कब किस तहसील के अधीन रहा बरसाना

कब किस तहसील के अधीन रहा बरसाना
– विभिन्न शासकों के दौर में बरसाना की राजनैतिक स्थिति
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बरसाना के इतिहास के अध्ययन के क्रम में आज हम चर्चा करते हैं यहां के स्थानीय शासन के केंद्र के बारे में। साधारण शब्दों में कहें तो बरसाना कब किस शासन के अधीन रहा और क्षेत्रीय स्तर पर किस तहसील या परगने के नियंत्रण में रहा।

अकबर के शासनकाल में

शुरुआत करते हैं मुगल बादशाह अकबर के समय से…
अकबर काल में बरसाना और इसके आस पास का क्षेत्र मुग़ल साम्राज्य के आगरा सूबे के अंतर्गत था। इतिहास ग्रन्थ आइने अकबरी के अनुसार आगरा सूबा तीन सरकारों में विभाजित था; आगरा सरकार, साहर सरकार और कोल सरकार। आगरा सरकार के अंतर्गत मथुरा, महोली, ओल, मगोर्रा, महावन, जलेसर और खंदौली का क्षेत्र था। साहर सरकार के अंतर्गत होडल, साहर, कामां और बरसाना का क्षेत्र था। कोल सरकार में अलीगढ़ का क्षेत्र था। यह व्यवस्था शाहजहाँ के समय तक रही।

औरंगजेब के शासनकाल में

औरंगजेब के समय पर यह व्यवस्था परिवर्तित कर वर्तमान मथुरा जिले का अधिकांश क्षेत्र मथुरा में सरकार स्थापित करके उसके अधीन कर दिया गया। औरंगजेब के समय के इतिहास लेखकों ने मथुरा सरकार को इस्लामाबाद सरकार का नाम दिया था। यह व्यवस्था जाट शासकों के उद्भव से पहले तक रही। इस दौर में बरसाना मथुरा सरकार के अधीन रहा। भरतपुर के जाट शासकों द्वारा मुग़लों से मथुरा जनपद को छीन लेने के बाद बरसाना भरतपुर राज्य के अधीन हो गया।

जाट शासनकाल में

जाट शासकों ने साहर, शेरगढ़, कोसी और शाहपुर में परगने और तहसीलें स्थापित कीं और बरसाना एक बार फिर साहर तहसील के अंतर्गत आ गया। बाद में मुगलों ने इस क्षेत्र की फिर से जीत लिया पर साहर तहसील यथावत रही।
इसके बाद यह क्षेत्र अंग्रेजों के अधीन हो गया। 1803 में अंग्रेजों ने यमुना को विभाजक रेखा मान कर इसके पश्चिम में मथुरा, फरह, सोंख, गोवर्धन, साहर, शेरगढ़ और कोसी के परगने बनाए तथा पूर्व में सादाबाद, सहपऊ, राया, मांट, महावन, सोनई और नोहझील के परगने गठित किए। इस समय बरसाना साहर परगने के अधीन रहा।
1832 में मथुरा जिले के गठन के समय फरह तहसील को आगरा से मथुरा जिले में शामिल किया गया। सौंख, सोंसा, गोवर्धन और साहर के कुछ हिस्से को मिलाकर अडींग तहसील बनाई गई। कोसी का उत्तरी क्षेत्र साहर में मिला कर कोसी तथा साहर में तहसीलें बनाई गईं।
1857 में क्रांति की ज्वाला धधकने के बाद साहर तहसील का मुख्यालय अस्थाई रूप से छाता ले जाया गया। 1859 में साहर की विघटित कर छाता को स्थाई तहसील बना दिया गया। इस समय बरसाना छाता तहसील के अधीन हो गया। 1894 में कोसी तहसील को विघटित कर छाता में शामिल कर दिया गया।
देश आजाद होने के बाद भी छाता तहसील यथावत रही और बरसाना इसके अधीन रहा। 30 जून 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा गोवर्धन तहसील का गठन किया गया और बरसाना को छाता तहसील से हटा कर गोवर्धन तहसील से जोड़ दिया गया।
संदर्भ ग्रन्थ :-
1. मथुरा ए डिस्ट्रिक्ट मेमॉयर
2. मथुरा गजेटियर
3. आईने अकबरी
4. भरतपुर राजवंश का इतिहास
प्रस्तुति :- योगेंद्र सिंह छोंकर

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