दो खामोश आंखें – 12 Posted on 28th January 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर तेरे दिए हैं या खुद के रचे जो भोग रहा हूँ पल बेख्याली के बा ख्याली की हर डगर मिटाती गयीं दो खामोश ऑंखें
साहित्य श्रीकृष्ण के कर्मयोग की प्रेम प्रेरणा हैं श्रीराधा Yogendra Singh Chhonkar 12th September 2021 0 फोटो साभार इन्टरनेट
साहित्य दानलीला का निहितार्थ:-ब्रज सम्पत्ति का संरक्षण और रस संवर्धन Yogendra Singh Chhonkar 26th September 2023 0 यामिनी कौशिक श्री कृष्ण लीला में जो रस संचरण हुआ है वह दान लीला के कारण हुआ है। प्राय: जैसा कि कहा जाता है कि […]
साहित्य दो खामोश आंखें – 14 Yogendra Singh Chhonkar 2nd February 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर चंद कतरे उनके लफ़्ज़ों के चंद हर्फ़ उनकी मुस्कराहट के वो मन भावन मिठास उनके जज्बात की सहेजने को ताउम्र मुझे सौंप […]