दो खामोश आंखें – 4 Posted on 28th January 2011 by Yogendra Singh Chhonkar योगेन्द्र सिंह छोंकर तेरी हैं या मेरी हैं या हैंं किसी और की किसकी हैं ये तो खुद भी नहीं जानती दो खामोश ऑंखें
साहित्य दो खामोश आंखें – 10 Yogendra Singh Chhonkar 28th January 2011 0 योगेन्द्र सिंह छोंकर अभाव के ईंधन से भूख की आग में जलते इंसानों की देख बेबसी क्यों नहीं बरसती दो खामोश ऑंखें
साहित्य दीपावली के पटाखे और संतोष का दर्द Yogendra Singh Chhonkar 5th November 2023 0 कहानी पायल कटियार दीपावली की तैयारियों को लेकर घर-घर में सफाई का काम चल रहा था। संतोष भी दीपावली के आने का काफी बेसब्री से […]
साहित्य मुरीदे कुतुबुद्दीन हूँ Yogendra Singh Chhonkar 18th July 2020 0 मुरीदे कुतुबुद्दीन हूँ खाक-पाए फखरेदीं हूँ मैं, अगर्चे शाह हूँ, उनका गुलामे-कमतरी हूँ मैं। बहादुर शाह मेरा नाम है मशहूर आलम में, व लेकिन ऐ […]