दो खामोश आंखें – 30 Posted on 2nd February 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर ज़बर के जूतों तले मसली जाने के बाद ज़माने के साथ साथ खुद अपनी आँखों से भी गिर जाती हैं दो खामोश ऑंखें
साहित्य कोई क्या किसी से लगाये दिल Yogendra Singh Chhonkar 18th July 2020 0 कभी बन-संवर के जो आ गये तो बहारे हुस्न दिखा गये, मेरे दिल को दाग़ लगा गये, यह नया शगूफ़ा खिला गये। कोई क्या किसी […]
साहित्य गाँधीजी की ब्रज यात्राएं Yogendra Singh Chhonkar 3rd October 2019 0 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ब्रज से लगाव रहा। वे कई बार यहां आए। इस वर्ष जब सारा राष्ट्र उनकी 150 वीं जयंती मना रहा है […]
साहित्य दो खामोश आंखें – 1 Yogendra Singh Chhonkar 28th January 2011 0 कैसे लिखूं मैं वो प्यारे पल जिनका साक्षी मैं और दो खामोश ऑंखें