योगेन्द्र सिंह छोंकर
पीने को दो घूँट
जो रोपी अंजुली
उसके गोल घड़े के सामने
पाया
घड़ा खाली है
हर प्यास बुझाने को
काफी हैं
उसकी
दो खामोश ऑंखें
पीने को दो घूँट
जो रोपी अंजुली
उसके गोल घड़े के सामने
पाया
घड़ा खाली है
हर प्यास बुझाने को
काफी हैं
उसकी
दो खामोश ऑंखें
"पीने को दो घूँट
जो रोपी अंजुली
उसके गोल घड़े के सामने
पाया
घड़ा खाली है
हर प्यास बुझाने को
काफी हैं
उसकी
दो खामोश ऑंखें"
बहुत सुंदर – शुभकामनाएं