महाराष्ट्र में एक जिला है लातूर। यहां कुल छह विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें से एक है लातूर रूरल। यह सीट हालिया विधानसभा चुनावों में वोटों की गिनती के बाद चर्चा में आई है। वजह है नोटा। जी हां वही नोटा … नन ऑफ द एबव। यहां जीते हैं कांग्रेस के धीरज देशमुख और दूसरे नम्बर पर आया है नोटा। भारतीय चुनाव प्रणाली में नोटा को शामिल किए जाने के बाद यह पहला मामला है जब नोटा मुख्य मुकाबले में आया है। कुछ लोगों का मानना है कि इस तरह से वह दिन भी दूर नहीं जब नोटा चुनाव जीत भी सकता है।
देखते हैं लातूर रूरल में किसको कितने वोट मिले
लातूर रूरल सीट पर कांग्रेस के धीरज देशमुख चुनाव जीते हैं। यह धीरज देशमुख पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के पुत्र और अभिनेता रितेश देशमुख के भाई हैं। धीरज का यह पहला चुनाव है। धीरज को 134615 वोट ईवीएम में मिले और 391 वोट पोस्टल बैलेट से मिले। कुल मिलाकर उन्हें 135006 वोट मिले हैं। जो डले हुए वोटों के 67.64 प्रतिशत हैं। दूसरे स्थान पर नोटा आया है। नोटा को 13.78 प्रतिशत वोट मिले हैं। नोटा को 27449 वोट ईवीएम से मिले और 51 वोट पोस्टल बैलेट से मिले हैं। यानी कुल मिलाकर 27500 वोट नोटा पर गए हैं। तीसरे स्थान पर शिवसेना के प्रत्याशी सचिन रहे जिन्हें मात्र 13459 वोट मिले जो डले वोटों का मात्र 6.78 प्रतिशत है। इस सीट की ईवीएम में नोटा को मिलाकर कुल 16 बटन थे। जिनमें से जीतने वाले प्रत्याशी धीरज के बटन के बाद सबसे ज्यादा नोटा का गुलाबी बटन दबाया गया।
क्या होता है नोटा
नोटा का अर्थ है नन ऑफ द एबव। यानी उपरोक्त में से कोई नहीं। यह चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में से कोई भी पसन्द न होने की दशा में दबाया जा सकता है।
कब से शुरू हुआ नोटा
नोटा का उपयोग भारत में पहली बार 2009 के चुनाव में किया गया। स्थानीय चुनाव में नोटा का विकल्प पहली बात छत्तीसगढ़ राज्य में दिया गया। 2013 के विधानसभा चुनाव में देश के चार राज्य छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम, मध्यप्रदेश और दिल्ली में इसका प्रयोग हुआ।
क्या नोटा के बटन को उम्मीदवार का दर्जा प्राप्त है?
2018 में हरियाणा के पांच जिलों में नगर निगम के चुनाव हुए। हरियाणा राज्य चुनाव आयोग ने इन चुनावों में नोटा को उम्मीदवार के समकक्ष दर्जा दिया। यह पहला मौका था। नोटा को उम्मीदवार के समकक्ष दर्जा दिए जाने का अर्थ यह था कि अगर नोटा के बटन पर सबसे अधिक वोट पड़े तो उस स्थिति में सभी प्रत्याशियों को अयोग्य घोषित कर पुनः चुनाव कराया जाएगा। भारत निर्वाचन आयोग ने अभी नोटा को उम्मीदवार के समकक्ष मान्यता नहीं दी हुई है। 2019 के आम चुनाव में देश के कुल 1.04 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था। बिहार में यह प्रतिशत सर्वाधिक 2.08 था।