुराती
दो खामोश ऑंखें
उमड़ते मेघ सावनी
दमकती चपल दामिनी
मंद शीतल बयार
बारिश की फुहार
कुदरत का देख
रूमानी मिजाज़
क्यों नहीं
मुस्कुराती
दो खामोश ऑंखें