वयोवृद्ध नंदबाबा और यशोदा मैया ने जब चारों धामों की यात्रा करने का निर्णय किया तो श्रीकृष्ण ने उन्हें इस मुश्किल यात्रा पर भेजने से मना कर दिया। अपने बाबा और मैया को तीर्थों की यात्रा कराने के लिए श्रीकृष्ण ने सभी तीर्थों को ब्रज में ही आमंत्रित किया। श्रीकृष्ण के आवाह्न पर सभी तीर्थ ब्रजमंडल में आ गए। श्रीकृष्ण ने इन सभी तीर्थों को ब्रज में स्थान देकर उन्हें कृतार्थ किया। दूसरी ओर नंदबाबा और यशोदा मैया समेत सभी ब्रजवासी इन तीर्थों का दर्शन कर खुद भी कृतार्थ हुए। ब्रज में श्रीकृष्ण के आवाह्न पर आए इन तीर्थों में से आदिबद्री, गंगोत्री, यमुनोत्री, लक्ष्मण झूला, नीलकंठ महादेव आदि के बारे में हम पिछली पोस्ट ब्रज के पर्वतीय तीर्थ स्थल में पढ़ चुके हैं। इस पोस्ट में हम जानेंगे ब्रज के केदारनाथ धाम के बारे में।
कामां के पास स्थित हैं ब्रज के केदारनाथ
राजस्थान राज्य के भरतपुर जिले के कामां उपखण्ड के गांव बिलोन्द के पास ब्रज का केदारनाथ धाम स्थित है। यह मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर मौजूद है।
प्राकृतिक गुफा में विराजमान हैं केदारनाथ
केदारनाथ का मंदिर एक सफेद पहाड़ी की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब तीन सौ सीढियां चढ़नी पड़ती हैं। पहाड़ी के ऊपर एक प्राकृतिक गुफा है जिसमें भगवान केदारनाथ प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। यह गुफा शेषनाग के फन के समान एक विशाल चट्टान के नीचे स्थित है। गुफा बेहद संकरी है। इस गुफा में प्रवेश करने के लिए श्रद्धालुओं को घुटनों के बल रेंगकर जाना पड़ता है। हालांकि यह गुफा बहुत बड़ी नहीं है। थोड़ा अंदर घुसते ही भगवान केदारनाथ के दर्शन होते हैं। पुजारी जी वहां शिवजी का पूजन सम्पन्न कराते हैं। दर्शन कर के निकलने के लिए अलग रास्ता है।
मन्दिर के नाम पर कोई मानव निर्माण नहीं है
केदारनाथ धाम में पहाड़ी के शिखर गुफा में शिवलिंग के दर्शन होते हैं। गुफा तक पहुंचने के लिए सीढियां बनी हुई हैं। इन सीढियों के अलावा पहाड़ी पर कोई निर्माण कार्य नहीं किया गया है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए पहुंचने वाले लोग पहाड़ी की शिलाओं पर ही ठहरकर अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं। सोमवार को उमड़ते हैं श्रद्धालु वैसे तो हर दिन ही केदारनाथ में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। सोमवार को श्रद्धालुओं की यह संख्या बढ़कर दस हजार तक हो जाती है। सावन के महीने में यहां खासी चहल पहल रहती है। महाशिवरात्रि को बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।