दो खामोश आंखें – 16 Posted on 2nd February 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर सामने रहकर न हुआ कभी जिस प्यास का अहसास उसे बुझाने दुबारा कभी मेरे पहलु में आएँगी दो खामोश ऑंखें
साहित्य ठेल की किस्मत (एक सब्जी विक्रेता के संघर्ष की दास्तान) Yogendra Singh Chhonkar 26th August 2023 0 कहानी पायल कटियार दीनू सब्जी की ठेल वाले ने अवाज लगाई- आलू, प्याज टमाटर गोभी, पत्ता गोभी, हरी मटर, हरी-हरी सब्जियां ले लो। आवाज सुनते […]
साहित्य दो खामोश आंखें – 20 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर जी जाऊं पी विसमता विष रस समता बरसाऊँ रहे सदा से रोते जो उनको जाय हसाऊँ जो एक बार फिर से देख […]
साहित्य श्री हनुमान चालीसा Yogendra Singh Chhonkar 28th April 2020 0 दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार । […]
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